पॉलीथिन का विकल्प बनेगा ईको फ्रेंडली कैरी बैग
दुमका : पर्यावरण पर प्रदूषण के बढ़ते खतरे और सरकार के स्तर से पालीथिन पर लगाए गए पाबंदी के बाद अब ईको फ्रेंडली कैरी बैग प्लास्टिक बैग को बाजार में लाया जा रहा है।
दुमका : पर्यावरण पर प्रदूषण के बढ़ते खतरे और सरकार के स्तर से पालीथिन पर लगाए गए पाबंदी के बाद अब ईको फ्रेंडली कैरी बैग प्लास्टिक बैग को बाजार में लाया जा रहा है। संताल परगना भी अब इस दिशा में कदम निकाल चुका है। घास-फूस से बने 50 माइक्रोन का यह बैग ईको फ्रेंडली है। जीएसटी ईको ग्रेड ग्रीन बैग के नाम से प्रचलित कैरी बैग के निर्माण की तकनीक आइएनसी यूएसए ने तैयार की है। इस अमेरिकी फार्म की भारतीय इकाई ने दिल्ली, तेलांगना, राजस्थान, पंजाब, चेन्नई के बाद अब झारखंड की ओर रूख किया है। पहले राजधानी रांची और अब उपराजधानी दुमका में इसके प्रचलन को बढ़ावा देने की पहल हो रही है। इसके लिए दुमका के कल्पना मेडिकल्स को संताल परगना के सभी छह जिलों के अतिरक्ति धनबाद व बोकारो के लिए डिस्टिीब्यूटर बहाल किया है।
मिट्टी में मिलकर बन जाता है खाद
बायोपालिमर्स उत्पादों से तैयार होनेवाला यह 50 माइक्रोन का बैग इनवायरमेंट फ्रेंडली है। इसके इस्तेमाल से किसी प्रकार का नुकसान नहीं होता है। 240 दिनों में मिट्टी में मिलकर यह कैरी बैग खाद बन जाता है। यह ईको ग्रेड डिग्रेड बैग ग्रामीण इलाकों में मिलनेवाली घास-फूस और पत्तियों से तैयार कंपाउंड में कैल्सियम ओलेफिनिक ग्लूसेट के मिश्रण से तैयार किए जाते हैं। भारत में इसका निर्माण गन्ने के सूखे छिलके, मधुमक्खी के छत्तों की वैक्स और मकई के सत को मिलाकर दानेनुमा उत्पाद से किया जाता है। जलाने पर यह बैग पाउडर जैसा बन जाता है और किसी तरह की विषैली गैस भी नहीं निकलती है। जमीन में दबाने पर 40 दिन के अंदर विघटित होने लगता है और 240 दिनों पूरी से मिट्टी में मिल जाता है। मिट्टी में मिलने के बाद इसका पाउडर खाद की तरह काम करता है और मिट्टी की उर्वरक क्षमता नौ फीसद तक बढ़ जाती है।
वर्जन
पेपर बैग काफी कमजोर होता है। इसकी लाइफ भी कम होती है और बनाने में मेहनत भी काफी लगता है। पालीथीन पर्यावरण के साथ जीव-जंतुओं के लिए भी खतरनाक साबित हो रहा है। जीवन के लिए अत्यंत खतरनाक होने की वजह से ही सरकार ने इसके प्रचलन पर रोक लगाने का ऐलान किया है। ऐसे में ईको फ्रेंडली बैग हरेक दृष्टिकोण से सही है और दुमका में इसका प्रचलन तेजी से बढ़ रहा है।
सुमित कुमार दास, डिस्टिब्यूटर
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