रेल खंडों पर जीआरपी थाना का नहीं रहने से सुरक्षा को खतरा
दुमका : अथक प्रयासों के बाद झारखंड की उपराजधानी दुमका रेलवे के मानचित्र पर जरूर है लेि
दुमका : अथक प्रयासों के बाद झारखंड की उपराजधानी दुमका रेलवे के मानचित्र पर जरूर है लेकिन अब भी इस क्षेत्र की जनता रेलवे की मूलभूत व प्रीमियम सेवाओं से काफी अलग-थलग है। हाल यह कि दुमका- देवघर, दुमका-भागलपुर और दुमका रामपुरहाट रेलवे खंड की सुरक्षा अब भी पुख्ता तरीके से तय नहीं हो पाई है। इन खंडों पर राजकीय रेल पुलिस (जीआरपी) के थाने अब भी नहीं खोले गए हैं। दुमका- देवघर रेलखंड के लिए जसीडीह में स्थापित जीआरपी के थाना से काम चल रहा है जो धनबाद रेल पुलिस और आसनसोल डिविजन के दायरे में है। इसी तरह से दुमका-हंसडीहा-भागलपुर रेलखंड भागलपुर और दुमका-रामपुरहाट रेल खंड मालदा डिविजन के दायरे में है। इन खंडों पर भी जीआरपी के थाने नहीं हैं। हालांकि जानकारी के मुताबिक दुमका-देवघर रेलखंड के विभिन्न स्टेशनों पर रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (आरपीएफ) की तैनातगी की गई है लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। दुमका रेलवे स्टेशन पर फिलहाल एक एएसआई समेत पांच कांस्टेबुल की स्थायी पो¨स्टग की गई है जिसके भरोसे रेलवे सुरक्षा के मामले हैं।
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क्या फर्क है आरपीएफ और जीआरपी में
रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स केंद्रीय स्तर पर कार्य करती है जबकि जीआरपी का मतलब गवर्नमेंट रेल पुलिस से है। आरपीएफ के दायरे में रेलवे एक्ट के प्रावधान के तहत होनेवाले अपराध व विधि व्यवस्था संधारण की जिम्मेवारी तय है जबकि अधिकांश संज्ञेय अपराध, दुष्कर्म, हत्या समेत ऐसे अन्य घटनाओं के मामले में जीआरपी को जिम्मेवार बनाया गया है। रेलवे सुरक्षा बल देश को सर्वोत्तम बलों में एक माना गया है। यह एक ऐसी सुरक्षा बल है जो रेल यात्रियों की सुरक्षा, भारतीय रेलवे की संपत्तियों
की रक्षा, देश विरोधी गतिविधियों में रेलवे सुविधाओं के इस्तेमाल की निगरानी रखती है, जबकि जीआरपी भी सरकारी रेलवे पुलिस है जो राज्य पुलिस का हिस्सा है। ट्रेन समेत रेलवे पर कानून व्यवस्था और पुलिस व्यवस्था जीआरपी की जिम्मेवारी है।
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ये है तीनों रेल खंडों पर स्टेशन व हाल्ट
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दुमका - जसीडीह रेलखंड
दुमका, मदनपुर, जामा, बासुकीनाथ, चंदनपहाड़ी, घोरमारा, मोहनपुर, देवघर और जसीडीह
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दुमका-रामपुरहाट रेलखंड पर स्टेशन
दुमका, शिकारीपाड़ा, पिनरगड़यिा, रामपुरहाट और इनके बीच कई हाल्ट भी हैं
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दुमका- हंसडीहा रेलखंड पर स्टेशन
दुमका, बारापलासी, भतुरिया-नोनीहाट, हंसडीहा और इनके बीच कई हाल्ट भी हैं।
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स्थानीय थानों की मदद से काम चला रही रेलवे
15 अगस्त के दिन दुमका-हंसडीहा रेलखंड पर बारापलासी स्टेशन के शौचालय सात वर्षीया बच्ची का शव बरामद होने और इसके बाद शंका के आधार पर कथित तौर पर एक विक्षिप्त को पीट कर मार देने की घटना के बाद सुरक्षा मानकों की पोल खुलकर सामने आई है। इस घटना की सूचना मिलने के बाद जामा थाना समेत जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन सक्रिय भूमिका निभा कर भले ही मामले को काबू में किया है लेकिन इस घटना के बाद रेलवे प्रशासन को गंभीरता से सोचने की जरूरत है। इस घटना के बाद जीआरपी थानों के साथ आरपीएफ की सक्रिय भागीदारी इन तीनों रेल खंडों पर सुनिश्चित किए जाने की भी नितांत जरूरत है। इससे कतई इंकार नहीं किया जा सकता है कि रेलवे के स्तर से अगर इन खंडों पर मुकम्मल सुरक्षा व्यवस्था बहाल की गई होती तो शायद बारापलासी की घटना टल सकती थी।