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Weekly News Roundup Dhanbad : सीएमडी साहब की राजनीति को लगा जोर का झटका, जानिए स्थानांतरण की अंदरूनी कहानी

Weekly News Roundup Dhanbad धनबाद की सबसे पुरानी आउटसोर्सिंग कंपनी एक बार फिर चर्चा में है। शुरुआती दिनों से ही विरोध-प्रदर्शन झेलती रही है जहां भी गई विवाद साथ गया।

By MritunjayEdited By: Published: Tue, 08 Sep 2020 09:53 AM (IST)Updated: Tue, 08 Sep 2020 09:53 AM (IST)
Weekly News Roundup Dhanbad : सीएमडी साहब की राजनीति को लगा जोर का झटका, जानिए स्थानांतरण की अंदरूनी कहानी
Weekly News Roundup Dhanbad : सीएमडी साहब की राजनीति को लगा जोर का झटका, जानिए स्थानांतरण की अंदरूनी कहानी

धनबाद [ रोहित कर्ण ]। Weekly News Roundup Dhanbad  रातों रात सीसीएल और बीसीसीएल का निजाम बदल गया। किसी को समझने का भी मौका नहीं मिला। साहब को जब खबर मिली, वह रामायण पाठ में व्यस्त थे। रांची-धनबाद में नहीं बेरमो में। वहां  रामायण पाठ क्यों, यह वही जानें। पर इतना तो है कि साहब की रुचि इन दिनों कंपनी के उत्पादन-डिस्पैच में नहीं, बल्कि बेरमो के विकास में है। इतनी कि कोरोना की मार झेल रही कंपनी की भी सुध भुला बैठे। सीएसआर का अच्छा काम साहब ने वहां कराया है। अब अपने यहां कुछ भी करो लोग राजनीति से जोड़ देते हैं। सो कुछ कहने से नहीं चूके, चुनाव आनेवाला है। हो सकता है फील्ड बना रहे हों। बेटा और बहू दोनों राजनीति में सक्रिय भी हैं। मुख्यालय में भी चर्चा, सब एक-दूसरे से पूछ रहे हैं, छह महीना के लिए ट्रांसफर क्यों। जवाब में फुसफुसाहट के साथ कहा जाता है, साहब की माया अपरंपार। 

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जेबी संगठन हल्ला ही हल्ला  

धनबाद की सबसे पुरानी आउटसोर्सिंग कंपनी एक बार फिर चर्चा में है। धनसार इंजीनियङ्क्षरग कंपनी (डेको) अपने शुरुआती दिनों से ही विरोध-प्रदर्शन झेलती रही है, जहां भी गई विवाद साथ गया। बावजूद उसको नजरअंदाज कर वह मैदान में डटी रही। दूसरी तरफ दर्जन भर से अधिक कंपनियां हो हंगामे की वजह से खुलने से पहले बंद हो गईं। अब कंपनी एक बार फिर विरोध झेल रही है। इस बार एक जेबी संगठन से। यूं नेतृत्व कांग्रेस एआइसीसी सदस्य संतोष सिंह कर रहे हैं। वे मजदूर संगठन इंटक के भी सदस्य हैं। बावजूद फैन क्लब के भरोसे क्यों। वह भी तब जबकि मुद्दा रोजगार या मुआवजा जैसा लोकप्रिय विषय नहीं। जवाब सीधा सा है। यहां न रोकटोक करने वाला कोई है और न मध्यस्थता करने वाला। जो बात होगी बस यहीं होगी। अब पार्टी और जनप्रतिनिधि के पास सिर्फ देखते रहने के चारा क्या बचा है। 

खदान से आए तालाब में पहुंचे  

सिर मुंड़ते ही ओले पड़े। बीसीसीएल के इन कर्मियों पर यह कहावत फिट बैठ रही है। जब कोयला नगर के आवासों में शिफ्ट किया गया तो बड़े गदगद थे। कतरास के खदान वाले इलाके से कोयला नगर आने की खुशी थी। हो भी क्यों नहीं,  पूरे जिले की सबसे शानदार आवासीय कॉलोनी यह है। यहां पहुंचने के बाद रो रहे हैं। एक तो कार्यस्थल से दूर, ऊपर से ऐसा धोखा। इन्हें कोयला नगर के नए बने बी टाइप कॉलोनी में आवास मिला। गेस्ट हाउस के ठीक सामने नए बने इन आवासों में जल निकासी की व्यवस्था ठीक नहीं है। हल्की बारिश में सड़कें  तालाब में तब्दील हो जाती हैं। दो दिनों हुई भारी बारिश ने घर से निकलना भी मुहाल कर रखा है। इन आवासों में रहनेवालों के लिए यह पहली बारिश है। पीड़ादायक अनुभव। इसने उनके सपने को चूर चूर कर दिया है।

अब यह खामोशी क्यों 

कोयला मंत्रालय ने कोल ब्लॉकों की नीलामी के लिए फिर से तिथियां निर्धारित कर दी हैं। नवंबर में 38 कोल ब्लॉक को कोयला खनन एवं विक्रय के लिए लीज पर दिया जाना है। निर्देश जारी हुए पांच दिन हो चुके हैं। बावजूद किसी श्रमिक संगठन द्वारा कोई बयानबाजी नहीं सुनाई दे रही है। इस बार आखिर इतनी खामोशी क्यों है। पिछली बार इन्हीं श्रमिक संगठनों ने बार बार मंत्रालय के यह बताने पर भी कि कोल इंडिया की सेहत पर नीलामी का कोई असर नहीं होगा, हंगामा बरपा दिया था। कोल इंडिया में तीन दिन की हड़ताल तो की ही, बाद में नीलामी की तिथि जब दो माह आगे की गई तो ताल ठोक कहा, हमारी जीत हुई है। नीलामी सरकार ने हमेशा के लिए रोक दी है। अब नीलामी फिर शुरू हुई तो इन्हें बताना चाहिए कि क्या वह समझौते के तहत रोकी गई थी।


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