प्रथम तीर्थकर ऋषभदेव ने दिया कृषि करने का उपदेश
दुमका सिदो-कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय के कांफ्रेंस हॉल में जैनधर्म के प्रथम तीर्थकर ऋषभदेव की जीवनी पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते मुख्य अतिथि वीरकुंवर सिंह विवि के कुलपति प्रो. डीपी तिवारी ने कहा कि ऋषभदेव ने ही सबसे पहले लोगों को कृषि करने का उपदेश दिया था। जिससे लोगों ने खेती करना सीखा था। यह कालखंड 7477 ई.पू. से 8992 ई.पू. के बीच का रहा होगा। ऋषभदेव को आदिनाथ कहा जाता है। इनको आदेश्वर या आदिश्वर भी कहा जाता है।
दुमका : सिदो-कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय के कांफ्रेंस हॉल में जैनधर्म के प्रथम तीर्थकर ऋषभदेव की जीवनी पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते मुख्य अतिथि वीरकुंवर सिंह विवि के कुलपति प्रो. डीपी तिवारी ने कहा कि ऋषभदेव ने ही सबसे पहले लोगों को कृषि करने का उपदेश दिया था। जिससे लोगों ने खेती करना सीखा था। यह कालखंड 7477 ई.पू. से 8992 ई.पू. के बीच का रहा होगा। ऋषभदेव को आदिनाथ कहा जाता है। इनको आदेश्वर या आदिश्वर भी कहा जाता है।
उनके जीवन पर विस्तार से प्रकाश डालते कहा कि वे उत्तम स्वर्ग से अवतरित हुए इसलिए गौतम या काश्यप भी कहकर पुकारा जाता है। प्रजा की जीविका के उपायों का मनन करने के कारण उनको मनु और कुलधर भी कहा गया है। आदिपुराण में एक हजार नाम की चर्चा है। दस अवतार का भी वर्णन किया गया है। कहा कि जैनधर्म में 63 स्तर है, उसमें जो स्र्वोच्च स्थान पर रहते हैं उनको तीर्थकर कहा जाता है।
सिदो-कान्हू विवि के कुलपति प्रो. मनोरंजन प्रसाद सिन्हा ने प्रो. तिवारी को पुष्प गुच्छ और अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया। डीएसडब्लू डॉ. गौरव गांगुली ने संगोष्ठी में आए अतिथियों के प्रति आभार प्रकट किया। संचालन डॉ. अजय सिन्हा ने किया। व्याख्यान में छात्र-छात्राओं के अलावा डॉ. एएन पाठक, डॉ. पीके वर्मा, डॉ. बीके ठाकुर, डॉ. विनोद झा, डॉ. संजय सिंह, डॉ. डीएन गोराई, डॉ. निर्मला त्रिपाठी, डॉ. स्नेहलता, डॉ. निरंजन मंडल, डॉ. रंजना त्रिपाठी मुख्य रूप से उपस्थित थे।