खेल में खेल... इन्हें कोरोना का टीका नहीं टीकाकरण सर्टिफिकेट चाहिए
खेल में भी फर्जी सर्टिफिकेट का काफी डिमांड है शैक्षणिक संस्थानों के एडमिशन में वेटेज पाने के लिए या फिर नौकरी में छूट का लाभ लेने के लिए। कोविड का टीकाकरण जारी है और कुछ लोगों को टीका नहीं बल्कि सर्टिफिकेट चाहिए।
धनबाद [ सुनील कुमार ]। बिहार में पोडिकल साइंस के टॉपर वाला किस्सा तो सुने ही होंगे। भले ही काला अक्षर भैंस बराबर हो, अगर आपके पास सर्टिफिकेट है तो आप ज्ञानी हैं। खेल में भी फर्जी सर्टिफिकेट का काफी डिमांड है, शैक्षणिक संस्थानों के एडमिशन में वेटेज पाने के लिए या फिर नौकरी में छूट का लाभ लेने के लिए। कोविड का टीकाकरण जारी है और कुछ लोगों को टीका नहीं, बल्कि सर्टिफिकेट चाहिए। हुआ यूं कि टाटा स्टील ने अपने कर्मियों के लिए टीकाकरण जरूरी कर दिया। सर्टिफिकेट दिखाइए तभी काम करने की इजाजत मिलेगी। कुछ ऐसे लोग हैं जो धार्मिक वजहों से तो कुछ टीकाकरण के नकारात्मक खबरों को लेकर किसी भी हालत में टीका नहीं लेना चाहते। ऐसे लोग टीकाकरण केंद्रों का फेरा लगा रहे हैं और सेटिंग में जुटे हैं। आग्रह करते हैं कि किसी तरह मुझे सर्टिफिकेट दिला दीजिए, मेरा वाला डोज दूसरे को दे दीजिए। कहीं-कहीं यह प्रयास सफल भी हो रहा है।
वर्चुअल फिटनेस का दौर
खेल गतिविधियां पूरी तरह ठप है। असर लॉकडाउन की पाबंदियों का तो है ही, संक्रमण के मौजूदा दौर में लगातार आ रही बुरी खबरों से बच्चे भयाक्रांत भी हैं। घरों में कैद बच्चे मानसिक रूप से परेशान हैं। ऐसे में खेल से जुड़े लोगों ने वेबिनार या इंटरनेट के अन्य माध्यमों से बच्चों को मैदान से दूर रहते हुए भी कैसे अपना फिटनेस बनाए रखें इसपर भी नियमित काम कर रहे हैं। पश्चिम सिंहभूम जिला क्रिकेट संघ के असीम कुमार सिंह के वर्चुअल मीटिंग में डॉ. वीके मुंधड़ा के अलावा सौरव तिवारी, इशान किशन, अनुकूल राय जैसे दिग्गज क्रिकेटर बच्चों से अपने अनुभव साझा कर रहे हैं तो इधर जेएससीए के फिजिकल ट्रेनर महादेव सिंह भी वर्चुअली बच्चों का इंटरेक्शन सौरव तिवारी, झारखंड के कोच रह चुके राजीव कुमार राजा आदि से करा रहे हैं। यह प्रयास सचमुच सराहनीय है।
अब इनकी परेशानी सुनो
बेलगडिय़ा में झरिया विहार कॉलोनी है। यह कॉलोनी झरिया के विस्थापितों का है। कॉलोनी के बच्चे खाली बैठ करें भी तो आखिर क्या। बगल के मैदान में पहुंच गए क्रिकेट खेलने। होने लगी चौके-छक्कों की बरसात। जैसा कि अक्सर होता है बच्चों की खुशी जालिम दुनिया को बर्दाश्त नहीं हुई। तुरंत ही एक विघ्नसंतोषी जीव ने अखबार के दफ्तर में फोन किया। लगे शिकायत करने कि यहां तो लॉकडाउन का उल्लंघन हो रहा है। बच्चे खुलेआम क्रिकेट खेल रहे हैं। फिजिकल डिस्टेंसिंग का उल्लंघन हो रहा है। बेचारे रिपोर्टर महोदय उन्हें समझाने लगे कि शारीरिक दूरी का कैसे उल्लंघन होगा। अरे एक खिलाड़ी मिडऑन में होगा तो दूसरा मिडऑफ में। दोनों के बीच तो दूरी कम से कम तीस गज की होगी। दोनों बल्लेबाजों के बीच की दूरी भी 22 गज की होगी। अब ऐसे-ऐसे परेशान आत्मा को क्या कहा जाए।
समाज सेवा में भी आगे खेल संस्था
खेल से जुड़ी कुछ संस्थाएं इस आपदा में समाज को मदद पहुंचाने में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं। जिले की पुरानी क्रिकेट टीमों में एक राइजिंग क्लब के कर्ता-धर्ता लॉकडाउन में गरीबों की बखूबी मदद पहुंचा रहे हैं। राइजिंग चैरिटेबल सोसाइटी विगत एक सप्ताह से फूड पैकेट का वितरण कर रही है। प्रतिदिन लगभग 400-500 लोगों को गोल्फ ग्राउंड के पास कोविड गाइडलाइंस का पालन करते हुए भोजन का वितरण किया जाता है। सोसाइटी के प्रमुख सदस्य पूर्व क्रिकेटर राजन सिन्हा बताते हैं कि पिछले साल भी लॉकडाउन में सूखा राशन का वितरण किया गया था। वैसे उनकी संस्था विगत नौ साल से फीड फॉर लाइफ कार्यक्रम चलाती रहती है जिसमें माह में एक बार जरूरतमंदों को बैठाकर भोजन कराया जाता है। मौजूदा समय में यह संभव नहीं है, इसलिए फूड पैकेट बांटा जा रहा है। यह सिर्फ अपने सदस्यों के योगदान के बल पर संभव हो रहा है।