देसी दिवाली के संकल्प को 'मुद्रा' ने दी ताकत
कुम्हारों को मुद्रा ऋण से बड़ी ताकत मिली है। दुमका के लखीकुंडी के खैरापाड़ा में सात घर कुम्हार परिवारों में चाकक की रफतार तेज हो गई है।
कुम्हारों को मुद्रा ऋण से बड़ी ताकत मिली है। दुमका के लखीकुंडी के खैरापाड़ा में सात घर कुम्हारों के है। यहां के चतुरानंद पंडित, परमानंद पंडित, शिवशंकर पंडित, निमाय पंडित, बाघमारा के सुरेश पंडित मुद्रा ऋण से जुड़कर अपने परंपरागत पेशे को नया कलेवर देने की पहल की है। परंपरागत चाक की जगह विद्युत चलित चाक से अब बर्तन तैयार करते हैं। उनके इस धंधे को मुद्रा के साथ देसी दिवाली के संकल्प से भी मजबूती मिली है। चाइनीज उत्पादों की दिवाली में मांग घटी तो दीयों का बाजार झूम उठा।
बाजार में मिट्टी से बने सामग्रियों की डिमांड पहले से अधिक होने से इन्हें यह भरोसा होने लगा है कि अब इनके परंपरागत पेशे पर मंडराने वाला खतरा टलने की उम्मीद है। हालांकि खैरापाड़ा के निमानी पंडित बीमारी के कारण परंपरागत पेशे को छोड़ चुके हैं। उनका इकलौता पुत्र भी अब दूसरे धंधे से जुड़कर जीवनयापन करता है। शनिवार को चतुरानंद पंडित, उनका पुत्र मनोज पंडित, बहू ललिता देवी दिवाली के लिए दीया, कलश व कुल्हिया-चुकिया तैयार करने में मगन दिखे। ललिता देवी का भाई प्रकाश पंडित भी इनकी मदद में बिजली की चाक पर दीया गढ़ने में मगन है। वह कुछ दिन यहीं रहकर दीदी व जीजा की मदद करेगा क्यों इस बार पूर्व के वर्ष से कम से कम पांच हजार अधिक दीया बनाने का लक्ष्य है। युवा मनोज पंडित ने कहा कि मिट्टी की सामग्रियों का डिमांड बाजार में तेज हुआ है। यही कारण है कि रोजाना 1500-1600 कुल्हड़ बिक जा रहा है। सौ कुल्हड़ की कीमत 45 रुपये है। चतुरानंद पंडित ने कहा कि मुद्रा ऋण से ताकत मिली है। 30 हजार मुद्रा ऋण लिए थे। अब मात्र 588 रुपये बकाया है। ऋण की राशि से कोयला, मिट्टी समेत अन्य सामग्री रोजगार को बढ़ाए हैं। अब एक कारीगर भी रखकर काम कराते हैं क्योंकि लखपत व मांग बढ़ गई है। यहां रहने वाले शिवशंकर पंडित, परमानंद पंडित, बाघमारा के सुरेश पंडित को भी मुद्रा ऋण से काफी राहत मिली है।
मनोज पंडित कहते हैं कि उम्मीद है कि पिछले साल की तुलना में इस वर्ष दीवाली में दीया, कलश व अन्य सामग्रियों की खपत तेज होगी। बस मौसम की मेहरबानी जरूरी है।
-- मुद्रा ने दी ताकत तो बदल गए बोल
लखीकुंडी के खैरापाड़ा कई कुम्हारों ने बैंकों से मुद्रा लोन लिया है। इसमें शिवशंकर पंडित भी शामिल हैं। कहा कि इस पूंजी से काफी राहत मिली है। रोजगार फैलाने में सहूलियत हो रही है, जो पैसा निकासी किए थे उसमें सिर्फ 100 रुपये जमा कराना बाकी है। एक सवाल के जवाब में कहा कि अब कुम्हारों का परंपरागत धंधा बंद नहीं होगा। क्योंकि मुद्रा से पूंजी और रहने के लिए अधिकांश लोगों को पीएम आवास के योजना के तहत पक्का आवास मिल रहा है। उज्ज्वला गैस कनेक्शन भी मिला है। कहा कि अब लोग भी समझदार हो रहे हैं। चायनीज सामग्रियों से तौबा कर रहे हैं। संकल्प लेकर लोकल वोकल बना रहे हैं। यही वजह है कि बाजार में दिनोंदिन मिट्टी के सामग्रियों की मांग व खपत तेज हो रही है।