दुमका से जुड़ी हैं अटल बिहारी वाजपेयी की यादें
1983 में अटल बिहारी वाजपेयी ने गांधी मैदान में एक विशाल रैली को संबोधित किया था जिसे सुनने दुमका से सुदूर ग्रामीण इलाकों से बड़ी संख्या में लोग पहुंचे थे।
दुमका, जेएनएन। दुमका की धरती पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने पहली बार 1967 में कदम रखा था। इसके बाद उनका दुमका आगमन कई बार हुआ। आठ फरवरी वर्ष 1983 में उन्होंने दुमका के गांधी मैदान में एक विशाल रैली को संबोधित किया था। तत्कालीन भाजपा के जिला अध्यक्ष स्व.श्रीराम केशरी की अगुवाई में आयोजित कार्यक्रम के दौरान तब गांधी मैदान में अटल बिहारी वाजपेयी को सुनने दुमका से सुदूर ग्रामीण इलाकों से बड़ी संख्या में लोग पहुंचे थे।
उस समय उन्होंने अपने ओजस्वी भाषण से यहां की जनता को काफी प्रभावित किया था और उनके भाषण की चर्चा काफी दिनों तक होती रही। तब उन्हें यहां पार्टी को मजबूत करने के लिए 83 हजार 802 रुपये की थैली सौंपी गई थी। स्व. श्रीराम केशरी के पुत्र पवन केशरी एवं सूरज केशरी अटल के निधन की खबर सुनकर व्यथित हैं। कहते हैं कि उनका जाना एक राजनीतिक युग का अंत है। दोनों भाइयों ने कहा कि उनका पूरा जीवन अटल बिहारी के व्यक्तित्व से प्रभावित है।
भाजपा नेता व जेपी सेनानी राजनंदन ¨सह ने कहा कि वर्ष 1999 के लोकसभा चुनाव के दौरान वे दुमका हवाई अड्डा पर आए थे। उनके एक वक्तव्य को याद करते हुए राजनंदन कहते हैं कि वे कहते थे कि बीच दोपहरिया अंधेरा छा गया। सचमुच आज उनके जाने से सबके सामने एक अंधेरा छा गया है। सूबे की समाज कल्याण मंत्री डॉ. लुईस मरांडी ने एक संस्मरण को याद करते हुए कहती हैं कि वर्ष 1999 में जब उनका आगमन दुमका में हुआ था तब उन्होंने दुमका की जनता से वायदा किया था कि अगर चुनाव में एनडीए की सरकार बनती है तो वे यहां की जनता को अलग राज्य का तोहफा देंगे।
सूबे की समाज कल्याण मंत्री डॉ.लुईस मरांडी कहतीं हैं कि आज झारखंड की एक-एक जनता उनका ऋणी है। उन्होंने एनडीए की सरकार बनने के बाद अपना वादा पूरा करते हुए अलग झारखंड राज्य का तोहफा दिया जिसे यहां की जनता कभी भूल नहीं सकती है। वे यहां की जन-जन में बसे हैं और बसे रहेंगे।