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हिदी समानता और लोकतंत्र स्थापित करने की भाषा

एसकेएमयू के स्नातकोत्तर हिदी विभाग द्वारा हिदी दिवस पर एक वेबिनार आयोजित किया गया। वेबिनार में कुलपति प्रो. सोना झरिया मिज ने अध्यक्षता करते हुए कहा कि हिदी भाषा के पर्याप्त विकास के लिए निर्णायक कदम उठाने हेतु प्रयास पर बल दिया जाना चाहिए। उन्होंने संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि यहां के अधिकांश छात्र-छात्राएं हिदी के माध्यम से ही उच शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। जबरदस्ती किसी भाषा-भाषी लोगों पर हिदी आरोपित न की जाए इससे लोगों में असंतोष की भावना बलवती होगी।

By JagranEdited By: Published: Mon, 14 Sep 2020 06:46 PM (IST)Updated: Mon, 14 Sep 2020 06:46 PM (IST)
हिदी समानता और लोकतंत्र स्थापित करने की भाषा
हिदी समानता और लोकतंत्र स्थापित करने की भाषा

जागरण संवाददाता, दुमका: एसकेएमयू के स्नातकोत्तर हिदी विभाग द्वारा हिदी दिवस पर एक वेबिनार आयोजित किया गया। वेबिनार में कुलपति प्रो. सोना झरिया मिज ने अध्यक्षता करते हुए कहा कि हिदी भाषा के पर्याप्त विकास के लिए निर्णायक कदम उठाने हेतु प्रयास पर बल दिया जाना चाहिए। उन्होंने संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि यहां के अधिकांश छात्र-छात्राएं हिदी के माध्यम से ही उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। जबरदस्ती किसी भाषा-भाषी लोगों पर हिदी आरोपित न की जाए इससे लोगों में असंतोष की भावना बलवती होगी।

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कार्यक्रम की मुख्य वक्ता रांची विश्वविद्यालय से विभागाध्यक्ष डॉ मालती शर्मा ने हिदी के विकास में लेखकों एवं विद्वानों के योगदान को गिनाते हुए उसके व्यवहारिक प्रयोग पर बल दिया। भारत में हिदी की वर्तमान स्थिति को उन्होंने बहुत ही सकारात्मक बताया। उन्होंने कहा कि हिदी की किसी भी भाषा से कोई प्रतिद्वंदिता नहीं है, वह कभी प्रतिद्वंदी नहीं बल्कि सहयोगी और सहकर्मी के रूप में कार्य करती है। वेबिनार को संबोधित करते हुए प्रति कुलपति डॉ हनुमान प्रसाद शर्मा ने कहा कि विविधता से भरे इस देश में हिदी भाषा भारतीय लोगों के संपर्क भाषा के रूप में स्थापित हो सके इस संदर्भ में हिदी के रचनाकारों ने इस दिशा में महत्वपूर्ण कार्य किया है। इस अवसर पर विभागाध्यक्ष डॉ विनय सिन्हा ने कहा कि हिदी को वैश्विक फलक पर स्थापित करने में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी तथा पीवी नरसिम्हा राव संयुक्त राष्ट्र संघ में हिदी में दिया गया वक्तव्य अविस्मरणीय है। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा राष्ट्रमंडल देशों की बैठक तथा चंद्रशेखर द्वारा दक्षेस शिखर सम्मेलन के अवसर पर हिदी में दिए गए भाषण भी उल्लेखनीय है।

संताल परगना महाविद्यालय के हिदी विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ यदुवंश यादव ने कहा कि हिदी के समक्ष यह चुनौती है कि वह तकनीकी व विज्ञान से कैसे अपना सहसंबंध स्थापित करती है। वेबिनार का संचालन हिदी विभाग की प्रो. दिव्य पूजा कुमारी ने किया तथा संयोजन डॉ संजीव कुमार सिन्हा ने किया। वेबिनार में डॉ अजय कुमार सिन्हा, अमिता कुमारी, डॉ शुशील टुडू, डॉ अजय शुक्ल, डॉ रंजना त्रिपाठी, डॉ विनोद कुमार शर्मा सहित कई शिक्षकों के साथ छात्र एवं शोधार्थी उपस्थित थे।


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