Weekly News Roundup Dhanbad: बीसीसीएल में बह रही उल्टी धारा, कोरोना काल में डॉक्टरों को छुट्टी
Weekly News Roundup Dhanbad नेताओं और ठेकेदारों का प्रबंधन से ही मेलमिलाप नहीं होता। कुछ मामले आपस में भी निपटाए जाते हैं। यकीन न हो तो बरवाअड्डा इलाके में आइए।
धनबाद [ रोहित कर्ण ]। Weekly News Roundup Dhanbad अमूमन आपदा आते ही उससे जुड़े विभागों में छुट्टियां रद कर दी जाती हैं। कार्य के घंटे बढ़ा दिए जाते हैं। बीसीसीएल में इसका ठीक उल्टा हो रहा है। कोरोना संकट के दौर में जहां चिकित्सा संबंधी विभाग को सर्वाधिक सक्रिय रहना था, वहीं इसके दिग्गज अधिकारी छुट्टियों पर हैं। कोयला भवन मुख्यालय में सीएमएस डॉ. मुक्ता साहा लंबे समय से छुट्टी पर हैं। डॉ. कृष्णेंदु दासगुप्ता भी छुट्टी मना रहे। डॉ. श्रीमती गोलाष को सीएमएस का प्रभार दिया गया है। केंद्रीय अस्पताल को कोविड-19 बनाने के बाद मात्र ओपीडी के चिकित्सकों के पास ही ड्यूटी बची है। बीच में केंद्रीय अस्पताल के कुछ विभागों को खोलने की चर्चा भी हुई। हालांकि उसे संक्रमण का खतरा बता खारिज कर दिया गया है। यह कहा गया कि कोविड-19 वार्ड खत्म होने के बाद ही अन्य विभाग चालू होंगे। तब तक तो मौज ही मौज है।
सब मिले हुए हैं
नेताओं और ठेकेदारों का प्रबंधन से ही मेलमिलाप नहीं होता। कुछ मामले आपस में भी निपटाए जाते हैं। यकीन न हो तो बरवाअड्डा इलाके में आइए। इस लॉकडाउन में भी यहां बाजार गुलजार है। बड़े वाहनों में कोयला भले कुछ कम चल रहा हो, छोटे वाहनों से धड़ल्ले से चल रहा है। यहां खादी पहनते ही कोयले का कारोबार शुरू हो जाता है। आधार जातीय है, पार्टी मायने नहीं रखती। वह चुनाव के वक्त दिखता है। सभी पार्टी के नेता अपनी जाति के दूसरी पार्टी के नेताओं को संरक्षण देते हैं। भौगोलिक ²ष्टि से भी इलाका मुफीद है। भूली से निकलते ही पिछड़ी होते हुए टुंडी इलाके में घुसिए और जंगल के बीचोबीच से गुजरी नई सड़क से सीधे जामताड़ा के नारायणपुर इलाके में निकलिए। मात्र दो थाने की पुलिस रुकावट नहीं बनती। रात के अंधेरे में सब एक-दूसरे के सहयोग से काम निकाल लेते हैं।
अंदरखाने का प्रबंधन भी जरूरी
कंपनी के नियम कायदे के अनुसार ही प्रबंध करना सही प्रबंधन नहीं होता। कुछ प्रबंधन गुप्त रूप से अंदरखाने भी होता है। बाघमारा इलाके में कुछ ऐसा ही होता रहा है। आगे भी होता रहेगा। अब देखिये, पिछले ऑक्शन में एरिया एक से चार तक इसलिए कोयला नहीं उठा कि मजदूरों ने विरोध कर दिया। कारोबारी मनाते रहे, लोग नहीं माने। वहीं बरोरा एरिया की खदानों में बिना मनाए मान गए और पेलोडर खड़ा कर मैनुअल लोङ्क्षडग भी हुई। दूसरी तरफ कांटापहाड़ी में दो ट्रक कोयला उठाकर अपनी जीत दर्शानेवालों को खाली ट्रक लेकर बाहर निकलना पड़ा। ज्यादा बहस की तो नतीजा यह निकला कि इस बार वहां के लिए ऑफर ही नहीं दिया गया। जहां का ऑफर निकला, उनमें से न्यू आकाशकिनारी पैच और एरिया फोर में फिर फ्लोर प्राइस पर बुङ्क्षकग की पुरानी कहानी ही दोहराई गई। आखिर कोई शिकायत करे तो कहां।
मजदूरों के खिलाफ यूनियन
मजदूर यूनियन के नेता हमेशा लोकतांत्रिक अधिकारों के हनन का आरोप प्रबंधन, सरकार पर लगाते रहे हैं। इन दिनों कोयलांचल में वही मजदूरों के अधिकारों का हनन करते दिख रहे हैं। कॉमर्शियल माइङ्क्षनग के खिलाफ हड़ताल में अपेक्षाकृत सफलता नहीं मिलने की खीझ में ऐसा किया जा रहा है। कई जगह नेताओं, मजदूरों द्वारा अपील ठुकराने के खिलाफ सभी यूनियन ने फैसला किया कि काम करनेवालों की सदस्यता समाप्त कर दी जाए। ऐसे नेताओं को छह साल तक कोई संगठन अपने यहां जगह न दे। शुरुआत भामसं ने की। इसके बाद जमसं आगे आया। यहां पारिवारिक कलह आड़े आ गया। दरअसल कुंती गुट ने जिस अक्षय यादव को बाहर का रास्ता दिखाया, उसे बच्चा गुट ने अपना लिया। अब ये दोनों एक-दूसरे को संयुक्त मोर्चा से निकलवाने पर तुले हैं। कलह से तय हो चुका है कि ये यूनियन खट के खानेवालों के कितने खिलाफ हैं।