झाड़-फूंक के बजाए समुचित इलाज कराएं
जागरण संवाददाता दुमका विश्व मानसिक जागरूकता स्वास्थ्य सप्ताह के तीसरे दिन बुधवार को संताल

जागरण संवाददाता, दुमका :
विश्व मानसिक जागरूकता स्वास्थ्य सप्ताह के तीसरे दिन बुधवार को संताल परगना महिला कालेज में डा. हनीफ की अध्यक्षता में छात्राओं के बीच जागरूकता कार्यक्रम आयोजित हुआ। मौके पर डा.हनीफ ने कहा कि जब कोई अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कड़ी मेहनत करता है और वह सफल होता है तो उसे अव्वल कहते हैं और अगर असफल हो जाता है तो उस व्यक्ति को मानसिक रोगी से तुलना कर देते हैं। यह अनुचित है। कोई भी चीज एक हद से ज्यादा होना और सामान्य परिस्थितियों से अलग मानसिक बीमारी हो सकती है, लेकिन असफलता किसी भी स्तर पर मानिसक बीमारी का कारण नहीं हो सकता है। फूलोझानो मेडिकल कालेज और अस्पताल के सीनियर रेजिडेंट डा.रामसकल हांसदा ने कहा कि शारीरिक स्वास्थ्य के साथ मानसिक स्वास्थ्य की जानकारी भी रखनी चाहिए। जानकारी के अभाव में कभी-कभी लोग मानसिक बीमारी का इलाज झाड़-फूंक से कराते हैं और किसी कारण से अगर रोगी ठीक भी हो जाता है। कहा कि उसके ठीक होने के पीछे झाड़-फूंक नहीं बल्कि वह बीमारी एपीसोडिक होती है और इस कारण रोगी ठीक हो जाता है। इसलिए झाड़फूंक के फिराक में रहने के बजाए समुचित इलाज करना बेहतर है। पहले मानसिक स्वास्थ्य के प्रति लोगों में जागरूकता की कमी थी लेकिन अब पूरा विश्व मानसिक स्वास्थ्य के प्रति गंभीर है। जिला मानसिक स्वास्थ्य केंद्र दुमका के साइकाइट्रिक सोशल वर्कर जुल्फिकार अली भुट्टो ने छात्राओं को परीक्षा का तनाव, एग्जाम फोबिया व एग्जाम फियर के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि एग्जाम का तनाव एक सामान्य प्रक्रिया है। यह सभी छात्रों में होती है इसलिए इससे घबड़ाने के बजाए बेहतर प्रबंधन के जरिए निपटा जा सकता है। उन्होंने झारखंड में मानसिक स्वास्थ्य सुविधाओं की जानकारी देते हुए कहा कि रांची में दो विशेष मानसिक स्वास्थ्य संस्थाएं हैं। इसमें एक रिनपास झारखंड सरकार की तथा दूसरी वीआइपी केंद्र सरकार की है। यहां 500 महिला-पुरुष मरीजों को भर्ती करने की क्षमता है। इसके अलावा झारखंड के दुमका, पलामू, गुमला, जमशेदपुर,कोडरमा, रांची में ओपीडी की सुविधाएं दी जाती है। कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन रोहिणी नीरजा ने किया जबकि मौके पर अनूप कुमार मुर्मू समेत बड़ी संख्या में छात्राएं मौजूद थीं।

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