दुमका बस स्टैंड में यात्री सुविधाओं का घोर अभाव
दुमका : उपराजधानी दुमका के बस स्टैंड पर बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। दुमका बस स्टैंड से रोजाना करीब
दुमका : उपराजधानी दुमका के बस स्टैंड पर बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। दुमका बस स्टैंड से रोजाना करीब 200 से अधिक यात्री वाहनों का परिचालन होता है। तकरीबन 15 हजार यात्री रोजाना आवागमन करते हैं। यहां से कोलकाता, रांची, भागलपुर, रामपुरहाट, पाकुड़, देवघर, साहिबगंज, जामताड़ा, गोड्डा समेत कई महत्वपूर्ण शहरों के लिए यहां से बस खुलती है। दुमका नगर परिषद को बस स्टैंड से प्रतिमाह लाखों रुपये का राजस्व मिलता है। इसके बावजूद यहां सुविधा नगण्य है।
एक अदद पूछताछ कार्यालय भी नहीं
दुमका बस स्टैंड में यात्रियों की जानकारी के लिए कोई मुकम्मल व्यवस्था नहीं है। एक अदद पूछताछ कार्यालय तक नहीं खोला जा सका है। नतीजतन यहां यात्रियों को काफी परेशानी होती है। जानकारी के लिए एक-एक काउंटर पर जाकर पूछताछ करनी पड़ती है। ऐसे में महिला यात्रियों को भारी फजीहत का सामना करना पड़ता है।
दर्जनों यात्री बसों का होता ठहराव
बस स्टैंड में तकरीबन 50 से अधिक बस रात में डेरा जमाए रहते हैं। जबकि बस को यात्रियों को लेकर जाना और आना होता है। इसे स्टैंड में रात भर खड़ा करने का नियम नहीं है।
स्टैंड के अंदर ठेला द्वारा समान बेचने से भी यात्रियों व वाहन दोनों को परेशानी होती है। यहां शौचालय व यूरिनल की भी कोई व्यवस्था नहीं है। सफाई की कमी के कारण इसका इस्तेमाल करना खतरनाक है। पेयजल व्यवस्था के नाम पर एक प्याऊ है लेकिन इसके टंकी की भी सफाई नहीं होती है। यात्री शेड जर्जर है। बारिश होने पर पानी टपकने लगता है।
यात्रियों से किराया लिया जाता है तो उन्हें सुविधाएं भी मिलनी चाहिए। यहां पर उद्घोषणा नहीं होती है जिसकी वजह से यात्रियों को काफी परेशानी होती है।
-सुसन्ना सोरेन, यात्री
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यात्री शेड जर्जर अवस्था में है। इसकी मरम्मत होनी चाहिए ताकि दूर-दराज की यात्रा करने वाले यात्री यहां विश्राम कर सकें और समय बीता सकें।
-अबुबकर सिद्दिकी, यात्री
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दुकान के पीछे की नाली गंदगी से बजबजा रही है। इसकी ओर नगर परिषद का कोई ध्यान ही नहीं जाता है। इसकी सफाई अविलंब होनी चाहिए।
-राजेश कुमार साह, दुकानदार
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दुकानदारों को पानी की काफी किल्लत होती है। पानी के लिए दूर जाना पड़ता है। पानी के लिए कोई व्यवस्था की जाए।
-वीरेंद्र यादव, दुकानदार
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बस स्टैंड के अंदर शाम होते ही असामाजिक तत्वों का जमावड़ा होना शुरू हो जाता है। इसके लिए प्रशासन को खास चौकसी बरतने की जरूरत है।
-सुजीत यादव, दुकानदार
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