महिलाओं की उंगलियों के इशारे पर घूमे रेलगड़ी के पहिए
महिलाओं की उंगलियों के इशारे पर रेलगाड़ी के पहिए घूमे। रेलवे के कंट्रोल रूम से लेकर आरआरआइ केबिन और स्टेशन मास्टर के तौर पर महिला रेल कर्मियों ने अपना हुनर दिखाया।
जागरण संवाददाता, धनबाद : महिलाओं की उंगलियों के इशारे पर रेलगाड़ी के पहिए घूमे। रेलवे के कंट्रोल रूम से लेकर आरआरआइ केबिन और स्टेशन मास्टर के तौर पर महिला रेल कर्मियों ने अपना हुनर दिखाया। आरपीएफ महिला बटालियन ने सुरक्षा की कमान संभाली तो टिकट चेकिग के दौरान बेटिकट यात्रियों पर डंडा भी चला। धनबाद स्टेशन के साथ डीआरएम कार्यालय भी महिला कर्मचारियों के जिम्मे रहा। स्वागत कक्ष और रेलवे के कंट्रोल रूम में बैठकर महिला कर्मचारियों ने पूरे रेल मंडल की ट्रेनों को सुरक्षित चलाने में भागीदारी निभाई। फोटो : वालिद नहीं रहे तो बिटिया ने संभाल ली परिवार की बागडोर
धनबाद : पिता का साया सिर से उठ जाए तो परिवार पर संकट के बादल घिर आते हैं। कुछ ऐसा ही हुआ था तहसीन परवीन के साथ। बावजूद उसने हिम्मत नहीं हारी और पिता के छोड़ जाने के बाद रेलवे से नाता जोड़ लिया। बतौर रेल कर्मचारी उसकी पहली पोस्टिग मुगलसराय अब पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन में हुई। जुलाई 2020 उसकी पोस्टिग धनबाद हुई। तब से रेल टिकट घर की तेज तर्रार महिला कर्मचारियों में शुमार हो गई है। भूली में रिश्तेदार के साथ रह रही तहसीन रांची की रहने वाली हैं। उसके पिता शाहबुद्दीन का निधन 2016 में ही हो चुका है। तब से अपने परिवार की बागडोर उसने संभाल ली है। मां के साथ दो छोटी बहन और भाई की जिम्मेदारी बखूबी निभा रही है।
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13 साल में पहली बार मिला लीडरशिप का मौका
रेलवे में 13 साल से सेवारत हूं। पर लीडरशिप का मौका आज पहली बार मिला। यह कहना था विभा देवी का जिन्हें रेलवे ने धनबाद स्टेशन के जनरल टिकट घर का प्रभार सौंपा था। विभा ने कहा कि हर दिन नेतृत्व के लिए तैयार हैं। बस मौका मिलना चाहिए।
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महिलाओं के लिए रेलवे की नौकरी सम्मानजनक
सिखा कुमारी ने कहा कि महिलाओं के लिए रेलवे की नौकरी सम्मानजनक है। न्यूनतम सुविधा का भी ख्याल रखा जाता है जो स्वागतयोग्य है।
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कहां कितनी महिला
टिकट चेकिग स्टाफ - 13
टिकट घर - 6
स्टेशन मास्टर - 6
गार्ड रोस्टर - 2
ग्रुप डी - 4
चालक, सहायक चालक व गार्ड - 3