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दो वर्ष बाद आंगनबाड़ी केंद्र में खाना बनाने की पहल

रामगढ़ रामगढ़ प्रखंड के पहाड़पुर पंचायत अंतर्गत आंगनबाड़ी केंद्र मजडीहा में दो वर्ष से बच्चों का खाना बंद रहने के बाद प्रभारी सीडीपीओ उषा रानी हेंब्रम द्वारा पहल प्रारंभ कर दी गई है। जल्द ही इस केंद्र में बच्चों को खाना बनाकर खिलाया जाएगा।

By JagranEdited By: Published: Thu, 10 Oct 2019 05:50 PM (IST)Updated: Thu, 10 Oct 2019 05:50 PM (IST)
दो वर्ष बाद आंगनबाड़ी केंद्र में खाना बनाने की पहल
दो वर्ष बाद आंगनबाड़ी केंद्र में खाना बनाने की पहल

रामगढ़ : रामगढ़ प्रखंड के पहाड़पुर पंचायत अंतर्गत आंगनबाड़ी केंद्र मजडीहा में दो वर्ष से बच्चों का खाना बंद रहने के बाद प्रभारी सीडीपीओ उषा रानी हेंब्रम द्वारा पहल प्रारंभ कर दी गई है। जल्द ही इस केंद्र में बच्चों को खाना बनाकर खिलाया जाएगा। इस केंद्र में माता समिति के अध्यक्ष के नहीं रहने के कारण दो वर्ष से पैसे की निकासी नहीं हो पा रही थी। जिसके कारण दो वर्ष से बच्चों को खाना नहीं मिल पा रहा था। प्रभारी सीडीपीओ ने पैसे की निकासी के लिए केंद्र की सेविका एवं संबंधित महिला पर्यवेक्षिका की हस्ताक्षर से राशि निकासी के लिए रामगढ़ स्थित वनांचल ग्रामीण बैंक में पत्र भेज दिया है। सीडीपीओ ने दोनों का हस्ताक्षर प्रमाणित कर बैंक में भेज दिया। उम्मीद जताई जा रही है कि एक दो दिनों के अंदर ही राशि की निकासी हो जाएगी एवं बच्चों को खाना मिल पाएगा। यहां बता दें कि इस केंद्र में नवंबर 2016 से बच्चों को खिलाया जानेवाला खाना पूरी तरह से बंद है। ग्रामीण एवं सेविका के बीच कुछ विवाद के कारण इतने दिनों से बच्चों का खाना बंद है। जानकारी के अनुसार आंगनबाड़ी केंद्र की माता समिति का अध्यक्ष शिल्पी देवी अक्टूबर 2016 में ही हटा दी गई थी। सेविका द्वारा आरोप लगाया गया कि अध्यक्ष द्वारा किसी भी चेक में हस्ताक्षर करने के बदले पैसे की मांग की जाती है। इसके बाद सेविका ने नवंबर 2016 में गांव के वार्ड सदस्य सोनामुनी मुर्मू की अध्यक्षता में ग्रामसभा का आयोजन कर नया अध्यक्ष चुन लिया। जब इसकी जानकारी ग्रामीणों को हुई तो ग्रामीणों ने इसका विरोध करना प्रारंभ कर दिया तथा सेविका पर कई आरोप लगाकर फर्जी तरीके से ग्रामसभा कर अध्यक्ष का चयन करने की बात कही। नाराज ग्रामीणों ने गांव में बैठक भी बुलाई। जिसमें ग्राम सभा की कॉपी लेकर सेविका को भी बुलाया गया। बैठक में पहुंचने से पूर्व सेविका द्वारा अपने तरीके से कराया गया ग्राम सभा को पंजी से फाड़ दिया गया। जिसके बाद ग्रामीण उग्र हो गए तथा सेविका पर फर्जी तरीके से ग्रामसभा करने का आरोप लगाकर इसकी शिकायत उच्चाधिकारी के पास कर दी। बिना पैसा निकासी के दुकान से उधार लेकर सेविका ने किसी प्रकार सितंबर 2017 तक बच्चों को खाना खिलाया। दुकानदार द्वारा पैसे की मांग करने के कारण सेविका ने अक्टूबर 2017 से बच्चों को खाना खिलाना बंद कर दिया। जिसके बाद आजतक केंद्र में खाना नहीं बन रहा है।

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