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खुले में शौच मुक्त करने की घोषणा बनी एक चुनौती

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By JagranEdited By: Published: Sun, 16 Sep 2018 06:07 PM (IST)Updated: Sun, 16 Sep 2018 06:07 PM (IST)
खुले में शौच मुक्त करने की घोषणा बनी एक चुनौती
खुले में शौच मुक्त करने की घोषणा बनी एक चुनौती

सरैयाहाट : उपायुक्त मुकेश कुमार द्वारा दुमका जिला को दो अक्टूबर को खुले में शौच मुक्त करने के प्रयासों पर कहीं पानी न फिर जाए। हालांकि स्वच्छ भारत अभियान की सफलता को लेकर प्रशासनिक स्तर पर सभी प्रखंडों में अभियान मोड़ में शौचालय निर्माण कराया जा रहा है लेकिन सरैयाहाट में बने शौचालय निर्माण एवं उसके उपयोग की जमीनी हकीकत तलाशने पर ऐसा लग रहा है कि खुले में शौच मुक्त की घोषणा कहीं कागज पर ही सिमट कर न रह जाए क्योंकि एक तरफ सरैयाहाट प्रखंड में अभियान मोड में शौचालय निर्माण कराया जा रहा है वहीं दूसरी ओर पूर्व में बने शौचालयों की हालत खास्ता है। निíमत शौचालय झाड़ियों की आगोश में समा चुके हैं। जिसका उपयोग शौच के रूप में नहीं कर पुआल, लकड़ी एवं गोइठा रखने के लिए किया जा रहा है। प्रखंड के माथाकेशो पंचायत के जमुनियां गांव की आबादी तकरीबन 600 से अधिक है। जहां अधिकतर आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं। कुछ पिछड़ी जाति के भी लोग यहां रहते हैं। इस गांव के अधिकांश महिला, पुरूष एवं बच्चे शौच के लिए बाहर खेत में जाते हैं। गांव के नजदीक में एक छोटा तालाब भी है। उसका भी उपयोग शौच के लिए करते हैं। जानकारी के अनुसार चार वर्ष शौचालय निर्माण के प्रथम चरण में 50 से अधिक शौचालय का निर्माण मनरेगा के तहत कराया गया था। जिसमें बिचौलियों ने शौचालय निर्माण में जमकर अनियमितता बरती। इसमें से आधा शौचालय का निर्माण अधूरा ही रह गया। किसी का केवल शौचालय घर बना तो उसका गड्ढ़ा नहीं किया गया। किसी का गड्ढ़ा बना तो उसमें ढक्कन ही नहीं लग पाया। लेकिन पूर्ण निर्माण राशि की भुगतान हो गई। गांव के नरेश हांसदा, रामरेख हासदा, तुतरा हांसदा, महाशय हांसदा, बाबूलाल सोरेन आदि ग्रामीणों ने बताया कि शौचालय निर्माण अधूरा रहने के कारण एक दिन भी शौचालय का उपयोग हमलोग नहीं कर सके हैं। शौचालय निर्माण कराने वाले ने तमाम राशि हड़प कर लिया। पंचायत की मुखिया तालामय सोरेन ने बताया कि जमुनिया गांव में उक्त शौचालय मेरे कार्य अवधि के पूर्व का है जो अधूरा है। इसके बारे में कुछ नहीं बता सकता। अभी स्वच्छ भारत अभियान के तहत शौचालय का निर्माण जल सहिया के सहयोग से सभी गांवों में कराया जा रहा है जो पूर्णत: उपयोगी एवं टिकाऊ है।

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