देवोत्थान एकादशी आज, बासुकीनाथ में होंगे कई धाíमक अनुष्ठान
बासुकीनाथ विश्व प्रसिद्ध बाबा बासुकीनाथ के दरबार में देवोत्थान एकादशी को लेकर बासुकीनाथ के पंडा पुरोहित व स्थानीय ग्रामीणों में हर्ष उल्लास उमंग आस्था व नियम निष्ठा का वातावरण बना हुआ है। पवित्र देवोत्थान एकादशी का शुक्रवार को धूमधाम से आयोजन होगा। इस अवसर पर मंदिर परिसर में कई धाíमक अनुष्ठान भी आयोजित होंगे। काíतक मास शुक्ल पक्ष की एकादशी को वर्ष की सबसे बड़ी एकादशी होती है।
बासुकीनाथ : विश्व प्रसिद्ध बाबा बासुकीनाथ के दरबार में देवोत्थान एकादशी को लेकर बासुकीनाथ के पंडा, पुरोहित व स्थानीय ग्रामीणों में हर्ष, उल्लास, उमंग, आस्था व नियम निष्ठा का वातावरण बना हुआ है। पवित्र देवोत्थान एकादशी का शुक्रवार को धूमधाम से आयोजन होगा। इस अवसर पर मंदिर परिसर में कई धाíमक अनुष्ठान भी आयोजित होंगे। काíतक मास शुक्ल पक्ष की एकादशी को वर्ष की सबसे बड़ी एकादशी होती है। क्योंकि इस दिन चातुर्मास का समापन होता है और भगवान विष्णु चार महीने के विश्राम के बाद पुन: धरती का कार्यभार संभालने के लिए जाग उठते हैं। इसके चार माह पूर्व आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयन करते हैं और काíतक शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन उठते हैं। इसीलिए इसे देवोत्थान एकादशी कहा जाता है। मान्यता है कि देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु क्षीरसागर में चार माह शयन के बाद जागते हैं। भगवान विष्णु के शयनकाल के चार मास में विवाह आदि मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं, इसीलिए देवोत्थान एकादशी पर भगवान हरि के जागने के बाद शुभ तथा मांगलिक कार्य शुरू होते हैं। इस दिन तुलसी विवाह का आयोजन भी किया जाता है। बासुकीनाथ मंदिर परिसर स्थित भगवान विष्णु के मंदिर में मंदिर के पुजारी दिवाकर झा, राजेश कुमार झा, सारंग बाबा, कारू बाबा सहित अन्य द्वारा भगवान को मंत्र पढ़कर उठाया जाएगा। इस एकादशी को देवोत्थान एकादशी, देव उठनी एकादशी, देव प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है। बासुकीनाथ मंदिर के पंडित मणिकांत झा उर्फ मन्नो बाबा, पंडित आशुतोष झा कहते हैं कि शास्त्रों में इस एकादशी का सर्वाधिक महत्व बताया गया है। इस एकादशी के व्रत को करने का तो अपना महत्व है ही इस दिन सुख, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए कई तरह के उपाय भी किए जाते हैं। क्योंकि भगवान विष्णु अपनी शैया से जागते ही भक्तों को आशीर्वाद देने के लिए आतुर रहते हैं।
देवोत्थान एकादशी महत्वपूर्ण लाभ
बासुकीनाथ मंदिर के पंडित मणिकांत झा के मुताबिक देवोत्थान एकादशी का व्रत समस्त प्रकार के पाप, शोक, दुख, संकटों का नाश करनेवाला होता है। इसलिए आप वर्ष की कोई एकादशी पर व्रत नहीं रखते हों, लेकिन इस एकादशी के दिन व्रत जरूर रखें। इस दिन सूर्योदय पूर्व जागकर स्नान कर भगवान विष्णु का विधिवत पूजन करें। एकादशी व्रत का संकल्प लें और एकादशी की व्रत कथा का पाठ या श्रवण करें। तुलसी विवाह संपन्न कराने से परिवार में कोई संकट नहीं रहता, समस्त सुखों की प्राप्ति होती है। इस दिन दीपदान करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है।