ज्ञान, भक्ति, वैराग्य का संगम है भागवत कथा
बासुकीनाथ विश्व प्रसिद्ध बाबा बासुकीनाथ धाम से सटे जरमुंडी नीचे बाजार में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान सप्ताह यज्ञ के तीसरे दिन शुक्रवार को शालीग्रामेश्वरनाथ मंदार के कथा व्यास संजयानंद महाराज ने भागवत कथा प्रसंग को आगे बढ़ाते हुए कुंती स्तुति प्रसंग की व्याख्या करते हुए बताया कि कुंती ने भगवान से वरदान में दुख और विपत्ती मांगी। कुंती ने कहा कि सुख में लोग भगवान को भूल जाते हैं और दुख की घड़ी में प्रभु का सदैव स्मरण करते हैं।
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संवाद सहयोगी, बासुकीनाथ: विश्व प्रसिद्ध बाबा बासुकीनाथ धाम से सटे जरमुंडी नीचे बाजार में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान सप्ताह यज्ञ के तीसरे दिन शुक्रवार को शालीग्रामेश्वरनाथ मंदार के कथा व्यास संजयानंद महाराज ने भागवत कथा प्रसंग को आगे बढ़ाते हुए कुंती स्तुति प्रसंग की व्याख्या करते हुए बताया कि कुंती ने भगवान से वरदान में दुख और विपत्ती मांगी। कुंती ने कहा कि सुख में लोग भगवान को भूल जाते हैं और दुख की घड़ी में प्रभु का सदैव स्मरण करते हैं। इस कारण कुंती ने भगवान से दुख और विपत्ति की मांग की। कथा व्यास ने भीष्म स्तुति, परीक्षित के जन्म, पांडव स्वर्गारोहण, सुकदेव जी से परीक्षित द्वारा पूछे गए प्रश्न सहित अन्य प्रसंगों की विस्तारपूर्वक व्याख्या की। इसी प्रसंग में बताया कि राजा परीक्षित को ऋषि बालक के द्वारा सात दिन में मरने का श्राप दिया गया। इस श्राप से मुक्ति के लिए सुकदेव जी का आगमन हुआ। गीता में 18 हजार श्लोक, 335 अध्याय, 12 स्कंध समाहित है। कथा में ज्ञान, भक्ति, वैराग्य का संगम है। संपूर्ण श्राप से मुक्ति दिलाने वाली कथा ही भागवत कथा है। यह कथा संसार में रहने व जीने का मर्म सिखाती है।
कथा व्यास संजयानन्द महाराज ने श्रद्धालुओं को बताया कि जैन संप्रदाय की स्थापना ऋषभदेव ने की थी। वह जैन संप्रदाय के प्रथम तीर्थंकर थे।