खदान व क्रशरों में तयमानकों की अनदेखी से बिगड़ रहा पयार्वरण व मानव का मिजाज
काठीकुंड गोपीकांदर थाना क्षेत्र के अहरीचुंआ गांव में संचालित क्रशर और पत्थर खदानों मे
काठीकुंड : गोपीकांदर थाना क्षेत्र के अहरीचुंआ गांव में संचालित क्रशर और पत्थर खदानों में कम उम्र के बच्चों से मजदूरी करवाया जा रहा है। खनन विभाग के तयमानकों की अनेदखी कर यहां बाल मजदूरों को काम पर लगाया जा रहा है। पत्थर खदानों में उड़नेवाले धूलकण इन बच्चों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डाल रही है सो अलग। यहां काम करनेवाले कई मजदूरों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि प्लांट पर किसी तरह की सुविधा नहीं है। पेयजल और शौचालय तक की कोई व्यवस्था नहीं है जबकि यहां काम करने महिला मजदूर भी आती हैं। प्लांट के चारों ओर धूलकण नहीं फैले इसके लिए 15 फीट ऊंची दीवार का निर्माण कराए जाने का प्राविधान है पर इसका भी पालन नहीं हो रहा है। यहां उड़नेवाले धूलकण को रोकने के लिए डस्ट एक्सट्रैक्टरस, वाटर स्प्रिकलर से छिड़काव करना जरूरी है पर इसकी भी अनदेखी हो रही है। ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए स्टोन क्रशिग संयंत्र को बंद दीवारों के चैंबर में स्थापित करना आवश्यक है, लेकिन इसका भी यहां कोई प्राविधान नहीं है। धूलकण को रोकनेवाले वृक्षों की हरित पट्टी का विकास सबसे अहम है, लेकिन इन मानकों पर न तो खनन और ना ही वन विभाग गंभीर है। इस मामले में
गोपीकांदर अंचलाधिकारी राजीव कुमार ने कहा कि क्रशर और खदानों की जांच इन बिदुओं पर कभी नहीं होती है जिसके कारण यहां अवैध तरीके से नियमों की अनदेखी कर काम हो रहा है।
हालांकि एनजीटी के आदेश व जुर्माना के बाद अब पत्थर कारोबारियों में जुर्माना भरने को लेकर हड़कंप जरूर है।