सत्ता सुख भोग रहा झामुमो और कांग्रेस वाले अपने ही मंत्रीजी को चैन से दो रोटी भी नहीं खाने दे रहे...
आलमगीर आलम का हेमंत सरकार में नंबर दो का स्थान है। कांग्रेस विधायक दल के नेता भी हैं। रांची से अपने क्षेत्र पाकुड़ जाने में मंत्रीजी को आठ से दस घंटे लगते हैं। सो मंत्रीजी ने भोजन के लिए मिडिल प्वाइंट धनबाद को चुना है।
धनबाद [दिलीप सिन्हा]: आलमगीर आलम का हेमंत सरकार में नंबर दो का स्थान है। कांग्रेस विधायक दल के नेता भी हैं। रांची से अपने विधानसभा क्षेत्र पाकुड़ जाने में मंत्रीजी को आठ से दस घंटे लगते हैं। लंबे सफर में भूख भी लगती है। सो, मंत्रीजी ने भोजन के लिए मिडिल प्वाइंट धनबाद को चुना है। आने-जाने के क्रम में धनबाद में रुकते हैं, पेट भरना है ना। मंत्रीजी कांग्रेसी होते हुए भी तामझाम से दूर हैं। इसलिए आने-जाने की भनक कांग्रेसियों को नहीं देते। शहर के खांटी कांग्रेसियों को यह बात पच नहीं रही। जिलाध्यक्ष ब्रजेंद्र सिंह को तो यह बात चुभ भी गई। ऐसी कि मीडिया में पहुंच गए, और सुनाने लगे अपने ही मंत्रीजी को खरी खोटी। खबरीलाल पुराने शातिर, अंदर की कहानी निकाल लाए, बोले-असली बात कुछ और है। मंत्रीजी बुलाते नहीं, कांग्रेसी अधिकारियों पर रौब नहीं गांठ पाते। सत्ता सुख तीर-धनुष वाले भोग रहे हैं। बहरहाल, इसका साइड इफेक्ट यह है कि अपनी ही पार्टी के लोग मंत्रीजी को चैन से दो रोटी भी खाने नहीं दे रहे।
खाकी के लिए नेताजी मांग रहे दुआ
हिमांशु कुमार, भौंरा ओपी के प्रभारी, सिंदरी में ग्रामीणों की हिंसा के शिकार हो गए हैं। मेदांता हास्पिटल दिल्ली में जिंदगी के लिए मौत से दो दो हाथ कर रहे। जिन लोगों ने जान लेने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी, उनका दिल धाड़ धाड़ बज रहा। वे अब हिमांशु की जिंदगी बचाने के लिए ईश्वर से दुआ मांग रहे। आप सोच रहे होंगे, हमलावरों का शायद हृदय परिवर्तन हो गया। अरे नहीं भाई, दरअसल हिमांशु कुमार की जिंदगी की डोर से कई नवोदित नेताओं का भविष्य बंधा है। इन नेताओं में खतियान आंदोलन से सुर्खियों में आए जयराम महतो, सिंदरी के विधायक रहे मासस अध्यक्ष आनंद महतो के पुत्र बबलू महतो प्रमुख हैं। कई और भी हैं। रांची दरबार में भी कई माथा टेक आए हैं। वहां साफ कह दिया गया है, ओपी प्रभारी की सलामती की दुआ मांगिए। तभी कल्याण होगा।
गोद लेकर भूल न जाना साहब
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जन्मदिन पर केक काटने और मिठाई बांटने पर रोक है। भाजपा मोदी जी के जन्मदिन को सेवा पखवाड़े के रूप में मना रही है। 2024 में लोकसभा एवं विधानसभा का चुनाव होना है। टिकट के लिए मारामारी शुरू हो गई है। इसलिए सेवा कर मेवा खाने के लिए भाजपाइयों में होड़ मची हुई है। एसी कमरे से बाहर नहीं निकलने वाले नेता भी गांव-मोहल्ले की दौड़ लगा रहे, यह कहकर कि सेवा करने आए हैं। अब इधर देखिए, भाजपाइयों ने दिव्यांगों को गोद लिया। एक साल तक उनकी दवा और पौष्टिक भोजन की जिम्मेवारी ली। घर-घर जाकर दिव्यांगों की तलाश शुरू की। कई दिव्यांगों ने भाजपा नेताओं से कहा-नेताओं की घोषणा पर अब भरोसा नहीं रहा। गोद लेकर भूल नहीं जाना साहब। पहले भी कई बार ठगे जा चुके हैं। भाजपाइयों ने बड़ी मुश्किल से उन्हें मनाया, फिर आगे बढ़े।
कहीं फैल न जाए रायता
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 1932 खतियान और ओबीसी आरक्षण का मास्टर स्ट्रोक खेला है। इसके भरोसे 2024 के चुनाव में भाजपा को मात देने की तैयारी कर रहे हैं। उनकी इस तैयारी पर उनके शागिर्द ही ग्रहण लगा रहे हैं। अपनी जन्मभूमि धनबाद में ही झामुमो दो फाड़ है। यहां के सभी प्रखंडों में समानांतर कमेटी चल रहीं हैं। हेमंत की चुप्पी से गुटबाजी और बढ़ रही है। स्थिति यह कि जश्न भी झामुमो कार्यकर्ता एकजुट होकर नहीं मना पा रहे हैं। स्थानीय नीति एवं आरक्षण का फैसला कर हेमंत ने बेशक सभी विरोधियों को कर्रा झटका दिया। इस खुशी में झामुमो वाले राज्यभर में जश्न मना रहे। धनबाद में भी जश्न मना, मगर विधायक मथुरा प्रसाद महतो एवं जिलाध्यक्ष रमेश टुडू के नेतृत्व में अलग-अलग। बस जनता में कानाफूसी होने लगी, जश्न में भी एकजुट नहीं तो चुनाव में कहीं रायता फैल ही न जाए।