ई-पास की व्यवस्था का असर, सब्जी के भाव चढ़े
जागरण संवाददाता दुमका कोरोना संक्रमण करी चेन को तोड़ने के लिए राज्य सरकार ने स्वास्थ्य सु
जागरण संवाददाता, दुमका
कोरोना संक्रमण करी चेन को तोड़ने के लिए राज्य सरकार ने स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह में लॉकडाउन को 27 मई तक बढ़ा है। साथ ही वाहनों के लिए ई पास अनिवार्य कर दिया है। इस व्यवस्था का असर दुमका में सब्जी बाजार पर पड़ा है। ई पास को देखते हुए सब्जियां इतरा रही हैं। इसके भाव आसमान छू गए हैं।
वाहनों के परिचालन पर पाबंदी व ई-पास के कारण सब्जियों की आवक कम हुई है। दुमका शहर में सब्जियों की निर्भरता दुमका के ग्रामीण क्षेत्रों के अलावा रांची, कोलकाता, भागलपुर समेत कई अन्य शहरों पर है। इधर सब्जियों का आवक कम होने के कारण इनके भाव चढ़ गए हैं जिसका सीधा असर आमजनों के पॉकेट पर पड़ रहा है।
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इन इलाकों से आती हैं सब्जियां
रामगढ़, हंसडीहा, नोनीहाट, जरमुंडी, जामा, मसलिया, शिकारीपाड़ा, दुमका सदर प्रखंड के अलावा भागलपुर, बांका, बौंसी, कोलकाता, रांची
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सब्जियों के भाव
सब्जी - पहले - अब
नेनुआ - 20 - 30
झिगा - 30 - 40
करैला - 40 - 50
टमाटर - 18 - 35
आलू - 12 - 16
प्याज - 22 - 30
भिडी - 20 40
बैंगन - 30 - 40
नींबू - 05 - 08 रुपये प्रति नग
कद्दू - 15 - 20 रुपये प्रति नग
नोट ::भाव रुपये प्रति किलो है क्या कहते हैं सब्जी विक्रेता
कोविड-19 के कारण काफी परेशानी है। खास कर सब्जी विक्रेताओं के लिए बाजार बंदी और ई-पास जैसे नियमों के कारण ग्राहकों तक सहजता से पहुंच कम होता जा रहा है। सब्जियों के आवक पर भी असर पड़ रहा है। इसकी वजह से सब्जियों का भाव बढ़ना लाजिमी है।
रंजीत सिंह, सब्जी विक्रेता, टीन बाजार, दुमका
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सब्जियों का भाव बढ़ने से सीधा असर जेब पर पड़ रहा है। सभी हरी सब्जियों के भाव में डेढ़ से दोगुना तक की बढ़ोतरी हुई है। कोविड संक्रमण से जूझ रहे लोगों को चौतरफा आर्थिक बोझ पड़ रहा है। ई-पास के नियम के कारण सब्जियों का दाम बढ़ा है। सरकार को ध्यान देने की जरूरत है।
विक्रम पांडेय, स्थानीय निवासी, टीन बाजार
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पहले मोहल्ले में आकर दो-तीन सब्जी वाले रोजाना सब्जी दे जाते थे। दाम भी ठीक ही लेते थे लेकिन दो दिनों से इक्का-दुक्का सब्जी वाले ही आ रहे हैं। सब्जियों का भाव भी बढ़ा दिए हैं। पूछने पर कहा कि सब्जियों की आवक थोड़ी कम हो गई है और लाने में भी परेशानी हो रही है।
सरिता देवी, कुमारपाड़ा, दुमका
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सब्जियों के भाव बढ़ने से खपत में कटौती का निर्णय लिए हैं। कल तक दो सब्जियां अनिवार्य रूप से बनती थीं लेकिन अब एक सब्जी से ही काम चलाने की सोच रहे हैं। कारण आमदनी के हिसाब से ही खर्च भी करना पड़ता है। दूसरे सामान तो बाजार में जान-पहचान के दुकानदार से उधार भी ले लेते हैं लेकिन सब्जी के लिए नकद भुगतान करना पड़ता है।
सबीना बीबी, डंगालपाड़ा, दुमका
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