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अप्रैल-मई में तैयार हो जाए वाíषक फसल कैलेंडर

दुमका क्षेत्रीय अनुसंधान सह परामर्शदातृ समिति के चेयरमेन सह निदेशक अनुसंधान बिरसा कृषि विवि डॉ. डीएन सिंह ने कहा कि बदलती हुई जलवायु के हिसाब से समय पर फसल का उत्पादन हो। इसके लिए जरूरी है कि अप्रैल-मई तक वाíषक फसल कैलेंडर विवि एवं विभाग में बनकर तैयार हो जाए। ताकि कार्यशाला में सारे मसलों पर चर्चा हो। कहा कि 15 अक्टूबर के पूर्व रबी फसल की खेती हो जाए इसके लिए पूरी तैयारी कर लें।

By JagranEdited By: Published: Thu, 26 Sep 2019 06:21 PM (IST)Updated: Thu, 26 Sep 2019 06:21 PM (IST)
अप्रैल-मई में तैयार हो जाए वाíषक फसल कैलेंडर
अप्रैल-मई में तैयार हो जाए वाíषक फसल कैलेंडर

दुमका : क्षेत्रीय अनुसंधान सह परामर्शदातृ समिति के चेयरमेन सह निदेशक अनुसंधान बिरसा कृषि विवि डॉ. डीएन सिंह ने कहा कि बदलती हुई जलवायु के हिसाब से समय पर फसल का उत्पादन हो। इसके लिए जरूरी है कि अप्रैल-मई तक वाíषक फसल कैलेंडर विवि एवं विभाग में बनकर तैयार हो जाए। ताकि कार्यशाला में सारे मसलों पर चर्चा हो। कहा कि 15 अक्टूबर के पूर्व रबी फसल की खेती हो जाए इसके लिए पूरी तैयारी कर लें। कृषि विभाग, केवीके के संताल परगना स्तरीय पदाधिकारियों की बैठक के बाद समिति के चेयरमेन डॉ. सिंह ने जागरण से बातचीत में कहा कि संताल परगना के हर जिला में बेकार पड़े बंजर भूमि पर गम्हार समेत अन्य वन वृक्ष लगाने की अनुशंसा की गई है। केवीके एवं आत्मा को इस बात का निर्देश दिया गया है कि वह 2018-19 में रबी फसल के लिए जो प्रयोग सफल हुए हैं उनको किसानों को बताएं। ताकि किसानों की आमदनी दो गुणी हो सके।

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बैठक में यह तय हुआ कि 2019-20 में मिट्टी एवं जलवायु के हिसाब से कृषि एवं उद्यान पर हुए अनुसंधान पर विस्तार से चर्चा हुई। केवीके में हुए अनुसंधान पर वैाज्ञानिकों ने पीपीटी के माध्यम से प्रयोग एवं उसके परिणाम के बारे में जानकारी को रखा। बताया गया कि किस तरह इसके प्रयोग से उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है। निदेशक ने कहा कि एक पानी में तीसी की खेती। दो पानी में मसूर। तीन पानी जिस किसान के पास है वह चना एवं सरसो की खेती करे। चार पानीवाले किसान गेहूं लगाएं। पांच से छह पानीवाले खेत में सब्जी की खेती की जा सकेगी। इस बात पर जोर दिया कि किसानों की आय दोगुनी करने में सब्जी, फल, फूल एवं पशुपालन मददगार होता है। बताया गया कि कम जमीन पर ज्यादा उत्पादन करने के लिए सब्जी की ही खेती सबसे बेहतर होता है। शुष्क जमीन पर फलदार वृक्ष लगाना उचित होता है। जिसमें अमरूद, आंवला, बेल उपयोगी है।

बैठक में सहायक निदेशक डॉ. बीपी साहा ने अनुसंधान पर चर्चा को आरंभ कराया। डॉ. एके साहा, डॉ. सुनील कुमार ने भी अपने विचार रखे। उप निदेशक कृषि अजय कुमार सिंह, डॉ. श्रीकांत सिंह, डॉ. संजय कुमार समेत अन्य मुख्य रूप से बैठक में भाग लिए।


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