भैंस के बच्चे का मृत्यु प्रमाणपत्र बनाने में ले रहा था रिश्वत, रांची के पशु चिकित्सक को ACB ने दबोचा
पशु चिकित्सक पर आरोप है कि काड़ा का मृत्यु प्रमाणपत्र बनाने के लिए रिश्वत ले रहे थे। डॉक्टर केरकेट्टा मूलत रांची के बेड़ो थाना के चनमनी गांव के रहने वाले हैं।
दुमका, जासं। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने गुरुवार को दुमका में जामा प्रखंड के पशु चिकित्सा पदाधिकारी डॉक्टर अनिल केरकेट्टा और कर्मचारी परिजात कुमार भुई को 2500 रुपये रिश्वत लेते रंगेहाथ गिरफ्तार कर लिया। पशु चिकित्सक पर आरोप है कि काड़ा का मृत्यु प्रमाणपत्र बनाने के लिए रिश्वत ले रहे थे। डॉक्टर केरकेट्टा मूलत: रांची के बेड़ो थाना के चनमनी गांव के रहने वाले हैं। उनके साथ गिरफ्तार अप्राथमिकी अभियुक्त परिजात कुमार भुई जामा पशुपालन दूत के रूप में पदस्थापित हैं। वह जरमुंडी के हरिपुर का रहने वाला है।
- एसीबी ने चिकित्सक को ढाई हजार रुपये रिश्वत लेते रंगेहाथ दबोचा
- रांची के बेड़ो थाना के चनमनी गांव के रहने वाले हैं डॉक्टर केरकेट्टा
एसीबी के पुलिस अधीक्षक सुदर्शन प्रसाद मंडल ने बताया कि जामा प्रखंड के बागझोपा गांव के उमेश कुमार की भैंस के दो बच्चों की 18 अप्रैल की सुबह वज्रपात के कारण मौत हो गई थी। मुआवजा के लिए उसे दोनों काड़ा (भैंस का बच्चा) के मृत्यु प्रमाण पत्र की आवश्यकता थी। उसने सूचना दी तो जामा के पशु चिकित्सा पदाधिकारी डॉक्टर केरकेट्टा घटना के दिन उसके घर गए और सत्यापन भी किया, लेकिन प्रमाणपत्र के लिए चिकित्सक ने कार्यालय आकर मिलने को कहा। इसके बाद वह कई बार कार्यालय गया।
आखिरकार चिकित्सक ने चार हजार रुपये रिश्वत की मांग की। काफी अनुनय-विनय करने पर 2500 रुपये में मृत्यु प्रमाणपत्र देने पर डॉक्टर केरकेïट्टा राजी हुए। उमेश कुमार की शिकायत पर गुरुवार को एसीबी ने पशु चिकित्सा पदाधिकारी डॉक्टर अनिल केरकेïट्टा और कर्मचारी परिजात कुमार भुई को को रिश्वत लेते रंगेहाथ गिरफ्तार कर लिया।
रामगढ़ में प्रसूता के ऑपरेशन में रिश्वत लेने वाले दो स्वास्थ्यकर्मी नपे
तीन दिन पहले रामगढ़ के सदर अस्पताल में प्रसव के बाद महिला की मौत के बाद मृत महिला को जिंदा बताकर रिम्स रेफर कर दिए जाने और ऑपरेशन के पहले महिला के पति से पांच हजार रुपये रिश्वत लेने के मामले की जांच शुरू हो गई है। गुरुवार को महिला के ऑपरेशन के पहले अवैध तरीके से पांच हजार रुपये वसूली करने के आरोप में प्रथमदृष्टया दोषी पाकर एक आउटसोर्सिंग कर्मचारी शंकर राम को अस्पताल से हटा दिया गया है, जबकि एक ड्रेसर राजेश्वर पंडित को दूसरे विभाग में भेजा गया है।
सिविल सर्जन डॉ. नीलम चौधरी द्वारा गठित तीन सदस्यीय जांच कमेटी ने गुरुवार को सदर अस्पताल जाकर घटना के समय ड्यूटी में तैनात स्वास्थ्य कर्मियों से पूछताछ की। घटना में लापरवाही बरतने वाली महिला चिकित्सक व नर्स पर विभागीय कार्रवाई तय माना जा रही है।
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