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ताला को आत्मसमर्पण कराने में नाकाम रहे हर एक एसपी, अंतत : मुठभेड़ में मिली मौत

दुमका : कभी गोपीकांदर प्रखंड के एरिया कमांडर के रूप में और बाद में संताल परगना का जोनल कमांडर के रूप म चर्चित ताला दा को आत्मसमर्पण कराने के लिए दुमका जिले में पदस्थापित अधिकांश पुलिस अधीक्षकों ने उसके घर काठीकुंड के सरुवापानी जाकर पुरजोर प्रयास किया था लेकिन किसी को सफलता नहीं मिल पाई थी।

By JagranEdited By: Published: Sun, 13 Jan 2019 04:36 PM (IST)Updated: Sun, 13 Jan 2019 04:36 PM (IST)
ताला को आत्मसमर्पण कराने में नाकाम रहे हर एक एसपी, अंतत : मुठभेड़ में मिली मौत
ताला को आत्मसमर्पण कराने में नाकाम रहे हर एक एसपी, अंतत : मुठभेड़ में मिली मौत

दुमका : कभी गोपीकांदर प्रखंड के एरिया कमांडर के रूप में और बाद में संताल परगना का जोनल कमांडर के रूप म चर्चित ताला दा को आत्मसमर्पण कराने के लिए दुमका जिले में पदस्थापित अधिकांश पुलिस अधीक्षकों ने उसके घर काठीकुंड के सरुवापानी जाकर पुरजोर प्रयास किया था लेकिन किसी को सफलता नहीं मिल पाई थी। एसपी वाईएस रमेश से पूर्व जिले में जो भी एसपी योगदान किए थे वह एक बार कभी इस इलाके का एरिया कमांडर रहे ताला के पिता बद्री राय से मिलकर ताला के सरेंडर का प्रयास जरूर करते थे। लेकिन इसमें किसी भी एसपी को सफलता हाथ नहीं लगी थी। बद्री वर्ष 2013 में जेल से छूटने के बाद मुख्यधारा में लौट चुका है और वह अभी गांव में खेतीबारी कर जीवनयापन कर रहा है।

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हालांकि वर्ष 2015 में पुलिस अधीक्षक प्रभात कुमार से प्रभावित होकर बद्री राय अपने बेटे को आत्मसमर्पण कराने के लिए राजी भी हो गया था। इसी बीच उनका तबादला हो गया और प्रयास ठंडे बस्ते में चला गया। इसके बाद जिले के तत्कालीन एसपी शैलेंद्र वर्णवाल ने भी कुछ ऐसा ही प्रयास किया था लेकिन एक माह बाद उनका भी तबादला हो गया। हालांकि तब वे एक माह के लिए ही दुमका के एसपी थे। एसपी विपुल शुक्ला ने भी कोशिश की थी लेकिन नाकामी हाथ लगी। इसके बाद एसपी मयूर पटेल ने भी दो तीन बार उस इलाके में कार्यक्रम आयोजित किए थे जिसमें बद्री राय भी शामिल हुआ। एसपी उसके घर भी गए लेकिन बात नहीं बनी। एसपी किशोर कौशल ने भी एक माह पहले काठीकुंड में पुलि¨सग कार्यक्रम में बद्री राय को शाल देकर सम्मानित किया। लेकिन ताला ने किसी के आगे घुटने नहीं टेका। एसपी के अलावा अभियान एएसपी इमानबेल बास्की और एसएसबी के पदाधिकारियों ने अपनी तरह से हरसंभव प्रयास किया लेकिन किसी को सफलता नहीं मिली। दरअसल पुलिस ताला को सरेंडर कराकर जिले से नक्सलवाद को पूरी तरह से सफाया करना चाहती थी और अंतत: रविवार को पुलिस-नक्सली मुठभेड़ में ताला मारा गया। ताला का एक भाई रामलाल राय भी नक्सली मामले में फिलहाल जेल में बंद है जबकि दूसरा भाई बाबू राय रामगढ़ में रहकर सामान्य जीवन बसर कर रहा है।


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