अपने बाजार से सपने साकार कर रहीं महिलाएं
600 महिलाओं का समूह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैशलेस मुहिम को कर रहा फलीभूत, प्रति महिला चार से पांच हजार प्रतिमाह होती है आमदनी
धनबाद (आशीष सिंह)। यहां सब कुछ अपना है, चीज भी अपनी, दाम भी अपना और मुनाफा भी अपना। यह है अपना बाजार। इसकी खासियत यह है कि यहां बनने वाला हर सामान महिलाएं स्वयं अपने हाथों से बनाती हैं और इस बाजार की मालकिन भी वही हैं। यहां के अपनेपन का प्रतिफल यह है कि तीन हजार लोगों का गुजर-बसर इससे चल रहा है। महिला सशक्तीकरण का सबसे बड़ा उदाहरण बन गया है सिंदरी स्वावलंबन ग्रामीण महिला महासंघ।
कभी खाद कारखाने के लिए मशहूर धनबाद जिला मुख्यालय से 30 किमी दूर सिंदरी में 600 महिलाओं का समूह ऐसी हस्तनिर्मित चीजें बना रहा है, जो न केवल किफायती हैं बल्कि रोजमर्रा के काम आने वाली हैं। इसे महिलाएं स्वयं बनाती हैं और बिक्री भी करती हैं। इससे प्रत्येक महिला को चार से पांच हजार की आमदनी हो जाती है। सबसे अहम बात यह है कि महिलाओं का यह समूह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैशलेस मुहिम को फलीभूत भी कर रहा है। अपना बाजार में आने वाले खरीदार पेटीएम, चेक और एनईएफटी के जरिए भुगतान भी करते हैं। नकद बहुत कम होता है।
ऐसे बनाते हैं सामान
अगस्त 2014 में लोक कल्याण परिषद् की ओर से सिंदरी क्षेत्र के आसपास की कुछ महिलाओं को प्रशिक्षण देने का काम शुरू हुआ। उस समय गिनती की महिलाएं सामने आईं। यहां प्रशिक्षण लेने वाली महिलाओं ने जागरूक किया तो यह संख्या बढ़कर 500 हो गई। कई दौर में प्रशिक्षण प्राप्त कर सभी महिलाएं स्वनिर्मित सामान बनाने में पारंगत हो गई।
इसके बाद सिंदरी स्वावलंबन ग्रामीण महिला महासंघ का गठन किया गया। इसके बैनर तले महिलाओं का यह समूह कोलकाता जाकर रॉ मैटेरियल की खरीदारी करता है। इसके बाद 15-15 महिलाओं के समूह में इसका वितरण किया जाता है। एक समूह डिजरजेंट पाउडर बनता है, तो दूसरा फिनायल। रॉ मैटेरियल से जूट हैंडलूम, फिनायल, टेबल मैट, डोर मैट, सलवार सूट, पेटीकोट, महिलाओं-पुरुषों के जींस बैग, पायदान, डिटरजेंट पाउडर, अगरबत्ती, मशरूम आदि सामान का निर्माण किया जाता है।
इसे सिंदरी एसीसी सीमेंट परिसर स्थित अपना बाजार में बिक्री के लिए रखा जाता है। मुनाफा काटने के बाद रॉ-मैटेरियल की राशि का भुगतान कर दिया जाता है।
इन क्षेत्रों की महिलाएं समूह में शामिल
सिंदरी, छाताटांड़, सीमाटांड़, कूशबेडिय़ा, शमलापुर, पाथरडीह, सिंदरी बस्ती, रासूगुटु, गुलीटांड़।
ये हैं महिला समूह की मजबूत पिलर
को-ऑर्डिनेटर अनीता देवी, विलेज कोऑर्डिनेटर कुंती देवी, शबनम बानो, रेखा, ममता, पूजा, आशा, बासोकी, जूनो देवी।
बाजार दर से कम दाम में कोलकाता से कच्चा सामान लाते हैं। समूह की महिलाएं इससे कई सामान बनाती हैं। महिलाओं को अपने पैरों पर खड़ा करने की नीयत से ही खुद ही खरीदारी करने और हाट में सामान बेचने की जिम्मेदारी सौंपी जाती है। कैश के साथ-साथ पेटीएम, चेक, एनईएफटी के जरिए सामान की बिक्री की जाती है।
- कुंती देवी, विलेज को-ऑर्डिनेटर