बच्चे को सांप ने काटा तो घरवालों ने झाड़ फूंक में गंवाए 3 घंटे, डॉक्टर ने कहा- वक्त रहते आते तो बच जाती जान
आठ साल का रोहित उर्फ आकाश मंडल सुबह उठकर फ्रेश होने के लिए घर से बाहर गया तो तभी सांप ने उसे काट लिया। उसने वापस आकर अपने घर में इसकी जानकारी दी लेकिन झाड़फूंक में सब इतना व्यस्त रहे कि रोहित को अपनी जान गंवानी पड़ी।
जागरण संवाददाता, दुमका। हंसडीहा थाना क्षेत्र के नोनीहाट स्थित चंपातरी गांव में शनिवार की सुबह सोकर उठने के बाद दैनिक कार्य के लिए गली में गए आठ साल के रोहित उर्फ आकाश मंडल को जहरीले सांप ने काट लिया। तीन घंटे तक झाड़फूंक के बाद जब हालत और बिगड़ गई तो स्वजन इलाज के लिए मेडिकल कालेज अस्पताल लेकर आए, जहां चिकित्सक ने उसे मृत घोषित कर दिया। मौत के बाद स्वजन शव को लेकर चले गए।
सांप के काटने के बाद बच्चे ने घरवालों को दी जानकारी
धनेश्वर मंडल बाहर काम करते हैं। घर में नाना और मां थी। सुबह करीब सात बजे रोज की तरह आकाश सोकर उठा और लघुशंका करने के लिए घर के समीप गली में चला गया। इसी बीच उसे किसी जहरीले सांप ने काट लिया। बालक ने घर आकर स्वजन को सांप काटने की बात बताई। इसके बाद उसे बेहोशी आने लगी।
इलाज के बजाय परिवारवाले करने लगे झाड़फूंक
स्वजन इलाज के लिए किसी डाक्टर के पास ले जाने के बजाय गांव में झाड़फूंक कराने के लिए ले गए। तीन घंटे तक चले पूजा पाठ के बाद स्थिति और खराब हो गई, तो लोगों ने अस्पताल ले जाने की सलाह दी। अस्पताल पहुंचने पर चिकित्सक ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया।
सही वक्त पर होता इलाज तो बच जाती बच्चे की जान
चिकित्सक का कहना है कि अगर स्वजन समय पर अस्पताल लेकर आते तो शायद बालक की जान बच जाती। स्वजन की अज्ञानता के कारण ही बालक की जान चली गई। मौत के बाद मां और मामा का रो-रोकर बुरा हाल था। मां बेटे के शव को छाती से लगाकर रोती रही।
वहीं नाना कहते रहे कि अब उनके साथ कौन खेलेगा। स्वजन का विलाप सुनकर लोगों की आंख भर गई। करीब आधा घंटा तक विलाप करने के बाद स्वजन शव लेकर चले गए। नाना ने बताया कि दामाद के वापस आने के बाद ही शव का अंतिम संस्कार किया जाएगा।
अब तक 25 लोगों को काट चुका है सांप
जिले में जनवरी से लेकर मई 13 तक सांप काटने की करीब 25 घटनाएं हो चुकी है। जिसमें तीन लोगाें की ही जान गई और बाकी समय पर इलाज होने की वजह से बच गए। सांप से काटे हुए व्यक्ति के इलाज के लिए अस्पताल में दवा है। अगर समय रहते मरीज को यहां पर लाया जाता है तो चिकित्सक काफी हद तक जान बचा लेते हैं। जो लोग झांड़फूंक में समय नष्ट कर देते हैं तो उन्हें केवल पछताना ही पड़ता है।