जॉय को दूसरा प्रकाश पादुकोण बनाना चाहती हैं वाणी
जॉय को पिता और मां दोनों का प्यार देने वाली वाणी हर रोज पांच घरों का खाना बनाती हैं। इससे महीने में करीब 2000 रुपये तक मिल जाते हैं। इससे घर चलाना मुश्किल होता है।
धनबाद, श्रवण कुमार। 14 साल का जॉय चटर्जी भारतीय बैडमिंटन का उभरता सितारा है। वह झारखंड स्टेट अंडर-13 और अंडर-15 का चैंपियन बन चुका है। जॉय के पिता इस दुनिया में नहीं हैं। मम्मी वाणी ही उसके लिए सबकुछ है। वाणी की जिंदगी का भी एक ही मकसद है, जॉय दूसरा प्रकाश पादुकोण बने, बैडमिंटन का सबसे चमकदार सितारा बन देश का नाम रोशन करे।
जॉय के पापा राममयी चटर्जी का निधन जॉय के इस दुनिया में आने के बाद ही हो गया था। वे कंपाउंडर थे। कोई जमा पूंजी नहीं थी कि मां-बेटे की गुजर हो सके। धनबाद, झारखंड के कतरास में रहने वाली वाणी चटर्जी ने असीम संघर्ष कर बेटे को पाला-पोसा। खुद व बेटे को सम्मानजनक जीवनस्तर दिया। भले ही इसके लिए उन्हें दूसरों के घरों में काम करना पड़ा, लेकिन जॉय को किसी बात की कमी नहीं होने दी। वाणी आज भी दूसरों के घरों में खाना बनाती हैं। मां की साधना देख बेटा जॉय भी पढ़ाई और बैडमिंटन में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर रहा है। उपलब्धियों पर उपलब्धियां अपने नाम किए जा रहा है।
गत वर्ष जॉय झारखंड राज्यस्तरीय अंडर-13 बैडमिंटन प्रतियोगिता का विजेता और अंडर-15 वर्ग का उपविजेता रहा। गत वर्ष सितंबर में जयपुर में हुई ऑल इंडिया सब जूनियर अंडर-13 प्रतियोगिता में वह डबल्स के क्वार्टर फाइनल तक पहुंचा था। इस वर्ष जून में बेंगलुरु में हुए इंडिया कैंप में झारखंड से उसका चयन हुआ और अगस्त 2018 में झारखंड स्टेट अंडर-15 के एकल वर्ग में वह चैंपियन बना।
जॉय को पिता और मां दोनों का प्यार देने वाली वाणी हर रोज पांच घरों का खाना बनाती हैं। इससे महीने में करीब 2000 रुपये तक मिल जाते हैं। इससे घर चलाना मुश्किल होता है। कई बार फाकाकशी की भी नौबत आती है, पर बेटे को वह भूखा नहीं सोने देतीं। जॉय को बैडमिंटन सिखाने के लिए वाणी में एक अलग सा जुनून है। जब बेटे को खेल सामग्री के लिए पैसे की जरूरत पड़ती है तो किसी से उधार मांगकर या अतिरिक्त श्रम कर व्यवस्था करती हैं। वाणी कहती हैं, मेरे जीवन की हर खुशी जॉय में ही निहित है। वह प्रकाश पादुकोण व पुलेला गोपीचंद जैसा खिलाड़ी बने तो जीवन सार्थक हो जाए। एक मां के लिए सबसे बड़ा फर्ज तो बेटे के भविष्य का निर्माण ही है...।
जॉय ने बताया कि कतरास से 25 किमी दूर धनबाद स्थित इंडोर स्टेडियम में बैडमिंटन का अभ्यास करता है। कोच संदीप डे के साथ कतरास से सप्ताह में तीन दिन यहां आता है। वर्ष 2015 में जब संदीप ने उसे कतरास की एक गली में बैडमिंटन खेलते देखा तो जॉय की प्रतिभा को पहचाना। उसे प्रेरित किया और उसकी मां को समझाया। मां भी खुशी से झूम उठी कि बेटे को जिंदगी का लक्ष्य मिल गया। तब से मां-बेटे का संघर्ष जारी है। खेलो इंडिया मुहिम के तहत यदि जॉय को अपेक्षित प्रोत्साहन मिल जाए तो निश्चित ही देश को दूसरा प्रकाश पादुकोण, दूसरा गोपीचंद बहुत जल्द मिल जाएगा।
मां का संघर्ष : जॉय की मम्मी वाणी चटर्जी हर रोज पांच घरों का खाना बनाती हैं। इससे महीने में करीब 2000 रुपये ही जुटते हैं। जाहिर है, इतने में घर चलाना कतई आसान नहीं। साथ ही जॉय की शिक्षा और बैडमिंटन को भी जारी रखना है। लिहाजा कई बार फाकाकशी की भी नौबत आती है, पर अतिरिक्त श्रम कर किसी तरह काम चलाती हैं। कहती हैं, बेटे को भूखा नहीं सोने देतीं...।
बेटे का रिटर्न
- सप्ताह में तीन दिन घर से 25 किमी दूर पहुंच प्रैक्टिस
- जुलाई 2016 में धनबाद जिला अंडर-13 में चैंपियन
- सितंबर 2016 में झारखंड स्टेट अंडर-13 में चैंपियन
- नवंबर 2016 में झारखंड स्टेट स्कूल गेम्स फेडरेशन अंडर-14 में चैंपियन
- अगस्त 2017 में झारखंड स्टेट अंडर-13 में चैंपियन, अंडर-15 में उपविजेता
- सितंबर 2017 में ऑल इंडिया सब जूनियर रैकिंग अंडर-13 के क्वार्टर फाइनल में
- मई 2018 में धनबाद जिला चैंपियनशिप में अंडर-15 व अंडर-18 में सिंगल्स व डबल्स में चैंपियन
- 1 से 21 जून तक बेंगलुरु में लगे नेशनल सबजूनियर बैडमिंटन समर कैंप में झारखंड का प्रतिनिधित्व
- अगस्त 2018 में झारखंड स्टेट अंडर-15 में चैंपियन