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बोल बम के जयकारे से भोलेनाथ होते प्रसन्न

बासुकीनाथ उत्तर वाहिनी गंगा जी से पवित्र जल भरकर कांवरियों की पैदल तीर्थ यात्रा जिस महामंत्र के साथ संपूर्ण होती है। वह बम शब्द का पवित्र नारा कोई साधारण शब्द नहीं अपितु महादेव को प्रसन्न करने का एक अमोध अस्त्र है। बम का यह पवित्र शब्द महादेव को अतिप्रिय है। इस महामंत्र के गुर सारतत्व में ब्रह्मा विष्णु और महेश्वर के बीज स्वरूप तत्व है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 29 Jul 2019 06:39 PM (IST)Updated: Tue, 30 Jul 2019 06:38 AM (IST)
बोल बम के जयकारे से भोलेनाथ होते प्रसन्न
बोल बम के जयकारे से भोलेनाथ होते प्रसन्न

बासुकीनाथ : उत्तर वाहिनी गंगा जी से पवित्र जल भरकर कांवरियों की पैदल तीर्थ यात्रा जिस महामंत्र के साथ संपूर्ण होती है। वह बम शब्द का पवित्र नारा कोई साधारण शब्द नहीं अपितु महादेव को प्रसन्न करने का एक अमोध अस्त्र है। बम का यह पवित्र शब्द महादेव को अतिप्रिय है। इस महामंत्र के गुर सारतत्व में ब्रह्मा, विष्णु और महेश्वर के बीज स्वरूप तत्व है। जिसके उच्चारण मात्र से ही तीन देवों की कृपा प्राप्त होने लगती है। शास्त्रों में लिखा है कि शिव नाम के जाप से बढ़कर पापक्षय और परमगति के लिए दूसरा कोई सुलभ रास्ता नहीं है। शिवपुराण के विद्येश्वर संहिता में तो यहां तक कहा गया है कि भगवान शिव के एक नाम के जाप में भी जितनी पाप हरण की शक्ति है, उतना उतना पाप तो मनुष्य कर ही नहीं सकता। महर्षियों ने संपूर्ण वेदों ऋचाओं का अवलोकन करके यही तय किया कि भगवान शिव के नाम का जप संसार रूपी सागर को पार करने के लिए सबसे अच्छा उपाय है। शिव नाम के जाप से पूर्व काल में महापापी राजा इंद्रद्युम्न ने परम गति प्राप्त कर ली थी। शिवनाम के प्रभाव से ही पापी ब्राह्माणी का उद्धार हुआ और उसे शिवत्व की प्राप्ति हुई। शिव को बम-बम का महामंत्र परम प्रिय है और बम-बम का श्रद्धापूर्वक जाप करनेवाला भक्त चाहे पातक (पापी) ही क्यों न रहा है। शिव सहित त्रिदेवों की कृपा प्राप्त हो ही जाती है। शिव पुराण के विद्येश्वर संहिता में शिवभक्तों के लिए कहा गया है कि जो लोग शिव की उपासना करते हैं वे धन्य है, कृतार्थ है। उनका मनुष्य देह धारण करना सफल है। जिनके मुख से शिव नाम का जाप होता है। पाप उनका स्पर्श तक नहीं कर पाते। पतित पावनी गंगा के जल से भरे पवित्र कलशों को साथ लिए भक्तगण जब कांवर यात्रा करते हैं। तब यह समय पूर्ण वैराग्य का होता है। शिव के साथ अनुराग और प्रीति बढ़ती जाती है। आस्था की इस कांवर यात्रा के दौरान श्रद्धालुगण पवित्र मन से बोल बम का नारा लगाते हुए चलते हैं। गंगा को भगवान शिव के मस्तकाभिषेक के लिए ले जाने की इस पवित्र प्रथा का प्रचलन वस्तुत: गृहस्थ मनुष्यों को सुलभ शिव कृपा का पात्र बनाना ही एक मात्र उद्देश्य है। शिवभक्ति के अनुराग में वैराग्य धारण कर श्रद्धालुओं की यह पवित्र कांवरयात्रा जब नियमत: पूर्ण हो जाती है। उस समय तक श्रद्धालुओं के मुख से अनायास ही शिवनाम का अनंत जप बोल बम के महामंत्र के रूप में संपूर्ण हो जाता है। इस प्रकार बोल बम के पवित्र मंत्रोच्चारण से अनंत गुणा शिव कृपा का फल शिवभक्तों को प्राप्त हो जाता है।

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