मसानजोर विस्थापितों को उनका वाजिब हक मिलकर रहेगा : डॉ.लुईस
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रानीश्वर : सूबे की समाज कल्याण मंत्री डॉ. लुईस मरांडी ने गुरुवार को मसानजोर डैम के विस्थापितों के लिए बनाए गए कॉलोनी में जाकर विस्थापित के साथ सीधा-संवाद अभियान व पदयात्रा की शुरुआत कर विस्थापितों को यह भरोसा दिया है कि आनेवाले दिनों में उनकी समस्याओं का निदान होना तय है। गुरुवार को सादीपुर के पंचायत भवन परिसर में विस्थापितों के साथ एक सभा कर अपने अभियान की शुरुआत करते हुए मंत्री ने कहा कि भाजपा यहां के डैम के विस्थापित को न्याय दिलाने के लिए नए सिरे से प्रयास तेज कर रही है। उनके नेतृत्व में डैम के मालिकाना हक के लिए आवाज बुलंद किया गया है। कहा कि इस मुद्दा को लेकर व्यापक जनसमर्थन देखकर विरोधी दलों के होश फाख्ता हो गए हैं। अब ऐसे राजनीतिक दल ग्रामीणों के बीच भ्रम फैलाने में जुटे हैं। डॉ. लुईस ने कहा कि विस्थापित व यहां के रैयत किसी भी भ्रम में नहीं आएं। भाजपा सबका साथ सबका विकास को धरातल पर उतार रही है और आनेवाले दिनों मसानजोर डैम के विस्थापितों को भी यह महसूस होगा। डॉ. लुईस ने कहा कि भाजपा के प्रयासों को प्रभावित करने के लिए एक क्षेत्रीय राजनीतिक दल ने रातोंरात किसानों व मजदूरों के समिति के नाम पर राजनीति साधने की कोशिश में हैं जिसका जमीन पर कोई पता ठिकाना नहीं है। मंत्री ने भाजपा के कार्यकर्ताओं से कहा कि वे ऐसे समिति से दूर रहें और इसके किसी भी गतिविधि में हिस्सा नहीं लें। मंत्री ने कहा कि वे सभी विस्थापित गांवों का दौरा कर उनकी समस्याओं से अवगत होंगी और इनकी समस्याओं के निदान की दिशा में गंभीरता से पहल होगी। मंत्री ने सादीपुर, सुखजोड़ा एवं पाटजोड़ पंचायत के कई मयूराक्षी विस्थापित गांवों की पदयात्रा कर यहां के विस्थापितों से मुलाकात की और इनकी समस्याओं से अवगत हुई। इस मौके पर मंत्री के साथ भाजपा के जिलाध्यक्ष निवास मंडल, अमित रक्षित, शिवधन मुर्मू एवं जिला के कार्यकत्र्ता मौजूद थे। संवाद के दौरान सादीपुर के साथ सदर प्रखंड दुमका के रानीबहाल पंचायत के कई विस्थापित कॉलोनी के काफी संख्या में पुरुष एवं महिलाओं ने भाग लिया और विस्थापन के दर्द से मंत्री को अवगत कराया। सादीपुर गांव के मयूराक्षी विस्थापित परिवार के कई छात्र-छात्राओं ने मंत्री को आवेदन देकर जाति प्रमाणपत्र निर्गत नहीं किए जाने की शिकायत की है। छात्रों ने कहा कि उनके पूर्वज के नाम पर निर्गत एमआरओ पट्टा में जाति का उल्लेख नहीं है जिसके कारण अंचल कार्यालय से जाति प्रमाणपत्र निर्गत नहीं हो रहा है। राजस्व कर्मचारी गेंजर सेटलमेंट रिकार्ड का पर्चा मांगते हैं। गेंजर सेटलमेंट रिकार्ड का उनका जमीन डैम के जलाशय में जलमग्न हो चुका है। उसी जमीन के बदले यहां विभिन्न मौजा में जमीन पुन: बंदोबस्त किया गया है। कई विस्थापितों ने मंत्री से कहा कि उसे किस मौजा में कितना जमीन दिया गया है इसकी भी उसे कोई जानकारी नहीं है। साथ ही विस्थापित ने प्रथम श्रेणी के जमीन के बदले पथरीली जमीन बंदोबस्त कर उनके साथ छल करने का भी आरोप लगाया।