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Khudiya Mine Mishap: समुद्र और नदी के मुकाबले बहुत कठिन भूमिगत खदान में रेस्क्यू ऑपरेशन, ईसीएल ने गोताखोरों को किया सम्मानित

गोताखोरों के टीम लीडर प्रणव विश्वाल ने कहा कि भूमिगत खदान में रेस्क्यू चलाकर कर्मियों को बाहर निकालना अपने आप में नया अनुभव है। समुद्र व तालाब में रेस्क्यू ऑपरेशन चलाना और भूमिगत खदान में रेस्क्यू चलाने में जमीन-आसमान का अंतर है।

By MritunjayEdited By: Published: Sat, 19 Dec 2020 02:33 PM (IST)Updated: Sat, 19 Dec 2020 02:33 PM (IST)
Khudiya Mine Mishap: समुद्र और नदी के मुकाबले बहुत कठिन भूमिगत खदान में रेस्क्यू ऑपरेशन, ईसीएल ने गोताखोरों को किया सम्मानित
गोताखोर टीम के सदस्यों को सम्मानित करते ईसीएल के डीटी।

निरसा, जेएनएन। कोल इंडिया की अनुषंगी इकाई ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड(ECL) की मुगमा एरिया की खुदिया कोलियरी में फंसे दो मजदूरों को बचाया नहीं जा सका है। संतोष की बात यह है कि 9 दिन तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद खदान के अंदर से दोनों मजदूरों का शव निकाल लिया गया है। यह काम किया ओडिशा के कटक से आए गोताखोरों के दल ने। शनिवार को गोताखोर टीम के सदस्यों को सम्मानित करते ईसीएल के डीटी बी बीरा रेडडी एवं मुगमा एरिया के जीएम बीसी सिंह ने सम्मानित किया। 

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भूमिगत खदान में रेस्क्यू ऑपरेशन बचाव दल के लिए रहा नया अनुभव

ईसीएल प्रबंधन से सम्मान प्राप्त करने के माैके पर गोताखोरों के टीम लीडर प्रणव विश्वाल ने कहा कि भूमिगत खदान में रेस्क्यू चलाकर कर्मियों को बाहर निकालना अपने आप में नया अनुभव है। समुद्र व तालाब में रेस्क्यू ऑपरेशन चलाना और भूमिगत खदान में रेस्क्यू चलाने में जमीन-आसमान का अंतर है। समुद्र, नदी या तालाब में उतर कर वाटर टॉर्च से दूर-दूर तक देख खोए हुए व्यक्ति या वस्तु को आसानी से पता लगा सकते हैं। वहां पानी भी साफ होता है। परंतु भूमिगत खदान का पानी भी काला होता है। स्थान भी काफी सकरा व कम होता है। वाटर टॉर्च भी ज्यादा दूर तक प्रकाश नहीं कर पाता। इस कारण खोए हुए व्यक्ति को खोजना काफी मुश्किल होता है। टीम ने पहली बार किया भूमिगत खदान में हमारी टीम द्वारा भी पहली बार रेस्क्यू ऑपरेशन किया गया।

एक प्रयास में 20 से 30 मिनट की खदान के अंदर रह पाता बचाव दल का सदस्य

प्रणव ने कहा कि खदान के अंदर हम लोग कंप्रेसर मशीन ले गए थे। उससे हवा बनाकर पाइप के सहारे खदान में पानी के दबाव को कम करते हुए आगे जाते थे। साथ ही ऑक्सीजन की सुविधा भी हम लोगों के साथ थी। चूंकि, खदान का पानी काफी गंदा व काला था। साथ ही एक ही रास्ते में खदान की कई सुरंग थी। पानी का दबाव रहता था। इस कारण हमारी टीम का एक सदस्य 20 से 30 मिनट तक ही पानी के अंदर जाता था। उसके बाद उसे वापस बुला लिया जाता था। हमारी टीम की मेहनत एवं ईश्वर की कृपा थी कि आठवें दिन एक कर्मी और नौवें दिन दूसरे कर्मी को खोज निकालें। इतना लंबा रेस्क्यू ऑपरेशन चलने का हम लोगों ने भी अनुमान नहीं लगाया था। परंतु हमारा मनोबल कभी कम नहीं हुआ। इस कारण लोगों को सफलता मिली। साथ ही प्रबंधन द्वारा भी पूरा सहयोग किया गया ।


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