आठ को पांच लाख 56 हजार बच्चे चबाएंगे एल्बेंडाजोल
दुमका : आठ फरवरी को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस है। इस दिन दुमका जिले में पांच लाख 56033 बच्चों को कृत्रिम मुक्ति की दवा खिलाई जाएगी।
दुमका : आठ फरवरी को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस है। इस दिन दुमका जिले में पांच लाख 56033 बच्चों को कृत्रिम मुक्ति की दवा खिलाई जाएगी। आठ फरवरी को छूटे बच्चों को चिह्नित कर 14 फरवरी को दवा की डोज दी जाएगी। कृमि मुक्ति दवा एक से दो वर्ष के बच्चों को एक टैबलेट का आधा हिस्सा और दो से 19 साल के बच्चों के बीच एक टेबलेट चबाकर या चूर कर खिलाया जाएगा। स्वास्थ्य महकमा की ओर से इसकी तैयारी कर ली गई है। लक्ष्य को हासिल करने के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों में निबंधित एक से पांच वर्ष के एक लाख 60,723 बच्चे और स्कूलों में नामांकित तीन लाख 95,310 बच्चों को चिह्नित किया गया है। इसके अलावा मदरसा के बच्चों को 14 से 16 फरवरी के बीच दवा खिलाई जाएगी। गैर-पंजीकृत और स्कूल ना जाने वाले बच्चों को भी आंगनबाड़ी केंद्रों के जरिए दवा खिलाई जाएगी।
ये है प्रखंडवार लक्ष्य
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प्रखंड -आंगनबाड़ी केंद्र -1-5 साल के बच्चे- सरकारी स्कूल- 6-19 साल के बच्चे- प्राइवेट स्कूल- 6-19 साल के बच्चे
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दुमका - 238 - 7944 - 252 -32794 - 97 - 22175
गोपीकांदर- 110 - 6792 - 144 - 9363 - 04 - 1704
जामा - 229 - 13675 - 256 - 24318 - 14 - 2064
जरमुंडी - 243 - 19595 - 308 - 34839 - 15 - 2745
काठीकुंड - 111 - 8123 - 185 -14590 - 09 - 0895
मसलिया - 204 - 13634 - 231 - 21061 - 11 - 1044
रामगढ़ - 236 - 16340 - 267 - 27804 - 32 - 6481
रानीश्वर - 204 - 10893 - 200 - 15161 - 09 - 2705
सरैयाहाट - 230 - 21191 - 252 - 32704 - 22 - 4344
शिकारीपाड़ा - 255 - 13285 - 270 - 23962 - 15 - 3697
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बच्चों में कृमि नियंत्रण के ये हैं फायदे
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- खून की कमी में सुधार
- बेहतर पोषण स्तर
- वातावरण में कृमि की संख्या कम होने पर समुदाय को लाभ
- स्कूल और आंगनबाड़ी में उपस्थिति व सीखने की क्षमता में सुधार
- कार्य क्षमता और औसत आय में बढ़ोत्तरी
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कृमि संक्रमण की रोकथाम के महत्वपूर्ण व्यवहार
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- नाखून साफ व छोटा रखें।
- हमेशा साफ पानी पीएं।
- खाने को ढककर रखें।
- साफ पानी से फल व सब्जियां धोएं।
- खाने से पहले और शौच जाने के बाद हाथ साबुन से धोएं।
- आसपास सफाई रखें।
- जूते पहनें और खुले में शौच नहीं करें।
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वर्जन
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कृमि नियंत्रण की दवा से बच्चों के संपूर्ण शारीरिक और मानसिक विकास में मदद मिलती है। स्वच्छ भारत का सपना तभी साकार होगा जब स्वस्थ्य समाज का निर्माण होगा। आठ फरवरी को हरेक व्यक्ति अभियान का सहभागी बनें।
डॉ.अनंत कुमार झा, सिविल सर्जन, दुमका
फोटो : 08
वर्जन -
खून की कमी, कुपोषण, भूख नहीं लगना, बेचैनी, पेट में दर्द, उल्टी और दस्त, वजन में कमी आना कृमि संक्रमण के लक्षण हैं। कृमि संक्रमण से बच्चों की सेहत पर कई तरह के हानिकारक प्रभाव हो सकते हैं। एल्बेंडाजोल बच्चों के लिए सुरक्षित दवा है और इसका प्रयोग चबा कर या चूर कर ही किया जाए।
डॉ. रमेश कुमार, जिला आरसीएच पदाधिकारी, दुमका
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