बागडिगी हादसे को याद कर दहल जाता दिल, सलीम ने देखा था 29 खनिकों की माैत का मंजर; CMD ने दी श्रद्धांजलि Dhanbad News
बागडिगी हादसा में कोलकर्मी सलीम अंसारी जिंदा बच गया था। बिना खाए पीये सात दिन तक खदान के अंधेरे में मौत से संघर्ष कर उसने नई जिंदगी पाई।
धनबाद, जेएनएन। बागडिगी खान हादसे को याद कर आज भी लोगों के दिल दहल उठते हैं। 2 फरवरी, 2001 ही वो मनहूस दिन था जिस दिन बागडिगी खदान में पानी भर जाने के कारण 29 श्रमिकों ने जलसमाधि ले ली थी। 19 वीं बरसी के माैके पर रविवार को बागडिगी में शहीद स्थल पर जाकर कोयला कंपनी बीसीसीएल के सीएमडी पीएम प्रसाद ने शहीद खनिकों को श्रद्धांजलि दी।
बीसीसीएल सीएमडी पीएम प्रसाद ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि श्रमिकों की शहादत बेकार नहीं जाएगी। उनकी शहादत और मेहनत के कारण ही आज कंपनी ऊंचाई तक पहुंची है। इस माैके पर मजदूर संगठनों के नेता और कोयला मजदूर भी पहुंचे। उन्होंने भी खान हादसे में मारे गए अपने साथियों के प्रति श्रद्धा-सुमन अर्पित किए।
बड़ी खान दुर्घटनाओं में बागडिगी का नाम
खान दुर्घटनाओं की सूची में झरिया बागडिगी कोलियरी की दुर्घटना भी शामिल हैं। वर्ष 2001 के दो फरवरी को हुई दुर्घटना में बागडिगी कोलियरी के 12 नंबर खदान में 29 श्रमिक अचानक काल के गाल में समा गए थे। खान दुर्घटना के बाद बारह नंबर खदान के बांध की दीवार टूटने के बाद पानी खदान में घुस गया था। 29 लोगों की जान इस हादसे में गई थी। घटना के बाद खदान परिसर में फंसे श्रमिकों व मरनेवालों के परिजनों की चीत्कार से हर कलेजा दहल उठा था। खाकी और खादी की फौज कई दिनों तक यहां रही थी। खान में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए मुंबई से गोताखोरों की टीम आई थी। घटना के चार दिन बीतने के बाद जब खदान में फंसे श्रमिकों के बचने की संभावना क्षीण हो गई तो उनके परिजनों ने शव निकालने की अपील की। पांच फरवरी की रात बारह बजे गोताखोरों की टीम ने एक बैग में भरकर पहला शव खदान से बाहर निकाला था। क्षत-विक्षत लाश की पहचान कैप लैंप नंबर से की गई थी।
खनिकों की लाश के बीच से जिंदा निकला था समील
बागडिगी हादसा में कोलकर्मी सलीम अंसारी जिंदा बच गया था। बिना खाए पीये सात दिन तक खदान के अंधेरे में मौत से संघर्ष कर सलीम ने नई जिंदगी पाई। हादसे के बारे में पूछने पर सलीम की आंखों में बेचैनी छा गई थी। बताया कि उस दिन सात नंबर सीम में ड्यूटी थी। अचानक विस्फोट हुआ और भागो-भागो की आवाजें आने लगी। खदान में पानी भरने लगा। हमारे साथ कई श्रमिक उसमें बहने लगे। तभी हम किसी प्रकार एक कोयले के ढेर पर चढ़ गए। बस इस पर ही सात दिन बैठे रहे। हमारे सामने ही कई साथी पानी में डूबकर दम तोड़ दिया। आठवें दिन तत्कालीन एजीएम श्री प्रसाद रेस्क्यू टीम के साथ खदान में पहुंचे। उन्हें देखकर चिल्लाया। हमें खदान से टीम ऊपर लाई। हादसे के बाद खदान के अंदर काम नहीं किया। अगस्त 2006 में सलीम सेवानिवृत्त हो गया।