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Dumka: आशीर्वाद भी नहीं रोक पा रही महिलाओं के कदम, प्रशासन की सख्ती के बावजूद सड़क किनारे बिक रही हड़िया दारू

झारखंड सरकार ने सड़क किनारे देसी शराब यानी हड़िया और दारू बेचने वाली महिलाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए फूलो झानो आशीर्वाद योजना शुरू की। दुमका में महिलाओं को शराब बेचने से रोकने के लिए कई बार अभियान चला।

By Rohit Kumar MandalEdited By: Mohit TripathiPublished: Sun, 07 May 2023 04:46 PM (IST)Updated: Sun, 07 May 2023 04:49 PM (IST)
Dumka: आशीर्वाद भी नहीं रोक पा रही महिलाओं के कदम, प्रशासन की सख्ती के बावजूद सड़क किनारे बिक रही हड़िया दारू
प्रशासन के काफी प्रयास के बाद भी शराब बिक्री से नहीं भंग हो रहा मोह।

जागरण संवाददाता, दुमका: झारखंड सरकार ने सड़क किनारे देसी शराब यानी हड़िया और दारू बेचने वाली महिलाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए फूलो झानो आशीर्वाद योजना शुरू की। दुमका में महिलाओं को शराब बेचने से रोकने के लिए कई बार अभियान चला।

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महिलाओं ने अधिकारियों के सामने शराब नहीं बेचने की शपथ ली, लेकिन आशीर्वाद योजना उनके विचारों को बदल नहीं सकी। गांधी मैदान से किनारा करने के बाद अब महिलाओं ने बस स्टैंड के पीछे और हवाई अड्डा जाने वाले मार्ग में कई जगह पर अपना नया ठिकाना बना लिया है। अब तो इसमें पुरुष भी शामिल हो गए हैं।

आशीर्वाद भी नहीं रोक पा रही महिलाओं के कदम

दरअसल सरकार की सोच थी कि शराब बेचने वाली महिलाएं इसे छोड़कर कोई दूसरा रोजगार करें। इससे उनकी माली हालत में सुधार आएगा और परिवार पर भी इसका असर नहीं पड़ेगा। जिला प्रशासन ने जेएसपीएलएस के साथ मिलकर पहले गांधी मैदान के समीप शराब बेचने वाली महिलाओं को समझाया।

यह सिलसिला एक सप्ताह तक चला। रोज महिलाओं को हटाया जाता और दूसरे दिन फिर जमावड़ा लग जाता। इसके बाद महिलाओं को खदेड़ा गया। कई की शराब को बहा दिया गया। इसके बाद करीब दो दर्जन महिलाओं ने आशीर्वाद योजना का लाभ लेने के लिए हामी भरी। गदगद प्रशासन ने बाकायदा बधाई पत्र देकर उनका हौसला बढ़ाया। एक दर्जन ने रोजगार के लिए जेएसपीएलएस के कार्यालय में आवेदन दिया। कुछ ने रोजगार शुरू भी किया, लेकिन कुछ को सरकार की यह योजना रास नहीं आई। इन महिलाओं ने गांधी मैदान छोड़कर नया ठिकाना तलाश लिया।

कहां-कहां बिकती है हड़िया

शहर के प्रमुख रास्ते इन महिलाओं से अछूते नहीं है। बस स्टैंड के पीछे दर्जन भर से अधिक महिला व पुरुष रोज सुबह शराब बेचते दिख जाएंगे। इसके अलावा महिला कालेज से चंद कदम दूर, लखीकुंडी पंचायत भवन के सामने, डंगालपाड़ा और एसपी कालेज मार्ग में सुबह से देसी शराब पीने वालों की भीड़ लग जाती है।

एक दिन में हजार तक की कमाई

महिलाएं ज्यादातर दूसरों की बनाई शराब बेचती हैं। एक महिला दिन में कम से एक पांच सौ और पेशेवर लोग एक हजार तक की कमाई कर लेते हैं। तेज धूप में इसकी बिक्री और बढ़ जाती है। धूप से बचने के लिए लोग किसी दूसरी चीज की बजाय शराब को अधिक महत्व देते हैं।

सदर में चार सौ ने छोड़ी बिकी

जेएसपीएलएस और अधिकारियों के लगातार प्रयास की बदौलत सदर प्रखंड की करीब चार सौ महिलाओं ने शराब से तौबा कर ली है। अब ये महिलाएं सरकार की योजना का लाभ उठाकर कोई दूसरा रोजगार कर रही है। इन सभी को जेएसपीएलएस की ओर से पहली किस्त के रूप में दस हजार रुपया दिया गया है। यह पैसा चुकता करने के बाद दो किस्त में 15-15 हजार और अंतिम में 20 हजार यानी कुल 50 हजार रुपया दिया जाएगा। योजना की खास बात यह है कि महिलाओं को पैसों के बदले में किसी तरह का ब्याज नहीं देना पड़ता है।

क्या बोले पदाधिकारी

जेएसपीएलएस सदर के प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी निर्मल कुमार वैद्य कहते हैं कि महिलाओं को समझाया ही जा सकता है। कई बार प्रयास किया, लेकिन बहुत सी महिलाएं अधिक कमाई की वजह से योजना से जुड़ना ही नहीं चाहती है। उन्हें शराब बेचने से ही संतुष्टि मिलती है। इसके बाद भी समझाने का प्रयास हमेशा चलता रहेगा। प्रयास है कि सारी महिलाएं शराब बेचना छोड़ सरकार की योजना का लाभ उठाएं


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