Weekly News Roundup Dhanbad: यात्रीगण कृपया ध्यान दें... यहां खाता न बही, जो ठेकेदार बोले वही सही
Weekly News Roundup Dhanbad धनबाद स्टेशन पर सिर्फ सात मिनट की पार्किंग के लिए 20 रुपये की वसूली की गई। जवाब में रेलवे ने लिखा कि स्टेशन परिसर के पार्किंग जोन में वाहन खड़े करने पर शुल्क लिए जाते हैं। अगर ओवर चार्जिंग का सवाल है तो इसकी जांच होगी।
धनबाद [ तापस बनर्जी ]।Weekly News Roundup Dhanbad अगर आप धनबाद स्टेशन परिसर की पार्किंग में गाड़ी खड़ी करेंगे तो आपको पार्किंग ठेकेदार के अनुसार ही शुल्क चुकानी होगी। भले ही पर्चे में कुछ भी लिखा हो पर उसे लेकर सवाल उठाया तो फजीहत भी हो सकती है। पिछले हफ्ते की ही बात है। आशुतोष कुमार नाम के किसी शख्स ने पार्किंग में ओवर चार्जिंग की शिकायत की थी। पार्किंग के बदले मिली पर्ची दिखाकर बताया कि यह तो ओवरचार्जिंग की हद है। तीन घंटे तक 12 रुपये, छह घंटे तक 15 रुपये और छह घंटे से अधिक देर तक के लिए 18 रुपये लिखा है। पर सिर्फ सात मिनट की पार्किंग के लिए 20 रुपये की वसूली की गई। जवाब में रेलवे ने लिखा कि स्टेशन परिसर के पार्किंग जोन में वाहन खड़े करने पर शुल्क लिए जाते हैं। अगर ओवर चार्जिंग का सवाल है तो इसकी जांच होगी।
तस्वीर ने कराया हकीकत से सामना
अभी गुजरे नौ दिसंबर की ही बात है। रेल मुख्यालय के अधिकारी धनबाद दौरे पर आए थे। कोङ्क्षचग डिपो से रूबरू हुए। जाते-जाते नौ हजार का नगद पुरस्कार भी दे गये। पुरस्कार बेहतर रख-रखाव के लिए मिला। उनके गए चार दिन ही गुजरे थे कि गंगा-सतलज एक्सप्रेस के मुसाफिर ने एक तस्वीर ट््िवटर पर शेयर की। फिरोजपुर से धनबाद लौट रही ट्रेन में सफर कर रहे प्रवीण उपाध्याय ने तस्वीर के जरिए रेलवे को आइना दिखा दिया। यात्रियों के बैठने की सीट की सूरत इस कदर बिगड़ चुकी थी कि शायद उसे बदलना ही पड़ जाए। मामला संज्ञान आते ही रेल अधिकारी हरकत में आ गये। शिकायत करने वके से पहले असुविधा के लिए खेद जताया गया। फिर इस बात का भरोसा भी दिलाया गया कि संबंधित विभाग को आवश्यक कार्रवाई करने की बात कही गई है। अब तक शायद हो भी गई होगी।
कब्जा करने वालों को मिल गए रहनुमा
धनबाद में सरकारी जमीन और सरकारी आवास कब्जा कर रहने वालों के लिए रहनुमाओं की कमी नहीं है। एक ढूंढि़ए अनेक मिलेंगे। रांगाटांड़ रेलवे कॉलोनी से कब्जा हटना शुरू हुआ तो स्थानीय जनप्रतिनिधि नाराज हो गये। पहले तो जंग का एलान कर दिया। फिर विकास की बात कहकर यू टर्न भी ले ली। पिर बारी आई डीएवी स्कूल मैदान की। पहले सियासत की पिच पर बै होती रही। फिर स्कूली बच्चों को सड़क पर उतार दिया गया। मगर वहां भी मुंह की खानी पड़ी। अब बारी है डायमंड क्रासिंग रेल कॉलोनी की। कॉलोनी रेल कर्मचारियों की है पर तकरीबन ढाई सौ क्वार्टर पर गैर रेलकर्मियों ने अपना खूंटा गाड़ रखा है। खाली करने का नोटिस मिलते ही नेताजी रहनुमा बनकर सामने खड़े हो गए हैं। राजनीतिक दखलअंदाजी की वजह से गुरुवार को रेलवे की टीम को लौटना पड़ा। अगले हफ्ते से बुलडोजर चलेगा।
बच्चन साहब! यहां तो सफाई नहीं
जब तक दवाई नहीं, तब तक ढिलाई नहीं...। मोबाइल के हर कॉल पर इस संदेश को सुन ही रहे होंगे। अब तो रेलवे स्टेशन पर जाते ही बच्चन साहब का यह जुमला आपको सुनाई देने लगता है। अब आप सोच रहे होंगे कि जब इतना एहतियात बरता जा रहा है तो यात्रियों के बैठने के कोच भी सैनिटाइज्ड और साफ-सुथरे होंगे। पर सच इससे थोड़ी जुदा है। 15 दिसंबर को धनबाद से हावड़ा जानेवाली कोलफील्ड एक्सप्रेस के एसी चेयर कार के यात्री राजू कुमार सिंह इसका चश्मदीद बने। एसी चेयर कार के सी-वन कोच की 36 नंबर सीट उनकी थी। सीट के पास पहुंचते ही चौंक गये। वहां कूड़ा फैला था। तुरंत ट्विटर पर रेलमंत्री से सफाई व्यवस्था पर सवाल किया। धनबाद के अधिकारी भी रेस हुए और कोलफील्ड एक्सप्रेस को पूर्व रेलवे की ट्रेन बता मामले को डीआरएम हावड़ा को फॉरवर्ड कर दिया।