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पुराने तालाब को नया दिखाकर निकासी करने वाले नपेंगे

संवाद सहयोगी रामगढ़ रामगढ़ प्रखंड के बड़ी रणबहियार पंचायत के ईटबंधा गांव में पुरा

By JagranEdited By: Published: Thu, 15 Apr 2021 05:43 PM (IST)Updated: Thu, 15 Apr 2021 05:43 PM (IST)
पुराने तालाब को नया दिखाकर निकासी करने वाले नपेंगे
पुराने तालाब को नया दिखाकर निकासी करने वाले नपेंगे

संवाद सहयोगी, रामगढ़ : रामगढ़ प्रखंड के बड़ी रणबहियार पंचायत के ईटबंधा गांव में पुराने तालाब में नया बोर्ड लगाकर 2.85 लाख की अवैध निकासी के मामले में गुरुवार को प्रखंड विकास पदाधिकारी अमल जी ने मनरेगा के प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी संजीव प्रसाद एवं कनीय अभियंता मो. वसीम के साथ तालाब का निरीक्षण किया। अधिकारी ने पाया कि तालाब तो पुराना है और प्रतिमा देवी का ही है। तालाब में काम लगभग डेढ़-दो वर्ष पूर्व किया गया है और इसके बदले मास्टर रोल में काम दिखाकर मार्च 2020 से जनवरी 2021 तक निकाली गई है। इससे साफ जाहिर हो गया कि रामगढ़ प्रखंड में मनरेगा कानून मजदूरों के लिए नहीं बल्कि ठेकेदारों और संबंधित कर्मी के लिए है। इसलिए तो तालाब खुदाई के डेढ़ वर्ष बाद इस योजना से मास्टर रोल भरकर राशि निकाली गई। बीडीओ ने पाया कि जिस मास्टर रोल के द्वारा पैसा निकासी किया गया है उतना काम ही नहीं हुआ है। बीडीओ ने भी स्वीकार किया कि तालाब में काम बहुत पहले कराया गया है लेकिन एमआर के माध्यम से कुछ माह पहले राशि निकाली गई। कुछ माह पूर्व तालाब में केवल सीढ़ी बनाने का काम हुआ। वहीं तालाब में लगे सूचना पट पर कार्य प्रारंभ तिथि 11.मार्च 20 के बारे में जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सूचना पट में गलत लिखा गया है। उन्होंने बताया कि कनीय अभियंता को तालाब की नापी कर रिपोर्ट देने को कहा गया है। वहीं योजना का सारा अभिलेख मांगा है। कनीय अभियंता की रिपोर्ट आने एवं अभिलेख की जांच पड़ताल करने के बाद ही संबंधित रोजगार सेवक पर कार्रवाई की जाएगी। यहां बता दें कि वित्तीय वर्ष 2018-19 में योजना संख्या 15 के तहत 4.486 लाख की प्राक्कलित राशि से धनौर गांव के प्रतिमा देवी के नाम से एक सिचाई तालाब बनाने की स्वीकृति 23 फरवरी 2019 को दी गई थी। तालाब का भौतिक सत्यापन से स्पष्ट पता चलता है कि तालाब की खुदाई लगभग दो वर्ष पूर्व की गई है। तालाब में जो सूचना पट लगाया गया है उसमें तालाब का कार्य प्रारंभ तिथि 11 मार्च 20 दिखाई गई। । वहीं इस तालाब में एमआर भी मई 2020 से जनवरी 2021 तक डाला गया है। आखिर तालाब खुदाई के इतने दिनों बाद एमआर डालना यह समझ से परे है। अब देखना यह दिलचस्प होगा कि इस मामले में संबंधित कर्मी के खिलाफ कोई कार्रवाई की जाती है या फिर अन्य मामला की तरह इसे भी लीपापोती कर ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है।

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