Move to Jagran APP

शहरनामा... कॉमरेड, आपकी पॉलीटिक्स क्या है ?

कॉमरेड अपने क्षेत्र में ही तीर-धनुष के संभावित प्रत्याशी से डरे हुए हैं। इसलिए गठबंधन में शामिल होने के लिए बिन मांगे समर्थन दे रहे हैं।

By mritunjayEdited By: Published: Mon, 29 Apr 2019 09:40 AM (IST)Updated: Mon, 29 Apr 2019 07:55 PM (IST)
शहरनामा... कॉमरेड, आपकी पॉलीटिक्स क्या है ?
शहरनामा... कॉमरेड, आपकी पॉलीटिक्स क्या है ?

धनबाद, जेएनएन। कॉमरेड की पॉलीटिक्स का जवाब नहीं। राजनीतिक रंग तो नहीं बदलते हैं लेकिन गुलाटी ऐसे मारते हैं कि प्रोफेशनल भी शरमा जाए। अब चुनावी गुलाटी को ही लीजिए। गठबंधन ने भाव नहीं दिया तो अपमानित वामो ने तय किया था कि चुनाव लडऩा है। यह क्या? सब चुनाव लडऩे की तैयारी में जुटे थे और कॉमरेड ने गुलाटी मार दी। सबसे पुरानी पार्टी के प्रत्याशी के पीछे हो लिए। तर्क भी अजीब। देश को बचाना है। लोकतंत्र खतरे में है। देश और लोकतंत्र का तो पता नहीं लेकिन कॉमरेड की राजनीति जरूर भंवर में है। वह लोकसभा चुनाव की आड़ में अपनी विधानसभा सीट सेफ करना चाहते हैं।

loksabha election banner

कॉमरेड अपने क्षेत्र में ही तीर-धनुष के संभावित प्रत्याशी से डरे हुए हैं। इसलिए गठबंधन में शामिल होने के लिए बिन मांगे समर्थन दे रहे हैं। कॉमरेड और भाईजी की राजनीति भी जगजाहिर है। ऊपर से दोनों नॉर्थ पोल और साउथ पोल की राजनीति करते हैं लेकिन अंदर ही अंदर मधुर रिश्ता है। दोनों एक दूसरे के खूब काम आते हैं। यह लोकसभा और विधानसभा चुनाव में भी दिखता रहा है। अब जब कॉमरेड गुलाटी मार सबसे पुरानी पार्टी के प्रत्याशी के पीछे हो लिए हैं तो अग्नि परीक्षा भी आन पड़ी है। कॉमरेड के दावे में कितना दम है? फैसला हो जाएगा। उनके क्षेत्र में भाईजी से ज्यादा वोट नहीं मिलेगा दावों की पोल खुल जाएगी। विधानसभा चुनाव से पहले ही हवा निकल जाएगी।

प्रशासन का वनवे ट्रैफिकः टू-वे ट्रैफिक बंद। वन-वे ट्रैफिक चालू। इस ट्रैक पर शासन चल पड़ा है। शासन का काम तो अपनी सुनाने से ज्यादा औरों की सुनना है। औरों की जबतक सुनेंगे नहीं तब तक समस्या का समाधान क्या करेंगे? जानेंगे-सुनेंगेतभी तो न्याय करेंगे। सबकी सुनने के लिए ही तो सरकार शासन को सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर खड़ा कर रही है। डिजिटल इंडिया पर जोर दे रही है। इस प्लेटफॉर्म के माध्यम से सबकी सुनी जा रही है। पुरानी मैडम के जमाने में तो सब ठीक चल रहा था। नई मैडम को यह सब पसंद नहीं। पहले चेतावनी दी गई। यह शासन है। शासन के हाथ में ताकत है। हम सिर्फ सुनाएंगे। दूसरों की नहीं सुनेंगे। जो अपनी सुनाएगा उसपर कानून का डंडा चलेगा। चेतावनी नजरअंदाज की गई तो सोशल मीडिया को नियंत्रित कर दिया गया। अब कोई भी और कितना भी तीसमार खां हो, उसकी बातें शासन तक ग्रुप के माध्यम से तो नहीं पहुंचेगी। इस मंच पर सवाल उठने पर लाज-लिहाज में शासन जवाब देता था। वन-वे ट्रैफिक में शासन से उम्मीद नहीं करना बेहतर होगा। तो सिर्फ शासन की बात सुनते रहिए। अच्छा लग ही रहा होगा।

माफिया ट्रायल का भूतः चुनाव में गड़े मुर्दे उखाड़े ही जाते हैं। उखाड़े भी जा रहे हैं। अब भाईजी के शागिर्द को ही लीजिए। वह भागलपुर दंगा और माफिया ट्रायल के भूत को बंद बोतल से बाहर निकाल दिए हैं। फरमाया है कि विरोधी दल के प्रत्याशी बताएं कि उनके पिता को मुख्यमंत्री पद से क्यों हटाया गया? साथ ही उनके पिता के कार्यकाल में भागलपुर दंगा होने का आरोप भी जड़ दिया है। शागिर्द के ज्ञान पर लोग हंस रहे हैं। भागलपुर दंगा तो किसी और के कार्यकाल में हुआ था। दंगा से पहले ही प्रत्याशी के पिता को मुख्यमंत्री पद से हटाया जा चुका था। हां, माफिया ट्रायल की बात सही है। लेकिन, यह बयान शागिर्द के लिए राजनीतिक घाटे का हो सकता है। भाईजी का तो कुछ नहीं बिगड़े। विधानसभा चुनाव में शागिर्द का जरूर बिगड़ेगा। उनके चुनाव में असर डालने के लिए माफिया जरूर जोर लगाएंगे।

दस का दमः कैडर बेस्ड पार्टी के निराश कार्यकर्ता चार्ज होने लगे हैं। मंडलस्तरीय पदाधिकारियों को दस-दस का टॉप अप से चार्ज किया गया है। इससे माहौल बनने लगा है। यह बात विरोधी दल के कार्यकर्ताओं तक भी पहुंच रही है। कार्यकर्ता खिलाड़ी से भी चाहते हैं कि वे भी टॉप अप चार्ज करने में देर न करें। आखिर चुनावी लड़ाई है। प्रतिद्वंदी को मात देना है तो उसकी हर दांव का तोड़ निकालना ही होगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.