नक्सली एरिया कमांडर गोवर्धन की मौत
रामगढ़ : रामगढ़ प्रखंड के सिलठा बी पंचायत अंतर्गत सांपडहर निवासी नक्सली कमांडर 55 वर्षीय गोवर्धन राय
रामगढ़ : रामगढ़ प्रखंड के सिलठा बी पंचायत अंतर्गत सांपडहर निवासी नक्सली कमांडर 55 वर्षीय गोवर्धन राय की रविवार की रात मौत हो गई। सोमवार को परिजनों द्वारा बलियाखोड़ा गांव के पास उसका अंतिम संस्कार किया गया। जानकारी के अनुसार गोवर्धन राय को रविवार की शाम खून की उल्टी हुई। इसके बाद परिजनों द्वारा उन्हें दुमका सदर अस्पताल ले जाया गया। रात में ही सदर अस्पताल में उसका इलाज प्रारंभ किया गया। वहां उसे चिकित्सकों ने बेहतर इलाज के लिए रेफर कर दिया। परिजन उसे बाहर ले जाने कि तैयारी ही कर रहे थे कि वह पुन: खून की उल्टी किया और इसके बाद दम तोड़ दिया। चिकित्सक द्वारा मृत घोषित करने के बाद परिजन उसे रात में ही घर ले आए। परिजनों के मुताबिक उन्हें किसी प्रकार की बीमारी नहीं थी। गोवर्धन राय को दो पुत्र तथा दो पुत्री हैं। दोनों पुत्री की शादी हो चुकी है। पुलिस प्रशासन द्वारा गोवर्धन राय को नक्सली एरिया कमांडर घोषित किया गया था।
जेल से निकलने के बाद गुमशुम-सा रहता था गोवर्धन
गोवर्धन राय को पुलिस प्रशासन द्वारा नक्सलियों का एरिया कमांडर घोषित किया गया था। पुलिस द्वारा कई नक्सली घटनाओं में गोर्वधन राय की संलिप्तता पाई थी जिसके कारण उन्हें कई मामलों में नामजद आरोपी भी बनाया गया था। पुलिस रिकार्ड के मुताबिक गोवर्धन इस क्षेत्र में प्रारंभ से ही नक्सली गतिविधियों में शामिल था। पुलिस द्वारा वर्ष 2011 में उसे काठीकुंड प्रखंड से गिरफ्तार किया गया था। एक सितंबर 2018 को वह जेल से बाहर निकला था। जेल से बाहर निकलने के बाद वह हमेशा उदास-सा रहता था। घर के आसपास ही हमेशा बैठा रहता था। गांव के कुछ लोगों को बताया था कि जेल से निकलने के बाद उसे शरीर में ताकत नहीं मिल रही है। जेल से निकलने के बाद शराब को वह जहर के समान मानता था। कहता था कि शराब बिल्कुल जहर है। शराब के कारण ही उसकी पूरी ¨जदगी बर्बाद हो गई। इसलिए हर कोई को शराब से दूर रहने की सलाह दिया करता था। जेल से निकलने के बाद वह जंगल से जलावन के लिए लकड़ी काटकर भी लाता था। प्रारंभ से ही गोवर्धन काफी मिलनसार स्वभाव का व्यक्ति था। ग्रामीणों को कभी भी यह एहसास नहीं हुआ कि गोर्वधन नक्सली गतिविधि में शामिल रहता था। ग्रामीणों ने बताया कि जेल से निकलने के बाद वह हर किसी को स्वयं से रोककर बात किया करता था। गांव के बेरोजगार युवकों को भी मनरेगा योजना में काम करने की सलाह दिया करता था। परिजनों के मुताबिक उसका अधिकतर केस समाप्त हो गया था।