Weekly News Roundup Dhanbad : स्वाब लिया नहीं और रिपोर्ट पॉजिटिव, पढ़ें कोरोना जांच की कारस्तानी
Weekly News Roundup Dhanbad गोविंदपुर थाना के पुलिस पदाधिकारी से कहा- अस्पताल में अपना नाम तो लिखवाया था मगर जांच नहीं कराई थी। स्वाब का सैंपल भी नहीं दिया। फिर कैसे पॉजिटिव हो गई? पुलिस अधिकारी भी चकरा गए। जी ये है व्यवस्था!
धनबाद [ नीरज दुबे ]। Weekly News Roundup Dhanbad कोरोना का खतरा बरकरार है। कोविड-19 की जांच हर दिन पीएमसीएच में होती है। इसमें गड़बड़ी के किस्से भी आते रहते हैं, पर एक गड़बड़ी चौंकाने वाली है। कुछ ही दिन पहले की बात है। गोविंदपुर की एक महिला जांच कराने पीएमसीएच पहुंची। उस वक्त लंबी कतार थी। वह लाइन में खड़ी रहीं, घंटों इंतजार किया, नाम-पता भी लिखवा दिया, लेकिन जांच नहीं हुई। वह घर लौट गईं। दो दिन बाद स्वास्थ्य विभाग की एंबुलेंस उनके घर पहुंच गई कोविड अस्पताल ले जाने के लिए। क्यों भई! कर्मियों ने बताया कि वे कोरोना पॉजिटिव हैं। अब तो उनके हाथ-पांव फूल गए। ऐसा कैसे हो गया? उन्होंने गोविंदपुर थाना के पुलिस पदाधिकारी से कहा- अस्पताल में अपना नाम तो लिखवाया था, मगर जांच नहीं कराई थी। स्वाब का सैंपल भी नहीं दिया। फिर कैसे पॉजिटिव हो गई? पुलिस अधिकारी भी चकरा गए। जी, ये है व्यवस्था!
यूं हुई साइकिल की सवारी
धनबाद के सिटी एसपी कुछ दिनों से पर्यावरण को लेकर काफी सचेत हैं। वह गाड़ी से ज्यादा साइकिल का इस्तेमाल कर रहे हैं। वातावरण स्वच्छ रहे, साथ ही सेहत भी ठीक रखने के लिए आम लोगों के बीच संदेश भी देना चाहते हैं। कायार्लय जाना हो तो गाड़ी का इस्तेमाल नहीं करते। हां, एक बात जरूर है कि उनकी साइकिल, आम से बिल्कुल अलग है। कीमत 30 हजार रुपये। एक दिन तो उन्होंने अच्छे-अच्छे साइकिल चालकों को अपनी हिम्मत का लोहा मनवा दिया, मगर...। हुआ ये कि पैडल मारते हुए तकरीबन 50 किलोमीटर का सफर तय कर मैथन पहुंच गए। हालांकि, उनके सुरक्षा गार्ड भी गाड़ी लेकर पीछे-पीछे ही थे। यहां पहुंच तो गए, अब लौटें कैसे। बुरी तरह थक गए। साइकिल से लौटना मुश्किल था। फिर क्या था, उन्होंने एक मालवाहक पर उसको लदवाया और खुद गाड़ी से आए। साइकिल भी आराम फरमाती आई।
बैठने को ना कहा जाए तो...
हुआ यूं कि एक प्रशिक्षु दारोगा शहरी साहब को सैल्यूट मारना भूल गए। इसकी कीमत चुकानी भी पड़़ी। दो दिन बाद ही वह लाइन क्लोज हो गए। आरोप ये लगा कि केस निष्पादन में घोर लापरवाही हो रही है। दरअसल हुआ ये था कि एक दिन शहरी साहब अचानक सरायढेला थाना पहुंच गए। दारोगा वहीं खड़े होकर साहब को निहार रहे थे। उनके हाथ सैल्यूट के लिए नहीं उठे। बस, यही हरकत साहब को पसंद नहीं आई। लिहाजा उन्होंने पुराने टास्क की फाइल मंगवा ली और समीक्षा शुरू कर दी। यहां भी दारोगा ने बगैर अनुमति बैठने के लिए कुर्सी खींच दी। फिर क्या, उन्होंने जितनी गड़बड़ी की थी, उन सबको शहरी साहब ने उखाडऩा शुरू कर दिया। अब बात निकली तो दूर तलक चली गई। कई मामले खुलते चले गए। फिर क्या था। कुछ न कुछ होना ही था। लाइन क्लोज हो गए।
अब लाल गाड़ी खरीदेंगे
भाजपा के पूर्व महामंत्री राम प्रसाद महतो बड़े मायूस हैं। कहां तो टुंडी से विधायक बनने का सपना देख रहे थे, लेकिन पार्टी के ग्रामीण जिलाध्यक्ष भी न बन सके। पूर्व सांसद की नाराजगी भारी पड़ी। अब पार्टी की चाभी बाबूलाल मरांडी के हाथ में है, जिनके लिए वे अनजान हैं। दीपक प्रकाश से भी खास लगाव नहीं रहा तो प्रदेश समिति में भी जगह नहीं बना पा रहे। दो दिन का रांची दौरा कर लौटे हैं। सब कुछ नए सिरे से करना चाहते हैं। कहते हैं कि तीन साल फील्डिंग करेंगे और उसके बाद ऐसी सभा करेंगे कि बाबूलाल जी खुद उन्हें ढूंढ लेंगे जैसे मुंडा जी ढूंढते थे। वे गाड़ी भी बदलना चाहते हैं। पहले सफेद गाड़ी बदल कर काली गाड़ी ली थी। कम से कम इसी से माहौल बने, मगर उसका भी शगुन नहीं निकला। अब लाल गाड़ी लेने की सोच रहे हैं।