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शिक्षक न पुस्तकालय, कैसे बने छात्रों का भविष्य

नेतरहाट विद्यालय की तर्ज पर दो साल पहले शुरू हुआ जिला का पहला संथाल आवासीय विद्यालय में लंबे समय से शिक्षकों की कमी से जूझ रहा है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 18 Nov 2019 07:45 PM (IST)Updated: Tue, 19 Nov 2019 06:23 AM (IST)
शिक्षक न पुस्तकालय, कैसे बने छात्रों का भविष्य
शिक्षक न पुस्तकालय, कैसे बने छात्रों का भविष्य

मसलिया : नेतरहाट विद्यालय की तर्ज पर दो साल पहले शुरू हुआ जिला का पहला संथाल आवासीय विद्यालय में लंबे समय से शिक्षकों की कमी से जूझ रहा है। जिस कारण कई विषय के शिक्षकों की पढ़ाई लंबे समय से बंद हैं। सब कुछ जानते हुए आज तक शिक्षा विभाग की ओर से इसे व्यवस्थित करने का प्रयास नहीं किया गया। बच्चों की थाली से हरी सब्जी व घी गायब हो गया है।

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सरकार ने शैक्षणिक रूप से पिछड़े संथाल परगना के बच्चों को बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए वर्ष 17 में नेतरहाट विद्यालय के समकक्ष आवासीय विद्यालय की स्थापना की। यह स्कूल दुमका की विधायक लुईस मरांडी के विधानसभा क्षेत्र में आता है। मुख्यमंत्री से लेकर समाज कल्याण मंत्री ने विद्यालय की स्थापना कर सरकार के विकास कार्य को गिनाने में कोई कमी नहीं रखी। ज्यादातर सभा में इसका उल्लेख किया गया। चालू होने के बाद सरकार ने इसकी सुध लेने की आवश्यकता महसूस नहीं की। अभी कक्षा आठ में 45 व सात में 48 छात्र हैं। विद्यालय में कुल 11 शिक्षक के पद सृजित हैं। वर्तमान में अंग्रेजी, बायोलॉजी, हिन्दी व केमेस्ट्री के अलावा संगीत के शिक्षक हैं। गणित, भौतिक, इतिहास, नागरिक शास्त्र व भूगोल जैसे विषय के शिक्षक नहीं हैं। शिक्षकों की कमी की वजह से पढ़ाई बाधित हो रही है। ऐसा नहीं कि विद्यालय प्रबंधन ने शिक्षा विभाग को सारी स्थिति से अवगत नहीं कराया, लेकिन दो साल बीत जाने के बाद भी अन्य विषय के शिक्षकों की पदस्थापना नहीं हो सकी। किसी तरह का नियंत्रण न होने के कारण एक मात्र विद्यालय भी अब नाम का रह गया है। किसी ने सोचा नहीं था कि दो साल के अंदर इस विद्यालय का स्वरूप धरातल में चला जाएगा। बच्चों की सुरक्षा के लिए न तो गार्ड हैं और न ही चारदीवारी। भोजन की गुणवत्ता इतनी खराब है कि बच्चे खाने से भी कतराते हैं। बाल संसद के प्रधानमंत्री आनन्द कुमार ने बताया कि भोजन की गुणवत्ता काफी खराब है। हरा सब्जी का तो दर्शन भी नही मिलता है। घी देने का प्रावधान है, परन्तु नहीं दिया जाता है। लगातार नियमित रूप से नाश्ता में पूड़ी देने की वजह से छात्रों का पेट खराब हो रहा है। चार दिन से फल भी नही मिला है। कभी मिलता भी है तो सड़ा एवं कीड़ा लगा हुआ। धनबाद के रौशन कुमार ने बताया कि रात में रोटी के साथ जो खीर दी जाती है उसमें दूध ही नहीं रहता है। गुमला के विकास भगत ने बताया कि अभी तक छात्रों को जाड़ा का कपड़ा एवं जूते नहीं मिले हैं। छात्र अभिषेक कुमार ने बताया कि विद्यालय में प्रयोगशाला व लाइब्रेरी नहीं है। गिरिडीह के नवलेश कुमार सहित सभी छात्रों ने बताया कि पूर्व में छात्रों को जो ब्लेजर एवं पेंट दी गई थी उसकी गुणवत्ता काफी घटिया है।

कुछ माह पूर्व तक उच्च विद्यालय में पदस्थापित विज्ञान व गणित के शिक्षक के स्थानान्तरण के बाद से दोनों विषय की पढ़ाई ठप है, जबकि आठवीं की बोर्ड परीक्षा 7 जनवरी 2020 से शुरू हो रही है। विद्यालय के प्राचार्य डॉ. कौशल कुमार ने शिक्षक की कमी को स्वीकार करते हुए कहा कि विभागीय पदाधिकारी कमी को दूर करने का प्रयास कर रहे हैं। बीच-बीच में हरी सब्जी दी जाती है। कपड़ा एवं जूता जल्द ही आ जाएगा।

जिला शिक्षा अधिकारी पूनम कुमारी ने बताया कि निरीक्षण के दौरान किसी छात्र ने इस तरह की शिकायत नहीं की। फिर से निरीक्षण कर छात्रों से बात की जाएगी।


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