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कोयलांचल में लगातार बढ़ती जा रही है सौ वर्षों से जमीन में धधक रही आग

झारखंड के धनबाद क्षेत्र में जिस जमीन के नीचे कोयला धधक रहा है, उसके ऊपर करीब पांच लाख की आबादी दहशत के साये में जी रही है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Mon, 22 Oct 2018 07:09 PM (IST)Updated: Tue, 23 Oct 2018 01:23 PM (IST)
कोयलांचल में लगातार बढ़ती जा रही है सौ वर्षों से जमीन में धधक रही आग
कोयलांचल में लगातार बढ़ती जा रही है सौ वर्षों से जमीन में धधक रही आग

धनबाद, [विनय झा]। झारखंड की कोयला खदानों में पिछले सौ साल से धधक रही आग का दायरा बढ़ता जा रहा है। विश्वभर में यह आग चिंता का विषय बनी हुई है। आशा जताई जा रही थी कि यह सिमटने लगी है, लेकिन नासा की हालिया तस्वीरों ने चिंता बढ़ा दी है। कोयलांचल के रूप में ख्यात झारखंड के धनबाद क्षेत्र में जिस जमीन के नीचे कोयला धधक रहा है, उसके ऊपर करीब पांच लाख की आबादी दहशत के साये में जी रही है। बताया जा रहा था कि पिछले कुछ दशकों के दौरान कई उपायों से आग का दायरा सिमटता गया है। आशा जताई जा रही थी कि यह और सिमटेगी।

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मगर अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन) के उपग्रह टेरा से ली गई हालिया तस्वीरों से चौंकाने वाला यह रहस्योद्घाटन हुआ है कि आग घटने की बजाय बढ़ती जा रही है। 2014 तक जहां यह 2.18 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में सिमटी बताई गई थी, वहीं एकाएक 3.28 वर्ग किलोमीटर का इलाका इसकी चपेट में नजर आ रहा है। यानी चार वर्ष में दायरे में 1.10 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है। इस तेजी ने सबको चिंता में डाल दिया है।


यह तस्वीर अंतरिक्ष में 700 से 1000 किलोमीटर की ऊंचाई पर चक्कर लगा रहे नासा के टेरा नामक उपग्रह में धरती की सतह की उष्मा मापने के लिए लगे आधुनिकतम सेंसर एस्टर (एडवांस्ड स्पेसबोर्न थर्मल इमिशन एंड रिफ्लेक्शन रेडियोमीटर) से ली गई है। यह विश्व का अकेला ऐसा उपग्रह है, जिसमें इस तरह का सेंसर लगा है। यह धरती पर 120 मीटर रिजोल्यूशन तक की उष्मा की तस्वीरें ले सकता है। कोकिंग कोल लिमिटेड (बीसीसीएल) ने इसके लिए नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (एनआरएससी) हैदराबाद से संपर्क किया था, जिसके बाद नासा से मदद ली गई।

सिमटने के बाद फिर कैसे फैल गई आग
विभिन्न वैज्ञानिक शोध संस्थानों व बीसीसीएल द्वारा समय-समय पर विभिन्न उपग्रहों के जरिए धनबाद कोलफील्ड की तस्वीरें ली गईं। 1976 से 1988 तक आग का दायरा 17.32 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला था। 1990 व 1994 में यह घटकर क्रमश: 15.87 व 13.67 वर्ग किमी हो गया। इसके बाद 1996 में विश्र्व बैंक की वित्तीय मदद से अमेरिका-कनाडा की संयुक्त एजेंसी मेसर्स मेटकम-गाइ द्वारा विशेष तौर पर कराए गए उपग्रह सर्वे में इसे 8.9 वर्ग किमी तक सिमटा दिखा गया। इसके बाद बड़े पैमाने पर फायर फाइटिंग के लिए कई उपाय किए गए। नतीजतन 2014 में आग के 2.18 वर्ग किमी में सिमट जाने की बात कही गई। लोग इसी उम्मीद में राहत की सांस ले रहे थे कि अब आग घटती जाएगी। मगर नासा की ताजा तस्वीर में आग ने फिर उल्टी दिशा में पांव फैलाते हुए 3.28 वर्ग किमी को दायरे में ले लिया है। इसके और बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।

नासा की रिपोर्ट, कई नए क्षेत्र आग की चपेट में
नासा की ताजा तस्वीरों से यह पता चल रहा है कि 2014 में जिन जगहों पर आग नजर नहीं आ रही थी वे अब भयंकर आग की चपेट में हैं। इनमें लोदना, नार्थ तिसरा, साउथ तिसरा, कुजामा, साउथ झरिया-राजापुर ओपनकास्ट प्रोजेक्ट, जयरामपुर, जीनागोरा, कुसुंडा आदि शामिल हैं। इनके अलावा आग अन्य जिन जगहों पर पहले की तुलना में पसरी है, उनमें जेलगोरा, बागिडिगी, नॉर्थ भौंरा, इस्ट भगतडीह, बरारी, बस्ताकोला, गोलकडीह, इंडस्ट्री, ब्लॉक दो ओसीपी, फुलारीटांड़, कतरास-चैतूडीह, केशलपुर आदि शामिल हैं। धनबाद-झरिया कोलफील्ड के दक्षिण हिस्से में आग अधिक तेजी से फैली है।

खुली खदानें बनीं वजह
विशेषज्ञ बताते हैं कि भूमिगत आग के असर के चलते कई जगहों पर जमीन के अंदर कोयले का भंडार गर्म है। ऑक्सीजन नहीं मिलने के कारण आग अब तक नहीं भड़की थी। हाल के वषरें में बड़े पैमाने पर खुली खदानें (ओपेनकास्ट माइंस) खोली गईं। इससे गर्म कोयला भंडार तक ऑक्सीजन पहुंच गई और यह भड़क उठा। यह गर्म कोयला एक तरह से सोया हुआ शेर है जो अनुकूल माहौल मिलते ही जाग गया है। जिन नई जगहों पर आग फैली है, वहां आसपास ओपेनकास्ट खदानें खुली हैं। कई जगहों पर कोयले में लगी आग का तापमान 700 से 800 डिग्री सेंटीग्रेड तक है।

नासा द्वारा जारी तस्वीरों में इन इलाकों में भूमिगत आग का दायरा फैला हुआ दिखाई देता है।

जानें, क्‍या कहते हैं अधिकारी
हाल में आग के दायरे में वृद्धि हुई है। अभी तक हमलोगों ने आग लगे कोयले को खोद कर निकाल कर इसे सफलतापूर्वक नियंत्रित किया है। इसके अलावा ट्रेंच कटिंग, सतह की भराई, बोर होल से नाइट्रोजन गैस व पानी डालने आदि कई उपाय भी किए गए। इसी के चलते आग का दायरा सिमटा। उम्मीद है कि अगले पांच वर्ष के दौरान इसी तरह आग को खोद कर बाहर कर इस पर काबू पा लेंगे।
-एके सिंह, सीएमडी, बीसीसीएल।


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