समुदाय का हो संरक्षण व समग्र विकास: पहाड़िया मुक्ति सेना
तिलका मांझी की जयंती पर गुरुवार को पहाड़िया मुक्ति सेना की ओर से अपने हक के लिए पुराना समाहरणालय परिसर में धरना देकर आयुक्त के नाम संबोधित चार सूत्री ज्ञापन प्रशासन को सौंपा गया।
जागरण संवाददाता, दुमका: तिलका मांझी की जयंती पर गुरुवार को पहाड़िया मुक्ति सेना की ओर से अपने हक के लिए पुराना समाहरणालय परिसर में धरना देकर आयुक्त के नाम संबोधित चार सूत्री ज्ञापन प्रशासन को सौंपा गया। संगठन की ओर से मुख्य रूप से आदिम जनजाति पहाड़िया समुदाय के संरक्षण व विकास से जोड़ने की मांग की गई।
मुक्ति सेना के सचिव गया लाल देहरी की अगुवाई में आयोजित धरना कार्यक्रम के माध्यम से वर्ष 1782 में गठित क्लीवलैंड की पहाड़िया परिषद के आधार पर संताल परगना के आयुक्त के स्तर से वर्ष 1995 में दिए गए आदेश के अनुरूप पहाड़िया को सभी विकास कार्यक्रम में समुचित भागीदारी देने एवं पहाड़िया ग्राम सभा के माध्यम से ही कराए जाने की मांग फिर से दोहराई गई। इसके अलावा वन अधिनियम 2006 के तहत संताल परगना के वनभूमि पर यहां के वास्तविक मूलवासी पहाड़िया समुदाय को ही वन पट्टा देने की मांग की गई। कहा गया कि चूंकि पहाड़िया की समतल जमीन पर अंग्रेज सरकार द्वारा दूसरों के नाम पर बंदोबस्ती कर दी गई थी, इसी वजह से पहाड़िया भूमिहीन हो गए हैं। इनका विकास भी अवरुद्ध हो गया है। मांग रखी कि एकीकृत बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह द्वारा पहाड़ियाओं के विकास के लिए सृजित किए गए विशिष्ट पदाधिकारी पहाड़िया कल्याण का पद और पहाड़िया कल्याण शाखा को यथावत रखा जाना चाहिए। झारखंड सरकार ने इसे विलोपित कर आइटीडीए में शामिल किए जाने का आदेश पारित किया गया है। कुमार भाग पहाड़िया को भी आदिम जनजाति में सम्मलित करने की मांग धरना के माध्यम से उठाया गया। धरना कार्यक्रम में संताल परगना के विभिन्न जिलों से पहाड़िया महिला एवं पुरुष पहुंचे थे।