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16 साल 16 सवालः ट्रैफिक जाम पर यहां हर दिन पिलाया जाता आश्वासनों का घूंट

वर्षों से धनबाद की जनता ट्रैफिक जाम व सुगम यातायात व्यवस्था के लिए लगातार आवाज उठा रही है। जनता घंटों ट्रैफिक जाम से परेशान रहती है।

By mritunjayEdited By: Published: Sat, 16 Feb 2019 05:57 PM (IST)Updated: Sat, 16 Feb 2019 05:57 PM (IST)
16 साल 16 सवालः  ट्रैफिक जाम पर यहां हर दिन पिलाया जाता आश्वासनों का घूंट
16 साल 16 सवालः ट्रैफिक जाम पर यहां हर दिन पिलाया जाता आश्वासनों का घूंट

धनबाद, जेएनएन। धनबाद, रांची व जमशेदपुर गोल्डन ट्रायंगल सड़क योजना 16 साल बाद भी धरातल पर नहीं उतर सकी है। ट्रायंगल सड़क की सोच इसलिए विकसित की गई, ताकि लोगों को यात्रा में कम समय लग सके। दैनिक जागरण के धनबाद कार्यालय में शनिवार को आयोजित 16 साल 16 सवाल राउंड टेबल कांफ्रेंस में लोगों ने इसी मुद्दे पर बात की। शुरुआत में लोगों ने पुलवामा में शहीद हुए जवानों की याद में दो मिनट का मौन रख कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। 

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वर्षों से धनबाद की जनता ट्रैफिक जाम व सुगम यातायात व्यवस्था के लिए लगातार आवाज उठा रही है। हर दिन घंटों ट्रैफिक जाम से परेशान रहती है। पांच किमी की दूरी करने में घंटों समय लग जाता है। लोगों ने कहा कि केवल चुनावी घोषणा व वोट की राजनीति के सिवा कुछ नहीं है। 16 साल में राज्य में जो विकास का पैमाना होना चाहिए, वह नहीं हो सका है। योजनाएं जरूर बनती हैं। जनप्रतिनिधि व अफसर सभी मिलकर योजनाओं को जानकर लेट करते हैं। सुगम यातायात नहीं होने कारण जमशेदपुर जाने के लिए धनबाद के लोगों को सोचना पड़ता है। धनबाद में जो सुविधा नहीं है, वह रांची व जमशेदपुर में है। यातायात व सुगम सड़के नहीं होने के कारण तीन घंटे की दूरी आठ घंटे तक लग जाती है। धनबाद के लोगों के बेहतर चिकित्सा, शिक्षा सहित अन्य सुविधा के लिए महरूम होना पड़ता है।  

धनबाद, रांची जमशेदपुर गोल्डन ट्रायंगल योजना को जल्द से जल्द धरातल पर उतारना चाहिए। 

- कुश कुमार सिंह, इनमोसा 

 योजनाएं सरकार अवश्य बनाती हैं, लेकिन समय पर धरातल पर उतरे यह सबको सोचने की जरूरत है। 

- विद्यानंद यादव, मटकुरिया, समाजसेवी 

सड़कें बेहतर नहीं होने से परेशानी होती है। एक शहर को दूसरे शहर से सड़क ही जोड़ती है। समय पर काम होने से इसका लाभ मिलता है। 

- कन्हैया कुमार, गोधर बीसीसीएल कर्मी

कोयला नगरी से लौहनगरी को जोडऩे के लिए जो व्यवस्था सरकार ने तैयार की है, उसका पालन समय पर होने से इसका लाभ लोगों को मिलता, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। 

- अशोक कुमार कनौजिया, कतरास इंजीनियरिंग संगठन  

रांची राजधानी है। धनबाद व टाटा से ट्रायंगल के रूप में जोडऩे से काफी लाभ मिलता। सरकार को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। 

- विजय कुमार यादव, सिजुआ 

बेहतर कन्वेंस नहीं होने से राज्य का विकास संभव नहीं है। शहर की यातायात व्यवस्था जितना आसान होगा, विकास उतना ही होगा। इस पर सभी को विचार करना चाहिए। 

- प्रमोद गोयल, बैंकमोड़ चैंबर 

धनबाद की सड़कों का हाल भी देखने लायक है। पांच किमी का सफर तय करने में घंटों लग जाता है। सरकार को ट्रांयगल सड़क पर सोचना चाहिए। 

- प्रभात सिरोलिया, बैंकमोड़ चैंबर 

सरकार जिसकी भी चाहे भाजपा हो या जेएमएम की, किसी ने भी झारखंड में एक्सप्रेस वे का सपना को उतराने के लिए किसी ने भी गंभीरता से नहीं लिया। 

 - आशीष सिंह, संयोजक, छात्र एकता संघ  

सरकार को जबावदेह होना चाहिए। उन्हें देखना चाहिए कि योजनाओं पर काम हो रहा है कि नहीं, समय पर पूरा हो रहा है कि नहीं। बिचौलिए भी काम खराब कर देते हैं।

 - नीरज झा, इडेन पब्लिक स्कूल, गोविंदपुर 

 योजनाएं बनती हैं, क्रिन्यावयन हो रहा है कि इस पर ध्यान देना चाहिए। स्थिति यह है कि टाटा रांची जाने में अधिक समय लगता है। ट्रेन की व्यवस्था ठीक नहीं है। 

- प्रशांत सिंह, निदेशक, धनबाद विकास विद्यालय 

 किसी भी शहर व राज्य के विकास का पैमाना सड़क ही होता है। झारखंड में अभी भी सड़कों के संपर्क के मामले में पीछे है। 

- संदीप मुखर्जी, बैंक मोड़ 

धनबाद के एक छोर से दूसरे छोर तक जाने के लिए लोगों को सोचना पड़ता है। इस व्यवस्था में सुधार की जरूरत है। 

- जितेंद्र अग्रवाल, धनबाद

कोई भी योजना धरातल पर समय से नहीं उतरने से इसकी लागत भी बढ़ जाती है, जिससे पब्लिक पर ही आगे चलकर बोझ पड़ता है। 

- प्रवीण माथुर, बैंकमोड़  

जो भी योजनाएं बनती हैं, उस पर काम होना चाहिए। कुछ तो    फाइलों में ही कैद होकर रह जाती हैं। समय पर काम पूरा हो, तो लोगों को फायदा मिलेगा। 

- हिमांशु कुमार, हीरापुर 


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