देवोत्थान एकादशी पर 50 हजार भक्तों ने की पूजा
बासुकीनाथ विश्व प्रसिद्ध बाबा बासुकीनाथ के दरबार में काíतक मास शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि जिसे देवोत्थान एकादशी भी कहते हैं कि अवसर पर शुक्रवार को भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी। इस अवसर पर भक्तों ने कई धाíमक अनुष्ठान संपन्न कराए। इस पुण्य तिथि पर स्थानीय ग्रामीणों बासुकीनाथ मंदिर के पंडा पुरोहित व दूरदराज से आए भक्तों ने नियम निष्ठा के साथ इस तिथि पर व्रत उपवास किया। देश के विभिन्न भागों से आए करीब 50 हजार भक्तों ने पूजा-अर्चना की। पंडित मणिकांत झा उर्फ मन्नो बाबा व पंडित आशुतोष झा की माने तो काíतक मास शुक्ल पक्ष की एकादशी को वर्ष की सबसे बड़ी एकादशी होती है। क्योंकि इस दिन चातुर्मास का समापन होता है और भगवान विष्णु चार महीने के विश्राम के बाद पुन धरती का कार्यभार संभालने के लिए जाग उठते हैं।
बासुकीनाथ : विश्व प्रसिद्ध बाबा बासुकीनाथ के दरबार में काíतक मास शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि जिसे देवोत्थान एकादशी भी कहते हैं कि अवसर पर शुक्रवार को भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी। इस अवसर पर भक्तों ने कई धाíमक अनुष्ठान संपन्न कराए। इस पुण्य तिथि पर स्थानीय ग्रामीणों, बासुकीनाथ मंदिर के पंडा, पुरोहित व दूरदराज से आए भक्तों ने नियम निष्ठा के साथ इस तिथि पर व्रत उपवास किया। देश के विभिन्न भागों से आए करीब 50 हजार भक्तों ने पूजा-अर्चना की। पंडित मणिकांत झा उर्फ मन्नो बाबा व पंडित आशुतोष झा की माने तो काíतक मास शुक्ल पक्ष की एकादशी को वर्ष की सबसे बड़ी एकादशी होती है। क्योंकि इस दिन चातुर्मास का समापन होता है और भगवान विष्णु चार महीने के विश्राम के बाद पुन: धरती का कार्यभार संभालने के लिए जाग उठते हैं। इसके चार माह पूर्व आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयन करते हैं और काíतक शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन उठते हैं। इसीलिए इसे देवोत्थान एकादशी कहा जाता है। भगवान विष्णु के शयनकाल के चार मास में विवाह आदि मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। इसीलिए देवोत्थान एकादशी पर भगवान विष्णु के जागने के बाद शुभ तथा मांगलिक कार्य शुरू होते हैं। इस दिन तुलसी विवाह का आयोजन भी किया गया। बासुकीनाथ मंदिर परिसर स्थित भगवान विष्णु मंदिर में पुजारी दिवाकर झा, राजेश कुमार झा, सारंग बाबा द्वारा भगवान को निम्न मंत्र पढ़कर उठाया गया।