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कृषि लागत में कमी से बढ़ेगी किसानों की आय

जागरण संवाददाता दुमका किसानों की आय में वृद्धि के लिए अब कृषि विज्ञानी न सिर्फ नई तकनीक अ

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 Jan 2021 12:41 AM (IST)Updated: Thu, 21 Jan 2021 12:41 AM (IST)
कृषि लागत में कमी से बढ़ेगी किसानों की आय
कृषि लागत में कमी से बढ़ेगी किसानों की आय

जागरण संवाददाता, दुमका : किसानों की आय में वृद्धि के लिए अब कृषि विज्ञानी न सिर्फ नई तकनीक और फसलों की किस्म को बढ़ावा देंगे बल्कि कृषि लागत में कमी लाने का प्रयास करेंगे। बुधवार को कृषि विज्ञान केंद्र में आयोजित 16 वीं विज्ञानी सलाहकार समिति की बैठक में ऐसा प्रस्ताव लाया गया। लागत में कमी लाने के लिए खेतों में प्रत्यक्षण और किसानों को प्रशिक्षण देकर किया जाएगा। इसके लिए तैयार कार्ययोजना को गहनता से विमर्श कर हरी झंडी दी गई। कृषि अभियंत्रण महाविद्यालय रांची के सह अधिष्ठाता डा.डीके रूसिया ने कहा कि वर्ष 21-22 के लिए तैयार कार्य योजनाओं को धरातल पर उतारने के लिए प्रस्तावों की स्वीकृति दी गई है। वर्ष 2020-21 में हुए शोध एवं उपलब्धियों पर चर्चा कर शेष कार्यों को भी पूरा करने का निर्णय लिया गया है।

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डॉ.रूसिया ने कहा कि किसानों को टपक सिचाई योजना और मलचिंग प्रबंधन से सब्जियों की खेती के लिए प्रेरित करें। इससे उत्पादन कम से कम तीन गुणा बढ़ने की संभावना तय है। किसान भिडी, टमाटर, बैंगन ही नहीं बल्कि हर तरह की सब्जियों की खेती में टपक सिचाई योजना और मचलिग प्रबंधन को अपनाएं। आफ सीजन में सब्जी और फलों का उत्पादन अधिक आमदनी का जरिया है। इसके लिए पालीटनल के सहारे पौधे तैयार करने के लिए प्रेरित किया जाए।

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लोहे का हल इस्तेमाल करें किसान

अधिक उत्पादन के लिए अब किसानों को पारंपरिक तरीके से खेती करने के बजाय तकनीक से जुड़ना आवश्यक है। डॉ.रूसिया ने कहा कि किसानों को देसी हल को हटाकर लोहे के हल का प्रयोग करना चाहिए। इससे जोताई गहरा होता और और खर-पतवार में भी कमी आती है। खेतों में गरमा जुताई कम से कम 15 इंच गहरा होना चाहिए। किसानों को चाहिए कि वे प्रत्येक तीन साल में खेत की मिट्टी को पलट दें। इससे कीड़े-मकोड़े व खर-पतवार में कमी आएगी।

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पशु विज्ञानी करें बर्ड फ्लू पर सेकेंडरी शोध

पशु विज्ञानियों को यह सलाह दी गई है कि वे बर्ड फ्लू से निजात के लिए कृषि विश्वविद्यालय की मदद से सेकेंडरी शोध करें। कृषि विज्ञान केंद्र में होने वाले प्रशिक्षण के लिए विषय विशेषज्ञ विज्ञानियों को विभागाध्यक्षों से संपर्क कर आमंत्रित किया जाना चाहिए।

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दूध में वसा मक्का से बढ़ेगा

पशुपालन करने वाले किसानों को अधिक से अधिक लाभ मिल सके इसके लिए दूध में वसा की मात्रा को बढ़ाने के बारे में किसानों को कई जानकारियां दी जाएगी। पशुओं के चारा में 30 की जगह 50 फीसद मक्का का प्रयोग किए जाने की सलाह दी जाएगी।

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चार हजार किसानों को ट्रेनिग

नए साल में इलाके के 4000 प्रगतिशील किसानों को विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण से जोड़ने का लक्ष्य है। 390 प्रत्यक्षणों के माध्यम से खरीफ और रबी के विभिन्न प्रभेद की फसल को चिह्नित किसानों के 121 हेक्टेयर भू-भाग पर प्रत्यक्षण किया जाएगा। बीते वर्ष 106 प्रशिक्षण कार्यक्रम और 132 प्रत्यक्षण किए गए थे। इन कार्यक्रमों से अनुसूचित जाति, जनजाति व सामान्य वर्ग के किसानों, ग्रामीण युवा व प्रसार कार्यकर्ताओं को जोड़ने का लक्ष्य है।

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स्ट्राबेरी कई उन्नत प्रभेद के फसलों का तैयार होगा सीडलिंग

कृषि विज्ञान केंद्र में कई उन्नत प्रभेद के फसलों का सीडलिंग तैयार कर इसे तयशुदा कीमत पर किसानों को मुहैया कराने प्रस्ताव लिया गया है। इसमें तरबूज के 2000, खीरा 500, मेरी गोल्ड 5000, टमाटर 5000, बैंगन 5000, पपीता 1000 और स्ट्रॉबेरी के 2000 पौधों का सीडलिंग तैयार किया जाएगा।

बैठक में डा. डीके रूसिया, डा.एस.कर्मकार, संयुक्त कृषि निदेशक संताल परगना अजय कुमार सिंह, जेडआरएस के सह निदेशक डा.पीबी साहा, जिला कृषि पदाधिकारी ओमप्रकाश सिंह, आत्मा के परियोजना निदेशक डा.दिवेश कुमार सिंह, वरीय कृषि विज्ञान डा.श्रीकांत सिंह, कृषि विज्ञान केंद्र दुमका के प्रधान डा.अजय कुमार द्विवेदी, डा.सुनील कुमार, डा.जयंत कुमार, डा.किरण कंडीर, डा.संजय कुमार, आशीष कुमार साह, डा.आइंद, जिला अग्रणी प्रबंधक प्रवीण कुमार, जिला पशुपालन पदाधिकरी डा.अवधेश कुमार, ओम प्रकाश मिश्र, मत्स्य प्रसार पर्यवेक्षक मुंशी किस्कू, भुवनेश्वर मांझी, परमेश्वर मंडल, संजीव कुमार आदि थे।


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