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पर्याप्त पोषक तत्व नहीं मिलने से हो सकते कुपोषण का शिकार

आयो आयदरी ट्रस्ट एवं फाइंड योर फीट के वित्तीय सहयोग से जोहार परियोजना के तहत सोमवार को पथरिया पंचायत भवन में स्वास्थ्य एवं पोषण विषय पर समुदाय आधारित संगठन के सदस्यों का दो दिवसीय प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया।

By JagranEdited By: Published: Mon, 18 Jan 2021 09:04 PM (IST)Updated: Mon, 18 Jan 2021 09:04 PM (IST)
पर्याप्त पोषक तत्व नहीं मिलने से हो सकते कुपोषण का शिकार
पर्याप्त पोषक तत्व नहीं मिलने से हो सकते कुपोषण का शिकार

संवाद सहयोगी, रामगढ़: आयो आयदरी ट्रस्ट एवं फाइंड योर फीट के वित्तीय सहयोग से जोहार परियोजना के तहत सोमवार को पथरिया पंचायत भवन में स्वास्थ्य एवं पोषण विषय पर समुदाय आधारित संगठन के सदस्यों का दो दिवसीय प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया।

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प्रशिक्षक मो. सरफराज ने कहा कि कुपोषण वह अवस्था है, जिसमें पौष्टिक पदार्थ और भोजन असंतुलित रूप से लेने के कारण शरीर को पूरा पोषण नहीं मिल पाता है और इंसान कमजोर हो जाता है। व्यक्ति कुपोषण का शिकार उस वक्त भी हो सकता है, जब उसके आहार में पोषक तत्व की सही मात्रा नहीं होती है। बच्चों और स्त्रियों में अधिकांश रोगों का जड़ कुपोषण ही है। स्त्रियों में खून की मी या घेंघा रोग अथवा बच्चों में सूखा रोग या रतौंधी कुपोषण का ही परिणाम है। उन्होंने बताया कि कुपोषण सबसे अधिक बच्चों को प्रभावित करता है। यह जन्म के बाद या उससे भी पहले गर्भ में ही शुरू हो जाता है। यह छह महीने से तीन वर्ष की आयु वाले बच्चे में तीव्रता से बढ़ता है। भारत में कुपोषण का कारण गरीबी माना गया है। गरीब परिवार के लिए आवश्यक मात्रा में पौष्टिक आहार क्रय करना मुश्किल हो जाता है, जिसके कारण वह कुपोषण जैसी अन्य समस्याओं का शिकार हो जाते हैं।

वहीं दूसरी ओर जानकारी के अभाव में ग्रामीण क्षेत्र के लोग अपने बच्चे को सही मात्रा में पोषक तत्व नहीं दे पाते हैं। भारत सरकार ने 2018 में कुपोषण को दूर करने के लिए राष्ट्रीय पोषण मिशन की शुरूआत की है। राष्ट्रीय पोषण मिशन का लक्ष्य छोटे बच्चों, महिलाओं एवं किशोरियों में कुपोषण और एनीमिया को कम करना है। राष्ट्रीय पोषण रणनीति के तहत वर्ष 2022 तक भारत को कुपोषण भुक्त भारत बनाना है। इस दौरान परियोजना समन्वयक जयप्रकाश शर्मा, अविनाश, रसीक, सिमोन एवं 20 गांव के पोषण सखी एवं जनजाति मंच के सदस्य उपस्थित थे।


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