एबोबिक और सेसबानिया प्रभेद के धान पर होगा प्रयोग
दुमका : कृषि विज्ञान केंद्र दुमका के 13वें वैज्ञानिक सलाहकार समिति की बैठक में गुरुवार को कई अहम कार
दुमका : कृषि विज्ञान केंद्र दुमका के 13वें वैज्ञानिक सलाहकार समिति की बैठक में गुरुवार को कई अहम कार्य योजनाओं पर भविष्य में शोध व कार्य करने के प्रस्ताव पर मुहर लगी है। खास तौर पर इस इलाके में कम पानी में होने वाले एरोबिक धान और सेसबानिया (धैंचा) पर प्रयोग करने का अहम प्रस्ताव लिया गया है। बैठक की अध्यक्षता कर रहे बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के प्रसार शिक्षा संकाय के अपर निदेशक डॉ. सोहन राम ने कृषि वैज्ञानिकों से कहा कि गरीब किसानों के लिए कम लागत वाली कृषि तकनीक को अधिक से अधिक प्रसारित किया जाए। उन्होंने महिला कृषकों के लिए लघु कृषि यंत्र एवं मूल्यवर्धित फल-सब्जियां, मशरूम उत्पादन को बढ़ावा दिए जाने की सलाह दी। बिरसा क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र दुमका के सह निदेशक डॉ. बीके भगत ने कम लागत वाले जैविक उर्वरक एवं कीटनाशक शोध पर अपनी बातों को रखा। आत्मा के परियोजना निदेशक डॉ. दिवेश कुमार ¨सह ने मशरूम बीज उत्पादन के लिए प्रयोगशाला की उपलब्धता पर जोर देते हुए कहा कि प्रयोगशाला होने से दुमका के कृषकों को मशरूम का बीज सहजता से सुलभ हो सकेगा। जिला अग्रणी बैंक के प्रबंधक एस. रमण प्रसाद ने कहा कि प्रत्यक्षण से प्राप्त अच्छे नतीजा को कितने किसानों ने ग्रहण किया इसका भी आकलन किया जाना चाहिए।
बैठक के दौरान वर्ष 2017-18 में केवीके द्वारा किए गए कार्यों की समीक्षा की गई और वित्तीय वर्ष 2018-19 में केवीके की कार्य योजनाओं को प्रस्तावित किया गया। बैठक में नाबार्ड के जिला प्रबंधक नवीनचंद्र झा, जिला योजना एवं मूल्यांकन पदाधिकारी राजेंद्र प्रसाद, जिला पशुपालन विभाग के जिलाउल हसन सरवर, क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र के वरीय वैज्ञानिक डॉ. पीबी साहा, कनीय वैज्ञानिक डॉ. सुनील कुमार, डॉ. एके साहा, डब्ल्यू आइंद, राजू ¨लडा, प्रगतिशील किसान अमरेंद्र कुमार, परमेश्वर मंडल, भुनेश्वर मांझी, महिला कृषक तबस्सुम खान, नगीना बीबी समेत कई मौजूद थे।
ये है मुख्य प्रस्तावित कार्य योजना जिस पर होगा काम
- एरोबिक धान और सेसबानिया पर प्रयोग।
- परती भूमि पर राइस, चारा फसल बरसीम, जई और खेसारी पर प्रयोग।
- गोबर खाद के डिकंपो¨स्टग पर प्रयोग।
- झारसीम नस्ल की मुर्गी पर प्रयोग।
- मूंगफली के के-6 प्रभेद का प्रत्यक्षण 60 हेक्टेयर भू-भाग पर।
- अरहर आईपीए -203, मूंग हम-16, चना जीएनजी -1581 एवं इंदिरा कुल्थी का 150 हेक्टेयर पर प्रत्यक्षण।
- जीवाणु खाद राइजोबीयम, एजोटे बैक्टर, पीएसबी का प्रत्यक्षण।
- मछली के पोषण के लिए तसर ककून को भोज्य पदार्थ के रूप में उपयोग पर प्रयोग।
- मशरूम एवं कटहल के मूल्यवर्धन के लिए प्रसंस्करण पर प्रयोग।
- हाईब्रीड मक्का में फास्फोरस खाद प्रबंधन।
- 1000 ¨क्वटल दलहनी बीज उत्पादन का लक्ष्य।
- टिश्यू कल्चर केला के प्रभेद जी-आठ तथा रोबूस्टा प्रभेद पर प्रयोग।
- पपीता फीमेल फ्लावर पर प्रयोग।
बैठक में कार्य योजना प्रस्तुत करने वाले वैज्ञानिक
- शस्य विज्ञान पर डॉ. श्रीकांत ¨सह
- मृदा विज्ञान पर डॉ. जयंत लाल
- गृह विज्ञान पर डॉ. सीमा ¨सह
- पशुपालन पर डॉ. संजय कुमार
- उद्यान प्रभाग पर डॉ. किरण कंडीर