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Weekly News Roundup Dhanbad: शहर की सरकार में 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' की एंट्री, साहबान शुतुरमुर्ग की भूमिका में

Weekly News Roundup Dhanbad सड़क तो सबकी है। कोई भी चल-फिर सकता है। बात जब मरम्मत की आती है तब बतंगड़ बन जाता है। एक-दूसरे पर फेंका-फेंकी शुरू हो जाती है।

By MritunjayEdited By: Published: Thu, 06 Aug 2020 10:29 AM (IST)Updated: Fri, 07 Aug 2020 09:52 AM (IST)
Weekly News Roundup Dhanbad: शहर की सरकार में 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' की एंट्री, साहबान शुतुरमुर्ग की भूमिका में
Weekly News Roundup Dhanbad: शहर की सरकार में 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' की एंट्री, साहबान शुतुरमुर्ग की भूमिका में

धनबाद [ आशीष सिंह ]। Weekly News Roundup Dhanbad 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' याद है। बड़ी चर्चित फिल्म थी। इसने देशभर को बताया था कि धन से आबाद भी एक जगह है। इसकी चर्चा तो होती रहेगी। अभी गैंग्स ऑफ नगर निगम की चर्चा है। एक सप्ताह में ही बहुत कुछ दिखा दिया। आरोप-प्रत्यारोप, तू-तू मैं-मैं, धक्का-मुक्की सब। असामाजिक तत्व भी आकर तांडव मचा गए। इतना कुछ होने के बाद भी सब मौन। निगम के पदाधिकारी ही गैंग बनाकर चल रहे हैं। कोई कहता है वासेपुर तक पहुंच है तो कोई विशेष घराने से ताल्लुकात बताता है। रांची की अलग गैंग है तो धनबाद की अलग। दरअसल, निगम में रांची से सीधे कुछ पदाधिकारी बहाली हुए हैं। स्थानीय स्तर पर भी कर्मी रखे गए हैं। मलाईदार पद के लिए दोनों गैंग आपस में भिड़ गए। दोनों ने एक दूसरे का ऑडियो तक वायरल कर दिया। कुर्सी के लिए धक्का-मुक्की हो गई। हो क्या रहा है ये?

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मेरी नहीं तेरी सड़क : सड़क तो सबकी है। कोई भी चल-फिर सकता है। बात जब मरम्मत की आती है, बतंगड़ तब बनता है। लीपापोती बाद की बात। एक-दूसरे पर फेंका-फेंकी शुरू हो जाती है। यह सड़क तो मेरी नहीं है। हमने तो सिर्फ इसे बनाया है। मेंटनेंस काम हमारा थोड़े है। जी हां, बात हो रही है धनबाद की कुछ प्रमुख सड़कों की। बरसात का सीजन है। रुक-रुककर बारिश भी हो रही है। धूप निकलती है तो सड़क के दोनों किनारे रेत का ढेर नजर आने लगता है। कंकड़-पत्थर भी साथ लिए। धनबाद की लगभग हर सड़क का यही हाल है। पथ निर्माण विभाग कहता है कि हमारा काम सिर्फ सड़क बनाने का है, निगम को सफाई करानी है। वहीं निगम का कहना है कि हमें सिर्फ कचरा उठाना है, कंकड़-पत्थर नहीं। दोनों एक-दूसरे के पाले में गेंद डाल रहे हैं और लोग रेत पर फिसलकर हाथ-पैर तुड़वा रहे हैं।

मेन एट नो वर्क : राज्य की पहली आठ लेन सड़क। 416 करोड़ रुपये खर्च करने की प्लानिंग। 24 फीसद काम हो चुका है। दो पाॢटयों के आपसी जोर में काम रुक गया। फिर भी मेन एट वर्क का बोर्ड इस सड़क पर सुशोभित है। आने-जाने वाला यह देखकर एकबारगी ठिठक जरूर जाता है। भई, बोर्ड लगा है तो काम भी हो रहा होगा। आगे जाने पर पता चलता है ऐसा कुछ नहीं है। काम ठप। अब तो बड़ी-बड़ी झाडिय़ां भी उगने लगी हैं। हादसों को आमंत्रित करतीं लोहे की छड़ें भी इनमें छिप गई हैं। दो दिन हुए होंगे। मेमको पानी टंकी के पास लगे मेन एट वर्क बोर्ड ने रंग दिखा दिया। सामने से आतीं गाडिय़ां देख साइकिल सवार रुक गया। सोचा, किनारे से निकल जाते हैं। बोर्ड से दो कदम आगे बढ़ा था कि दस फीट गहरे गडढे में गिर गया। साइकिल के साथ हाथ भी टूट गया।

तो कर लीजिए सबको तलब : पिछले सप्ताह शहर ने पानी की भारी किल्लत झेली। दोतरफा वार हुआ। शहर के साथ लगते ग्रामीण इलाके में भी आपूॢत ठप। 16 लाख की आबादी एक-एक बूंद को तरस गई। इसमें भी कुछ राजनीतिक रोटियां सेंकने में लगे रहे। समस्या कैसे दूर हो, इसके बदले अपनी सरकार को बचाने में जुट गए। एक राष्ट्रीय पार्टी को तो बयान जारी करना पड़ा कि इसमें सरकार का हाथ नहीं है। वह तो कल्याणकारी योजना लागू कराने पर जोर दिए हुए है। पेयजल एवं स्वच्छता विभाग की लापरवाही है और इसमें बिजली विभाग ने आग में घी डालने का काम किया है। अधिकारी जानबूझकर समस्या उत्पन्न कर राज्य सरकार को बदनाम करने की साजिश रच रहे हैं। ऐसे कुछ हैं जो काफी दिनों से यहां जमे हैं। वही मामले को उलझा रहे हैं। अब इन्हेंं कौन समझाए कि सरकार तो आपकी ही है। कर लीजिए सबको तलब।


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