जज के खिलाफ नक्सली पोस्टरबाजी, कोर्ट की सुरक्षा बढ़ी
दुमका : पाकुड़ के तत्कालीन एसपी अमरजीत बलिहार समेत छह जवानों की काठीकुंड के आमतल्ला में दो जुलाई 2013 को नक्सलियों द्वारा कि गई निर्मम हत्या के मामले में 26 सितंबर 2018 को घटना में शामिल दो हार्डकोर नक्सलियों को फांसी की सुनानेवाले चतुर्थ अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश तौफीकुल हसन के खिलाफ नक्सलियों की पोस्टरबाजी थमने का नाम नहीं ले रही है।
दुमका : पाकुड़ के तत्कालीन एसपी अमरजीत बलिहार समेत छह जवानों की काठीकुंड के आमतल्ला में दो जुलाई 2013 को नक्सलियों द्वारा कि गई निर्मम हत्या के मामले में 26 सितंबर 2018 को घटना में शामिल दो हार्डकोर नक्सलियों को फांसी की सुनानेवाले चतुर्थ अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश तौफीकुल हसन के खिलाफ नक्सलियों की पोस्टरबाजी थमने का नाम नहीं ले रही है। नक्सलियों ने तीसरी बार पोस्टरबाजी कर जज को कड़ी चेतावनी देकर सनसनी फैला दी है। पोस्टरबाजी के बाद एसपी किशोर कौशल ने मंगलवार को सशस्त्र सीमा बल के द्वितीय कमान पदाधिकारी संजय गुप्ता के साथ कोर्ट परिसर की सुरक्षा का जायजा लिया। करीब एक माह पहले नक्सलियों ने काठीकुंड में और फिर सोमवार को टोंगरा और मंगलवार की सुबह शिकारीपाड़ा के बरमसिया में पोस्टरबाजी की घटना को अंजाम दिया है।
पोस्टरबाजी की घटना से पुलिस महकमा सकते में
शिकारीपाड़ा में पोस्टरबाजी की खबर मिलने के बाद पुलिस प्रशासन सकते में है। एसपी किशोर कौशल पुलिस पदाधिकारियों के साथ कोर्ट परिसर पहुंचे और जज के न्यायालय तक की सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया। फांसी की सजा सुनानेवाले जज अभी वैकेशन कोर्ट देख रहे हैं। एसपी पूरे परिसर का भ्रमण करने के बाद मुख्यद्वार के दोनों ओर के अलावा परिसर से सामने व रोड से परिसर के अंदर दाखिल होनेवाले रास्तों पर नजर रखने के लिए चार सीसीटीवी लगाने की बात कही। इसके लिए न्यायालय के मुख्यद्वार की ओर आनेवाले दोनों रास्तों की बैरिके¨डग करने का निर्देश दिया। दीपावली के बाद इस पर काम शुरु हो जाएगा। सजा सुनाने के बाद जज के आवास की सुरक्षा के लिए व अंगरक्षक के तौर पर जवानों की तैनाती कर दी गई थी। न्यायालय के प्रवेश द्वार की भी सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। किसी को बिना जांच के अंदर प्रवेश की अनुमति नहीं है। तैनात जवानों को सघन जांच के बाद ही लोगों को अंदर जाने के सख्त हिदायत दी गई है। अब ऐसी सुरक्षा की जा रही है कि कोई भी आसानी से परिसर में प्रवेश नहीं कर सकेगा।
क्यों दी जा रही जज को धमकी
नक्सलियों ने दो जुलाई 13 को दुमका से बैठक कर वापस लौट रहे पाकुड़ के तत्कालीन एसपी अमरजीत बलिहार पर काठीकुंड प्रखंड के आमतल्ला गांव के पास हमला बोल दिया था। हमले में एसपी समेत पांच जवान दुमका के गुहियाजोरी निवासी मनोज हेंब्रम, साहिबगंज के राजीव कुमार शर्मा, संतोष मंडल, बिहार बक्सर के अशोक कुमार श्रीवास्तव व बिहार के कटिहार निवासी चंदन थापा शहीद हो गए। हत्या के बाद नक्सली दो एके 47 रायफल, चार इंसास, दो पिस्टल के अलावा 647 गोलियां लेकर भाग गए थे। पुलिस ने प्रवीर दा व सनातन बास्की समेत सत नक्सलियों को मुख्य आरोपी बनाया था। छह सितंबर को अदालत ने हत्याकांड में शामिल हार्डकोर नक्सली वकील हेंब्रम, लोबिन मुर्मू, सतन बेसरा, मानवेल मुर्मू और मानवेल मुर्मू द्वितीय को साक्ष्य के अभाव में संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया। 26 सितंबर को अदालत ने प्रवीर दा उर्फ सुखलाल मुर्मू व सनातन बास्की उर्फ ताला दा को फांसी की सजा सुनाई थी।
पोस्टर में लिखी प्रमुख बातें
प्रवीर व सनातन को फांसी की सजा से रिहा करो
-फांसी दी खून बहेगा सड़कों पर
-सजा सुनानेवाले जज को देश से मार भगाएं
-झूठी पहचान करनेवाले गवाह को जन अदालत में सजा दें
-पैसों की लालच देकर भीतरघाती बनने के लिए लोगों पर दबाव बंद हो
-निर्दोषों पर गोली बरसानेवाली पुलिस को सजा क्यों नहीं देती सरकार
-भाईचारा व मातृभूमि की रक्षा के लिए संगठित होकर आवाज बुलंद करें