Samagra Shiksha Abhiyan: 30 करोड़ खर्च कर धनबाद के 3 सरकारी स्कूल सीबीएसई में होंगे तब्दील, जानिए तीनों का इतिहास
झारखंड में 80 स्कूल ऐसे हैं जिन्हें एक्सीलेंस से सीबीएसई बनाया जाएगा। इन तीनों स्कूलों में सीबीएसई की सभी सुविधाओं से लैस भवन निर्माण किया जाएगा। इसके लिए जिला स्कूल में मिट्टी की सैंपलिंग भी की गई। भवन निर्माण के लिए यह जरूरी है।
धनबाद [ आशीष सिंह ]। जिले के तीन सरकारी स्कूलों में बहुत जल्द केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड यानी सीबीएसई पैटर्न पर आधारित पढ़ाई होगी। जिला स्कूल, एसएसएलएनटी बालिका प्लस टू उच्च विद्यालय और कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय निरसा को स्कूल ऑफ एक्सीलेंस स्कूल की सूची में शामिल किया गया है। समग्र शिक्षा अभियान का यह प्रथम पड़ाव है। इसे प्रथम चरण भी कह सकते हैं। इसके बाद इन स्कूलों को सीबीएसई बनाने की प्रक्रिया शुरू होगी।
चयनित तीनों स्कूलों का तीन दशक का इतिहास
झारखंड में 80 स्कूल ऐसे हैं जिन्हें एक्सीलेंस से सीबीएसई बनाया जाएगा। इन तीनों स्कूलों में सीबीएसई की सभी सुविधाओं से लैस भवन निर्माण किया जाएगा। इसके लिए जिला स्कूल में मिट्टी की सैंपलिंग भी की गई। भवन निर्माण के लिए यह जरूरी है। संभावना जताई जा रही है सरकार के एक वर्ष पूरे होने पर 29 दिसंबर को इसकी विधिवत घोषणा हो सकती है। धनबाद के लिए अच्छी खबर है। राज्य मुख्यालय ने इस संबंध में जिला शिक्षा विभाग को पत्र भेज दिया है। डीईओ प्रबला खेस ने इन स्कूलों को मॉडल स्कूल बनाने समेत अन्य प्रक्रिया पूरी करने के लिए दो नवनियुक्त क्षेत्र शिक्षा प्रसार पदाधिकारी को जिम्मेवारी सौंपी है। प्रबला खेस ने दोनों नवनियुक्त क्षेत्र शिक्षा प्रसार पदाधिकारी के साथ बैठक कर आवश्यक निर्देश जारी किया है। यहां बता दें कि चयनित तीनों स्कूलों का तीन दशक से अधिक का इतिहास रहा है। जिला स्कूल तो 50 वर्ष से भी पुराना है।
सूबे के 80 स्कूल बनेंगे मॉडल स्कूल
प्रथम चरण में राज्य के 80 स्कूलों को मॉडल स्कूल बनाया जाएगा। सभी स्कूलों का चयन करते हुए सूची जारी कर दी गई है। इनमें तीन स्कूल धनबाद के हैं। आर्किटेक की ओर से स्कूलों की डीपीआर तैयार कर राज्य सरकार को सौंपा जा रहा है। पिछले दिनों रांची से आए आर्किटेक ने जिला स्कूल का जायजा लेने के बाद जमीन की उपलब्धता समेत अन्य पर संतुष्टि जाहिर की है। एक स्कूल को मॉडल स्कूल के रूप में विकसित करने में लगभग 10 करोड़ रुपये खर्च करने की संभावना है। इनमें छह करोड़ रुपए आधारभूत सुविधाओं पर खर्च होंगे। इन स्कूलों में पहली से 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई होगी। यह भी कहा जा रहा है कि इन स्कूलों में प्रवेश परीक्षा के आधार पर नामांकन मिलेगा। स्कूल में न्यूनतम एक हजार तो अधिकतम 1200 छात्रों की पढ़ाई की व्यवस्था होगी। बच्चों की अंग्रेजी बेहतर करने के लिए लैंग्वेज लैब की स्थापना के साथ ही स्पोकेन इंग्लिश पर भी फोकस रहेगा।
ये सुविधाएं मिलेंगी
फिजिक्स, केमेस्ट्री, गणित, बायोलॉजी, कंप्यूटर, लैंग्वेज समेत सात तरह के लैब, वोकेशनल कोर्स, इंडोर व आउटडोर गेम, चाइल्ड फ्रेंडली शौचालय, बालिका व बालक के लिए अलग-अलग, स्पोटर्स एंड फिजिकल एजुकेशन, लाइब्रेरी, ऑडिटोरियम, डिजिटल एजुकेशन।