इकलौते बेटे की मौत से भुंडा परिवार सदमे में
बासुकीनाथ : जरमुंडी प्रखंड के चमराबहियार पंचायत के बारा जरका गांव में रविवार को मातमी
बासुकीनाथ : जरमुंडी प्रखंड के चमराबहियार पंचायत के बारा जरका गांव में रविवार को मातमी सन्नाटा पसरा था। गांव के भुंडा मुर्मू व उनके परिजन अपने इकलौते सात वर्षीय बेटे सेबास्टिन मुर्मू की मृत्यु की शोक में डूबे हुए थे और गांव पहुंच रहे लोगों को कातर भाव से देख रहे थे। आíथक संकट से गुजर रहे भुंडा अपने इकलौते बेटे को बेहतर शिक्षा दिलाने के लिए घर से दूर हंसडीहा थाना क्षेत्र के जियाजोर गांव में संचालित ºीस्त राजा स्कूल में पढ़ने के लिए भेजे थे लेकिन शनिवार को उसकी मौत की खबर के बाद से वे सन्न हैं।
पेशे से किसान भुंडा मुर्मू के इकलौते बेटे सेबास्टिन मुर्मू की आकस्मिक मृत्यु की खबर से पूरे गांव में शोक की लहर है। रविवार की दोपहर मृतक बालक का शव दुमका से पोस्टमार्टम के बाद गांव पहुंचा। मृतक का शव देखने के लिए आसपास के दर्जनों गांव के ग्रामीण जमा हो गए। ग्रामीण लोग बालक की मौत के लिए विद्यालय प्रबंधन को दोषी ठहरा रहे हैं। मृतक के पिता भुंडा मुर्मू ने बताया कि उनका पुत्र बुधवार से ही विद्यालय से गायब था। जबकि उसे इसकी सूचना आठ अगस्त यानि शनिवार को दी गई। मृतक के रिश्तेदार जामा थाना क्षेत्र के हाड़ा सिमर निवासी शिवलाल सोरेन ने बताया कि उन्होंने अपने भांजे भुंडा मुर्मू के इकलौते बेटे सेब्रास्टिन मुर्मू को पढ़ा लिखकर बड़ा आदमी बनने का सपना देखा था और इसी वजह से हंसडीहा थाना क्षेत्र के जियाजोर गांव स्थित मिशनरी की ओर से संचालित ºीस्त राजा स्कूल में पढ़ने के लिए भेजा था। उन्हें क्या पता था कि विद्यालय भेजने के कुछ दिन बाद ही उनके घर का इकलौता चिराग की मौत की सूचना आएगी। मृतक सेबास्टिन ºीस्त राजा स्कूल में एलकेजी का छात्र था। उसकी मृत्यु से पूरे गांव में मातम छाया हुआ है। ग्रामीण मणिलाल हेंब्रम ने बताया कि बारा गांव निवासी भुंडा मुर्मू पिता बड़का मुर्मू को एक सात वर्षीय पुत्र सेबास्टिन मुर्मू एवम डेढ़ साल की बच्ची है। मृतक सेबास्टिन मुर्मू घर का इकलौता पुत्र था। भुंडा मुर्मू की पत्नी लक्ष्मी टुडू अपने पुत्र की मृत्यु का समाचार सुनकर कल से ही सदमे में है। वह अपने डेढ़ वर्षीय बच्ची को गले से लगाकर बड़बड़ाए जा रही है। उसने कल से अब तक कुछ भी खाना पानी नही लिया है।
अव्वल शिक्षा की ललक से भेजा था घर से दूर
जरमुंडी प्रखंड मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित चमराबहियार गांव के सुदूर ग्रामीण इलाके में स्थित बारा जरका गांव में गरीब आदिवासी समुदाय के करीब 55 परिवार रहते हैं। इस गांव में 99 फीसदी ग्रामीण अभी भी मजदूरी ही करते हैं। अधिकांश ग्रामीण फूस व खपरैल के घरों में ही निवास कर रहे हैं। गांव में 75 फीसदी से अधिक घरों में अब तक शौचालय उपलब्ध नहीं हैं। भुंडा मुर्मू का भी घर टूटा-फूटा एवं खपरैल का है। उसे अब तक न तो आवास योजना या शौचालय योजना का लाभ मिला है। कमोबेश यह गांव पूरी तरह से मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। बस गांव के बीचोबीच एक पीसीसी सड़क ही थोड़ी बहुत गांव के विकास की बात करती दिखती है। इसके अलावा यह गांव अभी भी मूलभूत सुविधाओं से कोसों दूर है।