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प्रत्याशियों का पीछा करता रहेगा जल संकट का मुद्दा, क्योंकि बढ़ रही जनता की परेशानी

धनबाद के झरिया विधानसभा क्षेत्र में जलापूर्ति की स्थिति और भी खराब है। माडा का जामाडोबा वाटर ट्रीटमेंट प्लांट आए दिन खराब रहता है जिससे यहां दो-तीन दिन तक पानी नहीं चल पाता है।

By Edited By: Published: Sun, 17 Mar 2019 11:06 PM (IST)Updated: Sun, 17 Mar 2019 11:39 AM (IST)
प्रत्याशियों का पीछा करता रहेगा जल संकट का मुद्दा, क्योंकि बढ़ रही जनता की परेशानी
प्रत्याशियों का पीछा करता रहेगा जल संकट का मुद्दा, क्योंकि बढ़ रही जनता की परेशानी

धनबाद, श्रवण कुमार। धनबाद शहर, झरिया, कतरास व निरसा में जलापूर्ति आज भी बड़ी समस्या है। ऐसे में इस लोकसभा चुनाव में धनबाद जिला में पानी का मुद्दा खूब उठेगा। धनबाद शहर में 19 जलमीनारें हैं, पर किसी दिन सभी जगह जलापूर्ति नहीं हो पाती है।
शहर के वासेपुर, बैंकमोड़, मटकुरिया, विकास नगर, धोबाटांड, धनसार सबसे अधिक जलसंकट प्रभावित क्षेत्र हैं। पेयजल संकट से त्रस्त मटकुरिया व विकास के निवासियों को पिछले दिनों सड़क जाम करने के लिए भी मजबूर होना पड़ा था। वहीं धनबाद लोकसभा के झरिया विधानसभा क्षेत्र में जलापूर्ति की स्थिति और भी खराब है। माडा का जामाडोबा वाटर ट्रीटमेंट प्लांट आए दिन खराब रहता है, जिससे यहां दो-तीन दिन तक पानी नहीं चल पाता है। वहीं कतरास कोयलांचल तोपचांची झील के पानी पर निर्भर हैं। झील में पानी कम होने से कतरास में दो दिन बाद पानी चल रहा है। निरसा विधानसभा क्षेत्र भी जलापूर्ति की समस्या से अछूता नहीं है।
मैथन डैम से धनबाद शहर को पहुंचने वाली जलापूर्ति लाइन से निरसा का बड़ा इलाका पेयजल पर निर्भर है। धनबाद, झरिया व निरसा विधानसभा क्षेत्र धनबाद लोकसभा में आता है। वहीं कतरास का इलाका गिरिडीह लोकसभा में पड़ता है। इन दोनों लोकसभा सीट के उम्मीदवारों को चुनाव में जलापूर्ति के मुद्दे से दो-चार होना पड़ सकता है। ऐसे में जब प्रत्याशी वोट मांगने जाएंगे तो वोटर पेयजल की समस्या का मुद्दा जरूर उठाएंगे। शहर की तीन लाख आबादी को नियमित पानी नसीब नहीं धनबाद शहर की तीन लाख आबादी मैथन जलापूर्ति पर निर्भर है। भेलाटांड़ वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के आठ में से पांच मोटर ही चालू हालत में है। इसी तरह मैथन में चार में से एक मोटर पूरी तरह बैठचुका है। इससे शहर में नियमित जलापूर्ति नहीं हो पा रही है। जल्द ही मोटर को दुरुस्त नहीं किया गया, तो कभी भी जलापूर्ति ठप पड़ सकती है।
माडा जल संयंत्र झरिया से पुटकी तक जलापूर्ति का सहारा माडा का छह दशक पुराना जामाडोबा जल संयंत्र झरिया से पुटकी तक की आठ लाख आबादी के पेयजल का एकमात्र सहारा है। झरिया को 12 एमजीडी प्लांट और पुटकी, करकेंद, केंदुआ, कुसुंडा, लोयाबाद को 9 एमजीडी प्लांट से जलापूर्ति की जाती है। 12 एमजीडी प्लांट में 480 एचपी का दो और 240 एचपी का चार मोटर है। इसमें 480 एचपी का एक और 240 एचपी के दो मोटर खराब हैं। इसी तरह 9 एमजीडी प्लांट में तीन में से एक मोटर खराब है। आठ महीने से जलापूर्ति का संकट चल रहा है। गौरतलब है कि जनवरी व फरवरी में झरिया इलाके में जलापूर्ति काफी प्रभावित रही थी। कतरास में दो दिन बाद जलापूर्ति कतरास कोयलांचल में तोपचांची झील से जलापूर्ति होती है। झील में पानी कम होने से यहां दो दिन बाद जलापूर्ति की जा रही है। जिस साल बारिश कम होती है कतरास के लोगों को इसी तरह जलसंकट का सामना करना पड़ता है।

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जलसंकट पर जनता के बोल कहीं कम कहीं ज्यादा लेकिन हर रोज लोग पानी की समस्या से जूझ रहे हैं। चुनाव में प्रत्याशी वोट मांगने जाएंगे तो उन्हें इस समस्या से दो-चार होना पड़ेगा।
-प्रभात सुरोलिया, अध्यक्ष, बैंकमोड़ चैंबर ऑफ कॉमर्स
आमजन को मूलभूत सुविधाएं चाहिए। धनबाद में पानी की विकट समस्या है। चुनाव में जनता इसका समाधान चाहेगी।
-कृष्णा अग्रवाल, धैया
चुनाव में जलसंकट मुद्दा बनेगा। जलापूर्ति समस्या के समाधान को लंबी-लंबी बात की गई, पर कहीं काम नहीं दिख रहा है।
-मुकेश कुमार सिंह, स्टील गेट
पेयजल के समाधान के लिए काम हुआ है, लेकिन अभी और सुधार की आवश्यकता है। अभी भी कोयलांचल का बड़ा इलाका जलसंकट से परेशान है।
-सोनू सिंह, गोधर


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