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Dumka Acid Attack Case: DIG के आदेश के बाद दर्ज हो सका एसिड पीड़िता का बयान,पुलिस पर आरोपियों को बचाने का आरोप

दुमका पुलिस की मनमानी किसी से छुपी नहीं है। यही कारण है कि वारदात के 25 दिन बाद डीआईजी के आदेश पर एसिड पीड़िता का न्यायालय में बयान दर्ज कराया जा सका। दुमका पुलिस आरोपियों की गिरफ्तारी करने के बजाय आरोपियों को बचाने के लिए परिवार पर दबाव बनाती रही।

By Rohit Kumar MandalEdited By: Mohit TripathiPublished: Tue, 25 Apr 2023 11:02 PM (IST)Updated: Tue, 25 Apr 2023 11:02 PM (IST)
Dumka Acid Attack Case: DIG के आदेश के बाद दर्ज हो सका एसिड पीड़िता का बयान,पुलिस पर आरोपियों को बचाने का आरोप
Dumka Acid Attack Case: डीआइजी के निर्देश पर पुलिस ने कराया बयान।

जागरण संवाददाता, दुमका। Dumka Acid Attack Case: दुमका पुलिस की मनमानी किसी से छुपी नहीं है। यही कारण है कि वारदात के 25 दिन बाद डीआईजी के आदेश के बाद एसिड पीड़िता का न्यायालय में बयान दर्ज कराया जा सका। इससे पहले एसपी ने तीन अप्रैल को सरैयाहाट के थाना प्रभारी को फरार चल रहे चारों आरोपियों की गिरफ्तारी का आदेश दिया था लेकिन पुलिस ने किसी की गिरफ्तारी नहीं की। इसके उलट पुलिस पीड़िता के पिता पर रुपया ले-देकर मामला का समझौता कराने का दबाव बनाती रही।

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आरोपियों ने निरंजन यादव के परिवार पर डाल दिया था तेजाब

31 मार्च को सरैयाहाट के कोरदाहा गांव में झाेपड़ी छाने के विरोध में निरंजन यादव और मुन्ना साह के बीच कहासुनी हो गई थी। बात इतनी आगे बढ़ी कि मुन्ना ने अपनी जेवरात की दुकान से तेजाब लाकर निरंजन यादव के परिवार वालों पर उड़ेल दिया था।

हमले में झुलस गया था पूरा परिवार

इस हमले में निरंजन यादव, पत्नी शांति देवी, बेटा सुजीत यादव व बेटी खुशबू कुमारी झुलस गई। हमले में निरंजन की बेटी खुशबू का चेहरा बुरी तरीके से जल गया था। अगले दिन पुलिस ने दोनों पक्ष पर काउंटर केस किया। यहीं शुरू होता है पुलिस का असली खेल।

फरार चारों आरोपियों को नहीं की गिरफ्तारी

पुलिस ने पीड़ित परिवार की बजाय मुन्ना साह के बयान पर पहले ही प्राथमिकी दर्ज कर ली। जब मीडिया में बात आई तो पुलिस ने विरोध पक्ष के फागू दास की गिरफ्तारी की। उसके बाद से फरार चल रहे चार अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी का पुलिस ने कोई प्रयास नहीं किया।

एसपी से मुलाकात कर लगाई थी गुहार

विवश होकर पीड़ित परिवार से एसपी से आवास में मुलाकात की। एसपी ने थानेदार को तत्काल बाकी आरोपियों की गिरफ्तारी का आदेश दिया लेकिन 22 दिन बीत जाने के बाद भी किसी की गिरफ्तारी तक नहीं की गई। यहां तक पुलिस ने पीड़िता का अदालत में बयान कराना भी पुलिस ने जरूरी नहीं समझा।

पीड़ित परिवार ने डीआईजी से की मुलाकात

सोमवार को पीड़ित परिवार ने डीआईजी से मुलाकात कर दुमका पुलिस की इस करतूत से परिचित कराया और मामले में कार्रवाई करने की मांग की। इसके बाद डीआईजी के आदेश के बाद ही थाना प्रभारी विनय कुमार ने मंगलवार को पीड़िता का सार्थक शर्मा की अदालत में बयान दर्ज कराया।

खुलेआम घूम रहे आरोपी

इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि पुलिस इस मामले में कितनी गंभीर है। आरोपी खुलेआम घूम रहे हैं लेकिन पुलिस हाथ डालने का साहस नहीं कर पा रही है। पिता का कहना है कि पुलिस शुरू से ही आरोपी के पक्ष में काम कर रही है। इसलिए बाकी आरोपियाें की गिरफ्तारी नहीं की जा रही है।

पुलिस के एक अधिकारी बना रहे समझौता का दबाव

पीड़ित के पिता की मानें तो एक डीएसपी स्तर का अधिकारी केस में समझौता कराने के लिए दबाव बना रहा है। पीड़ित के पिता ने बताया कि समझौता करने के लिए उसे दो लाख का ऑफर तक दिया गया लेकिन उन्होंने समझौता से इनकार कर दिया।

खुलेआम जान से मारने की धमकी दे रहे आरोपी

उन्होंने बताया कि आरोपी लोग दबंग के साथ पैसे वाले भी हैं, इसलिए पुलिस उनकी हर तरह से मदद कर रही है। चारों आरोपी खुलेआम जान मारने की धमकी दे रहे हैं लेकिन शिकायत के बावजूद गिरफ्तारी के लिए पुलिस कड़ा कदम नहीं उठा रही है।


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